Kulnath of Kudhur returned home from vanvash after 14 years
Kulnath of Kudhur returned home from vanvash after 14 years: कोण्डागांव। कोण्डागांव जिला अंतर्गत मर्दापाल थाना क्षेत्र का कुधूर जिले का अंतिम सरहदी गांव है, जिसका फायदा नक्सलियों को बखूबी मिलते आया है। एक समय था जब नक्सलियों का यहां तूती बोलता थी। स्कूल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी व तमाम शासकीय भवनों को आतंक का गवाह बनाते हुए तोड़ दिया था। इस क्षेत्र में गश्त में आए जवानों को भी काल के गाल में समाना पड़ा। 28 मई 2007 का वह शाम जब गश्त पर निकले पुलिस जवानों को नक्सलियों के गोली का सामना करना पड़ा और 9 शहीद हो गए। इसी नक्सल भय के चलते कुधूर गांव के स्थानीय कुलनाथ कश्यप को अपने गृह गांव मजबूर होकर छोड़ना पड़ा, क्योंकि पंचायत सचिव होने के चलते वह नक्सलियों के हिट लिस्ट में आ गया था। जिसके बाद अपनी जान बचाकर वह किसी तरह 2007 में गांव छोड़कर निकला गया। इसके बाद जिला मुख्यालय कोण्डागांव के शरण में आकर अपने परिवार के साथ रहर बसर करने लगा।
अब इसी नक्सल आतंक के साए में बसे कुधूर गांव की शक्ल बदल रही है, यहां पुलिस कैंप स्थापित किया गया है। जिसके बाद विकास की नई बयार बहने लगी है। जनपद पंचायत कोण्डागांव अंतर्गत पंचायत सचिव के पद में पदस्थ कुलनाथ कश्यप वर्ष 2007 में अपने ही ग्रह ग्राम कुधूर में बतौर पंचायत सचिव पदस्थ था। गांव का शिक्षित युवक और शासकीय कर्मचारी होने के चलते आए दिन उसका कोण्डागांव और मर्दापाल आना जाना लगा रहता था। यही बात गांव के कथित आका नक्सलियों को रास नहीं आ रही थी। नक्सलियों ने कुधूर गांव से होकर बहने वाली भवरदिही नदी तट पर वर्ष 2007 में कुलनाथ कश्यप और उसके परिवार के लिए जन अदालत लगाया। जहां उसे और उसके परिवार पर पुलिस मुखबिर का आरोप लगाया गया। यहां फरमान सुनाया गया कि, चाहे जो हो जाए कुलनाथ कश्यप या उसके परिवार का कोई सदस्य गांव छोड़कर बाहर नहीं जा सकता। गांव में नक्सल नजरबंद होने के साथ-साथ कुलनाथ कश्यप पर जान का खतरा भी मंडराने लगा।
अपनी जान के खतरे को महसूस करते हुए कुलनाथ कश्यप ने नक्सलियों से अपनी पत्नी के गर्भवती व बीमार होने से कोण्डागांव में उपचार संभव होने की बात पर किसी तरह से गांव से निकलने का बहाना ढूंढ निकाला। गर्भवती पत्नी के उपचार के बहाने कुधूर गांव से निकला कुलनाथ कश्यप वर्ष 2007 के बाद वापस कभी अपने घर कुधूर नहीं गया। पूरे 14 साल घर-परिवार, अपनी मिट्टी से दूर रहने के बाद कुलनाथ कश्यप का घर लौटना केवल पुलिस के सुरक्षा व्यवस्था और विकास कार्य के चलते संभव हो पाया है। आज जब वह अपने घर लौटा तो जिन बच्चों को उसने गोद में देखा था, या उनका वजूद नहीं था, उन बच्चों को किशोरावस्था में मिल पाया है। कईयों की शादी हो चुकी है, तो कई माता-पिता बन चुके हैं। ग्राम पंचायत कुधूर और इससे जुड़े नक्सल खौफ के दिल दहलाने वाले किस्से तत्कालीन बस्तर जिला पुलिस बल में पदस्थ उप निरीक्षक राजेंद्र नाविक अन्य 9 जवानों के साथ एंटी नक्सल गस्त पर 28 मई 2007 के दिन कुधूर के जंगलों में बाइक से गश्त पर निकले। शाम लगभग 4:00 बजे के आसपास गस्त से वापस आते समय नक्सलियों ने पूरी पुलिस दल को अपना निशाना बनाया। इस घटना में उप निरीक्षक राजेंद्र नाविक समते 9 जवान शहीद हो गए। नक्सलियों ने एक जवान को पूरी घटना बयां करने के लिए गंभीर घायल हालत में जीवित छोड़ दिया था।
