रायपुरः SarkarOnIBC24 देश में हर 10 साल बाद होने वाली जनगणना की, जो कोरोना के चलते साल 2021 में नहीं हो पाई। तब से अब तक 5 साल गुजर चुके हैं और ये कब होगी कुछ भी साफ नहीं है, लेकिन इसी बीच मोदी सरकार ने जनगणना के साथ जाति जनगणना कराने का ऐलान कर बड़ा दांव चल दिया, लेकिन कांग्रेस ने इसमें हो रही देरी को मुद्दा बना लिया है। कांग्रेस मोदी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रही है तो बीजेपी कांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर बता रही है।
SarkarOnIBC24 जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस की बेचैनी लगातार बढ़ती जा रही है। मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ जारी तनाव के बीच अचानक जाति जनगणना का ऐलान कर सबको हैरान कर दिया था। वहीं राहुल गांधी जो लगभग हर मंच से इस मुद्दे को उठा रहे थे, वो मुद्दा भी बीजेपी छीन लिया है.. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि सरकार ने जाति जनगणना कराने की बात जरुर कही हो लेकिन इससे जुडे कई ऐसे मुद्दे हैं जिस पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जाति जनगणना कब होगी? इसका तरीका क्या होगा? इसमें कौन-कौन से सवाल पूछे जाएंगे? कुछ भी साफ नहीं है। यही वजह है छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने इस मुद्दे को उठाया और तंज कसा कि कहीं जाति जनगणना का भी हाल महिला आरक्षण जैसा ना हो जाए।
भूपेश बघेल ने जाति जनगणना पर बीजेपी से अपना रुख साफ करने की चुनौती दी तो बीजेपी ने भी पलटवार किया कि भाजपा की कथनी और करनी में अंतर नहीं है। जाति जनगणना को लेकर पिछले दिनों कांग्रेस हाईकमान की दिल्ली में एक अहम बैठक हुई थी। जिसमें केंद्र सरकार पर इस पर तुरंत अमल करने के लिए दबाव डालने का फैसला हुआ था। प्रदेश से लेकर ब्लॉक स्तर तक इसे लेकर रैली निकालने की जरुरत बताई गई थी। कांग्रेस लगातार इस बात पर जोर दे रही है कि सरकार ये स्पष्ट करे कि जाति जनगणना कब और कैसे होगी.. जाति जनगणना के लिए तेलंगाना मॉडल अपनाया जाए.. जिसमें तेज, पारदर्शी और समावेशी जाति सर्वे मॉडल को अपनाया गया था। तेलंगाना ने 50 फीसदी आरक्षण की सीमा तोड़ दिया है राष्ट्रीय स्तर पर भी 50 फीसदी की सीमा हटे। प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू किया जाए।
कांग्रेस के साथ विडंबना ये है कि जिस जाति जनगणना के मु्द्दे को कांग्रेस अपने लिए गेम चेंजर मान रही थी। उसे पलभर में मोदी सरकार ने स्वीकार कर कांग्रेस से बड़ा मुद्दा छीन लिया.. बीजेपी जहां इसका जमकर क्रेडिट ले रही है वहीं कांग्रेस को अब तक इसे अमल में नहीं लाने के लिए ताने दे रही है। यही वजह है कि राहुल गांधी समेत कांग्रेस नेता इसे लेकर मुखर है तो दूसरी तरफ बीजेपी किसी जल्दबाजी में नहीं दिख रही।