अबकी बार… अंतिम प्रहार! ‘लाल गैंग’ के खिलाफ निर्णायक जंग! क्या सुरक्षाबलों के प्रहार से इस बार नक्सलियों का बचना नामुमकिन है?

अबकी बार... अंतिम प्रहार! 'लाल गैंग' के खिलाफ निर्णायक जंग! Decisive battle against Naxalites in Chhattisgarh

अबकी बार… अंतिम प्रहार! ‘लाल गैंग’ के खिलाफ निर्णायक जंग! क्या सुरक्षाबलों के प्रहार से इस बार नक्सलियों का बचना नामुमकिन है?
Modified Date: November 29, 2022 / 07:51 pm IST
Published Date: January 18, 2022 11:28 pm IST

रायपुरः Decisive battle against Naxalites in Chhattisgarh लाल आतंक का गढ़ कहे जाने वाले बस्तर में चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन और नक्सलियों की मांद में नये कैंप खुलने से सुरक्षाबलों की दखलअंदाजी बढ़ी है। नतीजा ये है कि नक्सली अब बैकफुट पर दिख रहे हैं। पुलिस के बढ़ते दबाव और बड़े लीडर्स की मौत के बाद लाल गैंग भरपूर कोशिश कर रहा है कि नए जोन में अपनी पैठ बनाए, लेकिन सुरक्षाबलों के संयुक्त ऑपरेशन से उसकी ये रणनीति भी लगातार फेल हो रही है। ऐसे में अहम सवाल है कि क्या सुरक्षाबलों के प्रहार से इस बार लाल गैंग का बचना नामुमकिन है।

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Decisive battle against Naxalites in Chhattisgarh दंडकारण्य में दशकों से अपनी जड़े जमा चुके लाल हिंसा के विरुद्ध निर्णायक जंग शुरू हो चुकी है। बीजापुर और सुकमा की घटनाएं बताती है कि अब पुलिस आक्रामक तरीके से नक्सलियों को उनकी ही गोरिल्ला वार में मात दे रही है। नक्सलियों के खिलाफ जारी ऑपरेशन से नक्सली अब बैकफुट पर हैं। अब सवाल ये है कि बड़े लीडरों के मारे जाने के बाद नक्सली संगठन कमजोर पड़ने लगा है। क्या सरकार की सरेंडर पॉलिसी से वो दबाव में हैं या फिर नक्सलियों के मांद में नये पुलिस कैंप खोले जाने से वो सिमटते जा रहे हैं। वहीं कोरोना काल में जिस तरह नक्सलियों की टॉप लीडरशिप खत्म हुई उसने भी कई सवाल पैदा किए।

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आंकड़े भी बताते हैं कि बीते 3 सालों में नक्सलियों को काफी नुकसान पहुंचा है। साल 2021 में लाल गढ़ में 74 मुठभेड़ हुई। जिसमें करीब 51 नक्सली मारे तो बीते 3 सालों में बस्तर के सुदूर इलाकों में 36 नए पुलिस कैंप भी बनाए गए। नक्सल फ्रंट पर सरकार की रणनीति और फोर्स के बढ़ते दबाव के बाद माओवादी अब नया बेस बनाने की तैयारी कर रहे हैं। दंडकारण्य में बढ़ते दबाव के बाद ऐसे इलाके को नक्सली अपना पैठ बनाना चाहते हैं जहां पुलिस कैंप और पुलिस की ताकत अभी शुरुआती दौर में है, लेकिन बीते दिनों नक्सलियों के MMC जोन में घुसकर सुरक्षाबलों ने सीनियर कमांडर सहित 23 बड़े नक्सलियों को मार गिराया। नक्सलवाद के खिलाफ जारी ऑपरेशन पर कांग्रेस जहां अपनी पीठ थपथपा रही है तो दूसरी ओर विपक्ष के अपने सुर हैं।

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कुल मिलाकर लाल गढ़ में माओवादियों पर फोर्स का दबाव जिस तरह से लगातार बढ़ा है। उसके चलते नक्सलियों के पांव उखड़े हैं। नक्सलियों के बड़े लीडर बस्तर में अब पहले जैसी आज़ादी से अपनी गतिविधियों नहीं चला पा रहे हैं। उनके अंदर दबाव और डर लगातार बढ़ता जा रहा है। क्योंकि सरकार और सुरक्षा बल दोनों ही आर-पार की लड़ाई के मूड में है।

 


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।