CG News: सुशासन सरकार की नीतियों से आर्थिक रूप से मजबूत हुए किसान, हरेली पर सीएम साय ने गिनाई उपलब्धियां, कही ये बड़ी बात

CG News: सुशासन सरकार की नीतियों से आर्थिक रूप से मजबूत हुए किसान, हरेली पर सीएम साय ने गिनाई उपलब्धियां, कही ये बड़ी बात

  •  
  • Publish Date - July 23, 2025 / 08:47 PM IST,
    Updated On - July 23, 2025 / 08:47 PM IST

CG News | Photo Credit: CGDPR

रायपुर: CG News प्रदेश सरकार किसानों के आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। गांव, गरीब और किसान सरकार की पहली प्राथमिकता में हैं। देश की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है और छत्तीसगढ़ धान का कटोरा कहलाता है। मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार की इन डेढ़ साल के अवधि में किसानों के हित में लिए गए नीतिगत फैसलों से खेती किसानी को नया संबल मिला है। बीते खरीफ विपणन वर्ष में किसानों से समर्थन मूल्य पर 144.92 लाख मीेट्रिक टन धान की खरीदी कर रिकॉर्ड कायम किया है। छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार का विशेष महत्व है। हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार है। इस त्यौहार से ही राज्य में खेती-किसानी की शुरूआत होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह त्यौहार परंपरागत् रूप से उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन किसान खेती-किसानी में उपयोग आने वाले कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं और घरों में माटी पूजन होता है। गांव में बच्चे और युवा गेड़ी का आनंद लेते हैं। इस त्यौहार से छत्तीसगढ़ की संस्कृति और लोक पर्वों की महत्ता भी बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में गेड़ी के बिना हरेली तिहार अधूरा है।
Read More: Police Viral Video: ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में धुत मिला आरक्षक, श्रद्धालुओं से की बदसलूकी, वीडियो वायरल होते ही एसपी ने तत्काल किया सस्पेंड
CG Politics मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा पंजीकृत किसानों से समर्थन मूल्य पर प्रति एकड़ 21 क्विंटल 3100 रूपए प्रति क्विंटल की मान से धान खरीदीकर न सिर्फ किसानों को मान बढ़ाया, बल्कि किसानों को उन्नति की ओर ले जाने में भी उल्लेखनीय कार्य किया है। साथ ही किसानों के खाते में रमन सरकार के पिछले दो वर्ष का बकाया धान के बोनस 3716.38 करोड़ रूपए अंतरित कर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर दी है। मुख्यमंत्री का मानना है कि भारत गांवों में बसता है। जब किसान खुशहाल होंगे तो प्रदेश का व्यापार, उद्योग बढे़गा।
Read More: Fake embassy busted in Ghaziabad: लग्जरी कार और आलिशान जिंदगी.. पुलिस ने किया फर्जी दूतावास का भंडाफोड़, किराये के मकान में हो रहा था संचालित
परंपरा के अनुसार वर्षों से छत्तीसगढ़ के गांव में अक्सर हरेली तिहार के पहले बढ़ई के घर में गेड़ी का ऑर्डर रहता था और बच्चों की जिद पर अभिभावक जैसे-तैसे गेड़ी भी बनाया करते थे। हरेली तिहार के दिन सुबह से तालाब के पनघट में किसान परिवार, बड़े बजुर्ग बच्चे सभी अपने गाय, बैल, बछड़े को नहलाते हैं और खेती-किसानी, औजार, हल (नांगर), कुदाली, फावड़ा, गैंती को साफ कर घर के आंगन में मुरूम बिछाकर पूजा के लिए सजाते हैं। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं। कृषि औजारों को धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ के चीला का भोग लगाया जाता है। अपने-अपने घरों में अराध्य देवी-देवताओं की साथ पूजा करते हैं। गांवों के ठाकुरदेव की पूजा की जाती है।
