रायपुरः Vishnu Ka Sushasan: छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली सरकार ने सत्ता संभाले अब दो वर्ष पूरे कर लिए हैं। इन दो वर्षों में सरकार ने जिस तरह से प्रशासनिक स्थिरता, जनकल्याण और विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाया है, उसने राज्य की राजनीति और शासन व्यवस्था में एक नई दिशा दी है। आदिवासी समाज से आने वाले मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सत्ता में आते ही यह संकेत दे दिया था कि उनकी सरकार की प्राथमिकता “सुशासन और अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं की पहुंच” होगी। साय सरकार ने अपने दो साल के कार्यकाल में किसानों के लिए कई अहम फैसले लेकर नए प्रतिमान गढ़ें हैं।
दरअसल, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और ग्रामीण जीवन की रीढ़ किसान हैं। यहां की एक बड़ी आबादी खेती-किसानी से अपनी जीवकोपार्जन करती है। सत्ता संभालने के बाद से ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उनकी सरकार ने किसानों के हित और उनके आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी है। यहीं वजह है कि बस्तर से लेकर सरगुजा तक के किसानों के जीवन में नई खुशहाली दिखती है। विष्णुदेव साय सरकार ने धान खरीदी को समय पर, पारदर्शी और व्यवस्थित ढंग से संचालित करने पर विशेष ध्यान दिया। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, भुगतान में देरी न हो, इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था को मजबूत किया गया। किसानों को बारदाना, खरीदी केंद्रों पर सुविधाएं और तौल में पारदर्शिता उपलब्ध कराने के प्रयास किए गए। इससे किसानों के जीवन में नई रोशनी आई है।
Vishnu Ka Sushasan: शासन की योजना तब सफल मानी जाती है, जब उसका लाभ सीधे आम लोगों तक पहुँचे। राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए “टोकन तुंहर हाथ” मोबाइल ऐप ने उनकी धान बेचने की प्रक्रिया को पहले से कहीं अधिक आसान और तेज बना दिया है। पहले धान विक्रय के लिए किसानों को लंबी कतारों में खड़े रहना पड़ता था। भीड़, अव्यवस्था और समय की बर्बादी किसान परिवारों के लिए बड़ी समस्या थी, लेकिन इस बार सरकार ने नई पहल करते हुए टोकन तुंहर हाथ” मोबाइल ऐप लॉन्च किया। इससे किसान अपने घर बैठे ही मोबाइल के माध्यम से कुछ ही मिनटों में ऑनलाइन टोकन प्राप्त कर लिया। न भीड़, न इंतज़ार सिर्फ कुछ क्लिक और पूरी प्रक्रिया पूरी हो गई। प्रदेश के किसानों का मानना है कि अब धान खरीदी की व्यवस्था बिल्कुल सरल और पारदर्शी हो गई है। ऑनलाइन टोकन आसानी से कट गया और धान बेचने में कोई परेशानी नहीं हो रही है। सरकार ने प्रदेश के किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तुंहर टोकन ऐप को अब 24×7 खोल दिया है। अब मोबाइल एप से टोकन काटने के लिए किसी निर्धारित समय की बाध्यता नहीं है। किसान दिन-रात किसी भी समय अपनी सुविधा के अनुसार टोकन बुक कर रहे हैं।
राज्य में 15 नवम्बर से शुरू हुए धान खरीदी का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है। राज्य सरकार द्वारा कृषक कल्याण योजना के तहत 3100 रुपये प्रति क्विंटल और प्रति एकड़ 21 क्विंटल तक धान खरीदी से किसानों में नया उत्साह भर दिया है। उपार्जन केंद्रों में उपलब्ध सुविधाओं से आसानी से धान बेच रहे हैं। सरकार की संवेदनशीलता के चलते किसान अब खेती को लाभकारी बनाने में जुटे हुए हैं। इस बार धान की खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ी है। वर्तमान में धान की खरीदी हेतु 27।40 लाख किसानों के धान का रकबा 34.39 लाख हेक्टेयर का पंजीयन किया गया है। जबकि गत वर्ष 25.49 लाख किसानों द्वारा रकबा 28.76 लाख हेक्टेयर से समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया गया था। इस प्रकार गत वर्ष विक्रय गये किसानों की तुलना में इस वर्ष लगभग 7.5 प्रतिशत किसान एवं 19 प्रतिशत रकबा का पंजीयन अधिक हुआ है।
सहकारी समितियों के कर्मचारियों द्वारा आंशिक रूप से अवैध हड़ताल पर जाने से उपार्जन प्रभावित होने की संभावना उत्पन्न हुई थी, जिसे शासन के निर्देश पर विपणन संघ द्वारा आउटसोर्सिंग के माध्यम से 2,739 डेटा एंट्री ऑपरेटरों की व्यवस्था कर सुचारू रूप से धान उपार्जन सुनिश्चित किया गया। किसानों के विश्राम हेतु छाया, पीने के पानी तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था सभी उपार्जन केन्द्रों में उपलब्ध कराई गई है। जिला अधिकारियों को किसानों की सुविधा और खरीदी संचालन से संबंधित आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रत्येक उपार्जन केन्द्र में केंद्र प्रभारी के अतिरिक्त नोडल अधिकारी की भी ड्यूटी लगाई गई है, जिनके नाम और फोन नंबर केन्द्रों में प्रदर्शित कर दिए गए हैं। किसी भी प्रकार की असुविधा की स्थिति में किसान नोडल अधिकारी से तुरंत संपर्क कर सकते हैं, और समस्याओं का समाधान तत्काल किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश स्तर पर हेल्पलाइन 1800 233 3663 के माध्यम से भी शिकायतें एवं जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। सभी उपार्जन केन्द्रों में स्थानीय स्तर पर निगरानी समितियों का गठन किया गया है तथा पीने के पानी, प्रसाधन, प्राथमिक उपचार पेटी आदि की व्यवस्थाएँ सुचारू रूप से उपलब्ध हैं। धान की तौल इलेक्ट्रॉनिक तौल मशीनों से की जा रही है, ताकि किसानों को उनके हर एक दाने का उचित मूल्य मिल सके।
छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी प्रारम्भ होने के पूर्व से ही प्रदेश में अवैध धान के भण्डारण एवं परिवहन से आने वाले धान की कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इस बार मार्कफेड द्वारा राज्य में अवैध परिवहन के जरिए अन्य राज्यों से छत्तीसगढ़ आने वाले धान को रोकने के लिए राज्य के सीमावर्ती जिलों में चेकपोस्ट और कलेक्टर की अध्यक्षता में टॉस्कफोर्स भी बनाए गए हैं। इसके साथ ही मार्कफेड में स्थापित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के माध्यम से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी व्यवस्था की सतत निगरानी की जा रही है। शासन ने स्पष्ट किया है कि धान खरीदी व्यवस्था में किसी भी प्रकार की अनियमितता और अवैध गतिविधि को हर स्तर पर जीरो टॉलरेंस के साथ रोका जाएगा।