Janjgir News: सायबर ठगों ने लूट ली रिटायर्ड क्लर्क की जीवनभर की पूंजी, मनी लांड्रिंग का डर दिखाकर किया डिजिटल अरेस्ट और फिर….

Janjgir cyber crime News: बदमाशों ने वाट्सएप वीडियो कॉलिंग कर डराया और डरने के बाद तुषारकर देवांगन 6 किस्तों में राशि को 4 खातों में ट्रांसफर कर दिया। ठगी के बाद सिटी कोतवाली थाना में FIR दर्ज कराया गया है। पुलिस ने जांच में जुटी है।

HIGHLIGHTS
  • साइबर ठगों के टारगेट में बुजुर्ग और महिलाएं
  • मनी लांड्रिंग में नाम आने और खाते की जांच का डर दिखाया
  • 6 किस्तों में 32 लाख 54 हजार रुपये किया ट्रांसफर

जांजगीर: Janjgir News, जांजगीर में डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है। जहां बदमाशों ने मनी लांड्रिंग में नाम आने का डर दिखाकर रिटायर्ड क्लर्क तुषारकर देवांगन से 32 लाख 54 हजार की बड़ी ठगी की है। बदमाशों ने वाट्सएप वीडियो कॉलिंग कर डराया और डरने के बाद तुषारकर देवांगन 6 किस्तों में राशि को 4 खातों में ट्रांसफर कर दिया। ठगी के बाद सिटी कोतवाली थाना में FIR दर्ज कराया गया है। पुलिस ने जांच में जुटी है।

6 किस्तों में 32 लाख 54 हजार रुपये किया ट्रांसफर

Janjgir cyber crime News, दरअसल, जांजगीर का तुषारकर देवांगन, 2022 में क्लर्क पद से रिटायर्ड हुआ था। अभी 3 जुलाई को उसके पास कॉल आई और उसे बदमाशों ने मनी लांड्रिंग में नाम आने और खाते की जांच कराने का डर दिखाया। इस दौरान डिजिटल अरेस्ट करने को लेकर धमकाया तो रिटायर्ड क्लर्क तुषारकर देवांगन डर गया और उसने 6 किस्तों में 32 लाख 54 हजार रुपये को 4 खातों में ट्रांसफर कर दिया। इस तरह जीवन भर की पूंजी एक ही झटके में खत्म हो गई। मामले में सिटी कोतवाली पुलिस द्वारा FIR दर्ज कर जांच की जा रही है।

साइबर ठगों के टारगेट में बुजुर्ग और महिलाएं

आपको बता दें कि इन दिनों डिजिटल अरेस्ट करने वाले साइबर ठगों के टारगेट में अकेले रहने वाले बुजुर्ग और महिलाएं हैं। बीते दिनों राजधानी रायपुर के विधानसभा इलाके में रहने वाली रिटायर्ड महिला एजीएम से 2.83 करोड़ रुपए की ऑनलाइन ठगी की घटना को अंजाम दिया गया था। इसके पहले पंडरी इलाके की 58 वर्ष की महिला को भी डिजिटल अरेस्ट किया गया था। उनसे 58 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी की गई थी।

दोनों ही मामलों में पीड़िताएं अकेले रहती हैं। उनके साथ परिवार के जागरूक सदस्य नहीं थे। इधर रिटायर्ड एजीएम से ठगी गई राशि को साइबर ठगों ने म्यूल बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया। साइबर ठगों ने रिटायर्ड एजीएम को डिजिटल अरेस्ट करके 2.83 करोड़ रुपए ठग लिए। यह राशि अलग-अलग 11 म्यूल बैंक खातों में ट्रांसफर की गई है। ये खाते फर्म के नाम से भी खोले गए हैं और उत्तरप्रदेश, कर्नाटक आदि में हैं। इन खातों से ठगी की राशि को आरोपियों ने निकाल लिया है। फिलहाल कोई राशि होल्ड नहीं हो पाई है। उल्लेखनीय है कि पीड़िता 50 दिन तक साइबर ठगों की निगरानी में रही। इस बीच जो भी रकम पीड़िता साइबर ठगों के बताए बैंक खातों में जमा करती थी, ठग उसे तत्काल निकाल लेते थे।

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डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?

उत्तर: डिजिटल अरेस्ट एक फर्जी साइबर ठगी तकनीक है जिसमें साइबर ठग खुद को किसी सरकारी एजेंसी (जैसे CBI, ED, या साइबर सेल) का अधिकारी बताकर वीडियो कॉल के जरिए डराते हैं। वे कहते हैं कि व्यक्ति का नाम किसी आपराधिक मामले, खासकर मनी लॉन्ड्रिंग, में जुड़ गया है और अगर वह सहयोग नहीं करेगा तो उसे डिजिटली "गिरफ्तार" कर लिया जाएगा।

साइबर ठगों को पैसे ट्रांसफर कैसे हो जाते हैं?

उत्तर: ठग वीडियो कॉल या फोन पर डराकर पीड़ित से कहते हैं कि अगर वह निर्दोष है तो कुछ सुरक्षा जांचों के लिए पैसे जमा कर दे। फिर वे पीड़ित को बैंक खातों की जानकारी देते हैं जो म्यूल अकाउंट्स होते हैं – ये अस्थायी रूप से खोले गए खाते होते हैं जो पैसे आगे दूसरे खातों में भेजने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

इस तरह की ठगी से कैसे बचा जा सकता है?

उत्तर: किसी भी अज्ञात कॉलर से डरे नहीं, भले ही वो खुद को सरकारी अधिकारी बताए। सरकारी एजेंसियां कभी भी WhatsApp वीडियो कॉल या सामान्य कॉल के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट नहीं करतीं। पैसे भेजने की कोई भी मांग होने पर तुरंत कॉल काटें और स्थानीय पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें। अपने परिवार, खासकर बुजुर्गों को इस तरह की ठगी के बारे में जागरूक करें।

अगर कोई ठगी का शिकार हो जाए तो तुरंत क्या करना चाहिए?

उत्तर: तुरंत 1930 पर कॉल कर साइबर फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराएं। https://cybercrime.gov.in/ पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें। नजदीकी पुलिस थाने में जाकर FIR दर्ज कराएं। जितना जल्दी कार्रवाई होगी, उतना ही अधिक चांस होता है कि रकम होल्ड की जा सके।