Read More: Chhattisgarh News: “हर दिव्यांग बनेगा सशक्त और आत्मनिर्भर”, सीएम विष्णु देव साय का बड़ा संकल्प, समीक्षा बैठक में दिए पेंशन व उपकरण वितरण में तेजी के निर्देश
हरेली पर्व के दिन पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए औषधियुक्त आटे की लोंदी खिलाई जाती है। गांव में यादव समाज के लोग वनांचल जाकर कंदमूल लाकर हरेली के दिन किसानों को पशुओं के लिए वनौषधि उपलब्ध कराते हैं। गांव के सहाड़ादेव अथवा ठाकुरदेव के पास यादव समाज के लोग जंगल से लाई गई जड़ी-बूटी उबाल कर किसानों को देते हैं। इसके बदले किसानों द्वारा चावल, दाल आदि उपहार में यादवों को भेंट करने की परंपरा रही हैं।
Read More: Korba Crime News: प्रेम विवाह के बाद महिला पंचायत सचिव की मिली अधजली लाश, मां ने समाज के डर से शव लेने से किया इनकार
सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरेली पर्व मनाया जाता है। हरेली का आशय हरियाली ही है। वर्षा ऋतु में धरती हरा चादर ओड़ लेती है। वातावरण चारों ओर हरा-भरा नजर आने लगता है। हरेली पर्व आते तक खरीफ फसल आदि की खेती-किसानी का कार्य लगभग हो जाता है। माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं। कृषि औजारों को धोकर, धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ का चीला भोग लगाया जाता है। गांव के ठाकुर देव की पूजा की जाती है और उनको नारियल अर्पण किया जाता है।
Read More: Dhamtari Crime News: घने जंगल में मिला महिला का कंकाल, 20 दिन से थी लापता, अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा मौत का राज
हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है। परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते है। गेड़ी बांस से बनाई जाती है। दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उन्हें दो भागों में बांटा जाता है। उसे नारियल रस्सी से बांध़कर दो पउआ बनाया जाता है। यह पउआ असल में पैर दान होता है  जिसे लंबाई में पहले कांटे गए दो बांसों में लगाई गई कील के ऊपर बांध दिया जाता है। गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती हैं, जो वातावरण को औैर आनंददायक बना देती है। इसलिए किसान भाई इस दिन पशुधन आदि को नहला-धुला कर पूजा करते हैं। गेहूं आटे को गंूथ कर गोल-गोल बनाकर अरंडी या खम्हार पेड़ के पत्ते में लपेटकर गोधन को औषधि खिलाते हैं। ताकि गोधन को रोगों से बचाया जा सके। गांव में पौनी-पसारी जैसे राऊत व बैगा हर घर के दरवाजे पर नीम की डाली खोंचते हैं। गांव में लोहार अनिष्ट की आशंका को दूर करने के लिए चौखट में कील लगाते हैं। यह परम्परा आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यमान है।
पिहले के दशक में गांव में बारिश के समय कीचड़ आदि हो जाता था उस समय गेड़ी से गली का भ्रमण करने का अपना अलग ही आनंद होता है। गांव-गांव में गली कांक्रीटीकरण से अब कीचड़ की समस्या काफी हद तक दूर हो गई है। हरेली के दिन गृहणियां अपने चूल्हे-चौके में कई प्रकार के छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाती है। किसान अपने खेती-किसानी के उपयोग में आने वाले औजार नांगर, कोपर, दतारी, टंगिया, बसुला, कुदारी, सब्बल, गैती आदि की पूजा कर छत्तीसगढ़ी व्यंजन गुलगुल भजिया व गुड़हा चीला का भोग लगाते हैं। इसके अलावा गेड़ी की पूजा भी की जाती है। शाम को युवा वर्ग, बच्चे गांव के गली में नारियल फेंक और गांव के मैदान में कबड्डी आदि कई तरह के खेल खेलते हैं। बहु-बेटियां नए वस्त्र धारण कर सावन झूला, बिल्लस, खो-खो, फुगड़ी आदि खेल का आनंद लेती हैं।