Cleaning of the premises being done for children in Swami Atmanand School
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। एक और सरकार बेहतर शिक्षा और स्कूली बच्चों को ज्यादा से ज्यादा सरकारी स्कूलों की तरफ आकर्षित करने के लिए तमाम प्रयास कर रही है। स्वामी आत्मानंद हिंदी और अंग्रेजी माध्यम जैसे स्कूलों का प्रारंभिक राज्य सरकार ने कराया है पर ऐसे ही सरकार की महत्वकांक्षी स्कूल में जब बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं तो उनसे स्कूल परिसर की साफ-सफाई इत्यादि का काम कराया जाता है। ताजा मामला सामने आया है स्वामी आत्मानंद हिंदी स्कूल मीडियम स्कूल पेंड्रा का, जिसे पहले तो शासकीय बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक शाला पेंड्रा के नाम से जाना जाता था पर हाल ही में सरकार ने इसको स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल का दर्जा दिया है।
इस स्कूल में करीब 1000 बच्चे पढ़ते हैं और यहां फिलहाल इस भवन में दो अलग-अलग शिफ्ट में दो अलग-अलग स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिसमें पहले शिफ्ट में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल का संचालन होता है और दूसरे पाली में स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल का संचालन हो रहा है। एक तो स्कूल में पढ़ाई के घंटे पहले से ही कम है उस पर से भी जब इस स्कूल के बच्चे पढ़ने के लिए घर से निकलते हैं तो स्कूल में पढ़ाई के समय प्राचार्य के मौखिक आदेश पर स्कूल के शिक्षक पढ़ाना छोड़कर बच्चों से स्कूल कैंपस के अंदर लगे घास-फूंस को कटवाने और फिकवाने जैसा मेहनत का काम कराते दिखाई दिए। यह नजारा देखकर यहां हर कोई हैरान नजर आया।
स्कूल प्रबंधन के आदेश के आगे बच्चे नतमस्तक नजर आए और अपना भविष्य संवारने की बजाय स्कूल का कैंपस सवारने का काम काफी देर तक करते रहे। स्कूल टाइम के जिस दौरान में बच्चों के हाथ में किताब काफी होना था उनके हाथ में तसला और तगड़ी और बोरी और कचरे इत्यादि रखवाया गया। वहीं, मौके पर मौजूद शिक्षक डी आर भार्गव से जब बात किया गया तो उन्होंने बताया कि प्राचार्य के निर्देश पर यह काम कराया जा रहा है और बच्चों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करने के हिसाब से यह काम कराया जा रहा है, जबकि स्कूली बच्चों के किसी भी अभाव अभिभावक से इस प्रकार की कोई सहमति नहीं ली गई थी।
बरसात के शुरुआती दौर में सांप और अन्य जंतुओं के निकलने के लगातार मामला सामने आ रहे हैं। ऐसे में बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति का खतरा बना हुआ रहता है। किसी दूरदराज के गांवों के स्कूलों में यह नजारा होता तो शासन से छिपा भी रहता पर शहर के मध्य और सबसे ऐतिहासिक महत्व वाले स्कूल के साथ ही साथ स्वामी आत्मानंद हिंदी मीडियम जैसे महत्वाकांक्षी स्कूल में बच्चों से इस प्रकार का काम कराए जाने की शहर में भी जमकर निंदा हो रही है। IBC24 से शरद अग्रवाल की रिपोर्ट