10 जून 2024 को बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस में लगी थी आग
सतनामी समाज के जैतखंभ क्षति पर भड़का था जनआक्रोश
12.53 करोड़ की संपत्ति का नुकसान, एक साल बाद भी दिखते हैं जलने के निशान
बलौदाबाजारः Baloda Bazar Fire Accident : छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट में आज के ही दिन यानी 10 जून को एक ऐसा अग्निकांड हुआ था जिसकी लपटों ने कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस को अपने शिकंजे में ले लिया था। घटना के बाद सरकार और प्रशासन हाई अलर्ट पर आ गए थे और एक के बाद एक कई गिरफ्तारियां और कानूनी कार्रवाई हुई। आखिर 10 जून 2024 को कौन विरोध कर रहा था? क्यों भड़की थी आक्रोश की चिंगारी और अब मौजूदा हालात क्या है? समझते हैं इस खबर के जरिए..
Baloda Bazar Fire Accident : छत्तीसगढ़ का बहुचर्चित बलौदाबाजार अग्निकांड जिसने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया था। ये वही 10 जून 2024 की तारीख थी जब बलौदा बाजार कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस धू-धूकर जल उठा था। दरअसल, रायपुर से 130 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच सतनामी समाज के पूज्य गुरु घासीदास के बेटे बाबा अमर दास का समाधि स्थल है। यहां गुफा के बाहर एक जोड़ी जैतखंभ स्थापित है। पिछले साल 15 मई को उपद्रवियों ने दोनों जैतखाम को क्षतिग्रस्त कर दिया था, जिसके बाद सतनामी समाज इतना आक्रोशित हुआ कि न्याय का मांग के लिए बलौदाबाजार कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंचे। इसी दौरान कुछ लोगों ने कथित रूप से एसपी और कलेक्टर के कार्यालय तक को ने आग के हवाले कर दिया था। इस आगजनी में दो दमकल की गाड़िया सहित 200 से अधिक वाहन को आग के हवाले कर दिया गया था। वहीं 25 से ज्यादा पुलिस कर्मी घायल हुए थे। इस घटना में 12.53 करोड़ रुपये की संपत्ति के नुकसान का आंकलन किया गया है। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन कलेक्टर केएल चौहान और एसपी सदानंद कुमार को घटना के तुरंत बाद ही राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था।
15 मई: गिरौदपुरी धाम से लगभग 5 किमी महकोनी बस्ती स्थित अमर गुफा में लगे जैतखाम को देर रात किसी ने आरी से काट दिया।
16 मई: सुबह सतनामी समाज के लोगों को जैतखाम में तोड़फोड़ की जानकारी मिली। कार्रवाई की मांग पर समाज ने प्रदर्शन किया।
17 मई: सतनामी समाज की मांग पर पुलिस ने मामला दर्ज कर विवेचना शुरू की। समाज शुरू से इसे सुनियोजित साजिश बता रहा था।
19 मई: 3 दिन तक आरोपियों की गिरफ्तारी न होने के बाद समाज ने इलाके की सड़क पर चक्काजाम किया। कड़ी कार्रवाई की मांग की।
19 मई: तीन लोग गिरफ्तार हुए। तीनों बिहार के थे। पुलिस ने बताया कि ठेकेदार ने पैसा नहीं दिया तो जैतखाम तोड़ा। समाज ने झूठी कार्रवाई बताई।
20 मई: झूठी गिरफ्तार से मामला रफा-दफा करने पर समाज ने बड़ी बैठक बुलाई। असल दोषियों की गिरफ्तार के लिए आंदोलन की रूपरेखा खींची।
21 मई: दोषियों की गिरफ्तारी पर ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद जांच और कार्रवाई की मांग पर आवेदन और शिकायतों का सिलसिला तेज हुआ।
8 जून: कलेक्टर ने शांति समिति की बैठक बुलाई। प्रशासन ने जांच की कार्रवाई तेज करने की बात कही गई। आंदोलन न करने की अपील भी की।
9 जून: गृहमंत्री विजय शर्मा ने न्यायिक जांच का ऐलान किया। इसी दिन समाज को 10 जून को कलेक्ट्रेट के पास प्रदर्शन की मंजूरी भी दे दी गई।
10 जून (दोपहर): दशहरा मैदान से कलेक्ट्रेट की ओर निकली रैली उग्र हो गई। दौरान कलेक्टर-एसपी दफ्तर को आग में झोंक दिया। कई गाड़ियां भी जला दी।
10 जून (देर शाम): सीएम विष्णुदेव साय ने बैठक बुलाई। तलाश करने पुलिस की 12 टीमें, जांच के लिए 22 टीम बनाई गई। रात तक 73 गिरफ्तार।
11 जून: शाम तक 100 से ज्यादा आरोपियों को हिरासत में लिया गया। देर रात कलेक्टर केएल चौहान और एसपी सदानंद कुमार को हटा दिया गया।
12 जून: भाजपा के आरोपों पर पूर्व मंत्री गुरु रुद्र कुमार गिरफ्तारी देने के लिए थाने पहुंचे। उन्होंने मानहानि का केस करने की चेतावनी दी।
13 जून: छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी की ओर से बनाई गई सात सदस्यीय टीम जांच के लिए घटना स्थल पर पहुंची।
15 जून: पुलिस ने अग्निकांड मामले में भीम रेजिमेंट के रायपुर संभागाध्यक्ष जीवराखन बांधे जगदलपुर से गिरफ्तार किया गया।
18 जून: प्रदेश कांग्रेस ने बलौदाबाजार अग्निकांड में सरकार की खामियां गिनाते हुए प्रदेशस्तरीय धरना-प्रदर्शन किया।
21 जून: 10 जून को कलेक्ट्रेट में तिरंगा फहराने वाले पोल पर विशेष झंडा लगाने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया गया
29 जून: बलौदाबाजार पुलिस ने भीम आर्मी के प्रदेश उपाध्यक्ष और महासचिव के साथ एक अन्य को गिरफ्तार किया।
6 जुलाई: बलौदाबाजार से युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष शैलेंद्र बंजारे को भी अग्निकांड में गिरफ्तार कर लिया गया।
7 जुलाई: जांजगीर-चांपा में भीम आर्मी के पूर्व जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश बंजारे को गिरफ्तार किया गया।
15 जुलाई: हिंसा की रणनीति बनाने के आरोप में वाला मोहन बंजारे समेत चार लोग गिरफ्तार किए गए।
17 अगस्त: भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को मामले में गिरफ्तार किया गया, जो 7 महीने रायपुर सेंट्रल जेल में रहने के बाद इस साल फरवरी महीने में रिहा हुए हैं।
कुल मिलाकर बलौदाबाजार अग्निकांड के 1 साल बीत चुके हैं, लेकिन व्यवस्थाओं से लेकर कानूनी कार्रवाई को लेकर अब भी, कई सारे ऐसे अनसुलझे सवाल हैं जो लोगों के जेहन में तरोताजा हैं, जिनके जवाब बस समय के गर्भ में है। देखने वाली बात ये होगी कि ये सवालों की ये गुत्थियां कब तक सुलझ पाती हैं।