Jashpur news : इस गलती के कारण नहीं मिल रहा आरक्षण का लाभ, उरांव समाज ने जिला मुख्यालय में किया प्रदर्शन

Uraanv Samaaj demonstrated its power in the district headquarters आरक्षण का लाभ नहीं मिलने पर उरांव समाज ने जिला मुख्यालय में किया प्रदर्शन

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  • Publish Date - February 20, 2023 / 06:18 PM IST,
    Updated On - February 20, 2023 / 06:18 PM IST

Uraanv Samaaj demonstrated its power in the district headquarters: जशपुर। उरांव एकता महासम्मेलन में डीलिस्टिंग धर्मांतरण और सोसरिया उरांव जनजाति को मात्रात्मक त्रुटि के कारण आरक्षण का लाभ न मिल पाने का मुद्दा जोरों से उठा । कार्यक्रम की मुख्य अतिथि झारखंड की पूर्व सांस्कृतिक व शिक्षा मंत्री गीता उरांव ने डीलिस्टिंग को धर्मांतरित के साथ गैर धर्मांतरित आदिवासियों के लिए नुकसान दायक बताते हुए आदिवासियों के लिए अलग धर्मकोड को पुनः स्थापित किए जाने की पैरवी की ।

मात्रात्मक त्रुटि के कारण नहीं मिल रहा आरक्षण

जशपुर जिला मुख्यालय में भगवान बिरसा मुंडा चौक में सैकड़ों की संख्या में जुटे जनजातीय समाज के लोग ढोल , मांदर की थाप के साथ पदयात्रा निकाले । रैली शहर भर में भ्रमण के बाद आम सभा में बदल गई । इस महासम्मेलन में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के साथ मध्य प्रदेश , झारखंड , उड़ीसा और पश्चिम बंगाल से जनजातीय समाज के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि पहुंचे थे । उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि आदिवासी एकता महासम्मेलन का उद्देश्य भगवान बिरसा मुंडा , कार्तिक उरांव जैसे पूर्वजों के सपने के अनुरूप आदिवासी समाज के विकास पर चर्चा करना है । वहीं,  सौसरिया समाज जनजाति को मात्रात्मक त्रुटि के कारण आरक्षण का लाभ न मिल पाने के मामले में उन्होंने राज्य व केंद्र सरकार से तकनीकी परेशानियों को दूर कर उराव जनजाति के लोगों को आरक्षण सहित सभी सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने का आग्रह किया ।

डीलिस्टिंग पर उन्होंने कहा कि धर्म अंतरित आदिवासियों के साथ हिंदू उरांव भी प्रभावित होंगे, क्योंकि आगामी जनगणना के प्रपत्र के सातवें कालम को हटा दिया गया है। इस काल में जनजातीय मान्यताओं को दर्ज किया जाता था । उन्होंने इसे आदिवासियों की मूल पहचान को मिटाने का प्रयास बताया । झारखंड की पूर्व मंत्री गीताश्री ने कहा कि डीलिस्टिंग पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र है , आदिवासी हिंदू नहीं है कह कर आदिवासियों का कोड को ही विलोपित कर दिया गया है । आदिवासियों को हिंदू बता कर उन्हें विशेष कानूनी अधिकारों से वंचित करने के लिए षड्यंत्र किया जा रहा है उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड ब्रिटिश शासन काल से लेकर 2018 तक रहा है इसे पुनर्स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास चल रहा है और आगे भी यह चलता रहेगा।

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