इसी तरह कुधूर गांव के मुन्ना राम कश्यप की सितंबर 2011, कुधूर सरपंच नकुल कश्यप की 20 नवंबर 2011, पुष्पाल सरपंच जमधार बघेल की 29 नवंबर 2011, कड़ेनार सरपंच गंगाराम कश्यप की 07 दिसंबर 2011, कुधूर उप सरपंच जनाधार कश्यप की 14 मार्च 2012 को नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर हत्या कर दी थी। पुंगरपाल में थाना तो कुधूर और कांटाबास में बना पुलिस का कैंप, विश्वास विकास और सुरक्षा का साबित हुआ न्यू कभी नक्सल भय के चलते गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कुधूर और आसपास के गांव में नक्सली काला दिवस मनाते थे। यहां राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर तिरंगा ध्वज के बजाय काले झंडे फहराकर नक्सली विरोध जताते थे। छत्तीसगढ़ शासन की मंशा अनुरूप कोण्डागांव जिला पुलिस बल ने 1 जनवरी 2022 को पुंगारपाल में थाना का स्थापना किया और देखते ही देखते 5 नवंबर 2022 में मर्दापाल के कुधूर और बस्तर जिला के कांटाबास गांव में पुलिस कैंप की स्थापना की गई। सुरक्षाबलों के प्रयास और विश्वास विकास और सुरक्षा के मंत्र के बाद यहां विकास की नई गाथाएं लिखी जा रही है। यहां चौड़ी सड़क का निर्माण के साथ-साथ कई विकास कार्य अपने पैर पसार रहे हैं। जिन टूटे बिल्डिंगों से नक्सल भय बयां होते थे वहीं अब छोटे बच्चे शिक्षा के साथ अपने भविष्य को गढ़ रहे हैं। यह पहला मौका था जब 26 जनवरी 2023 को गणतंत्र दिवस के अवसर पर कुधूर गांव में तिरंगा झंडा अपने साथ के साथ लहराया है।
पहली बार किसानों ने समर्थन मूल्य पर बेचा धान कोण्डागांव के कुधूर ग्राम पंचायत में कई विकास कार्यों की स्वीकृति मिली है। जिला प्रशासन के अनुसार, पुगारपाल से कपूर तक 6 किमी मुरमीकृत सड़क पूर्ण हो चुकी है, सीमेंट कांक्रीट सडक निर्माण प्रगति पर है। वहीं कुधूर से तुमडीवाल तक सीमेंट कांक्रीट सड़क निर्माण की स्वीकृति दी गयी है। वर्तमान में सड़क का मुरमीकरण पूर्ण हो चुकी है। कुधूर में पुलिस कैम्प स्थापित होने के साथ ही अब इस सड़क निर्माण को तेजी से चलाया जा रहा है। कुधूर से धर्माबड़ा मार्ग पर 6 पुलिया निर्माण प्रगति पर है। कुधूर से शाहपदर तक 1 किमी और शाहपदर से बस्तर लाटापारा तक 1 किमी नाली निर्माण पूर्णता की ओर है। कुधूर से गुमियापाल तक 700 मीटर द्वितीय श्रेणी सड़क निर्माण की स्वीकृति दी गयी है। कुधूर के आश्रित ग्राम तुमडीवाल में 5 हैंडपंप स्थापना की स्वीकृति दी गयी है। भवरडीह नदी में पानी कम होने पर ग्रीष्मकाल के दौरान नलकूप खनन किया जायेगा। क्षेत्र के किसानों और ग्रामीणों को ग्रामीण बैंक मर्दापाल में सप्ताह के एक दिन भुगतान सुविधा के लिए बुधवार दिवस निर्धारित किया गया है।
कुधूर ग्राम पंचायत में एक महिला और 2 पुरूष मेट की नियुक्ति की गयी है। कम्प्यूटर प्रशिक्षित युवक लोकनाथ कश्यप को व्हीएलई नियुक्त किया गया है। 50 एचपी क्षमता के सोलर पावर आधारित लिफ्ट इरिगेशन को मरम्मत कर शुरू कर दिया गया है। तरईबेडा में आंगनबाड़ी केंद्र भवन निर्माण पूर्णता पर है। तुमड़ीवाल के राकसमेटा में आंगनबाड़ी केन्द्र भवन निर्माण छज्जा स्तर पर है। ऐसा पहली बार हुआ जब जिला प्रशासन की पहल से क्षेत्र के किसानों को समर्थन मूल्य पर धान विक्रय के लिए परिवहन की व्यवस्था सुलभ कराने के फलस्वरूप इस क्षेत्र के 107 किसानों ने पंजीयन कराया और 48 किसानों ने 2502 क्विंटल धान का विक्रय किया है। कुधूर के तुमडीवाल में विद्युतीकरण की स्वीकृति के बाद वर्तमान में कार्य शुरू किया गया है। इन सबमें सबसे उल्लेखनीय है, 30 लाख रुपये की लागत से स्टापडेम निर्माण प्रगति पर है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 के तहत ग्राम पंचायत कुधूर के अंतर्गत 6 नाली निर्माण, एक सड़क तथा 6 पुलिया निर्माण की स्वीकृति दी गयी है।