महाराष्ट्र : चेक बाउंस मामले में पूर्व पार्षद को तीन महीने की जेल की सजा

महाराष्ट्र : चेक बाउंस मामले में पूर्व पार्षद को तीन महीने की जेल की सजा

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  • Publish Date - December 26, 2025 / 01:41 PM IST,
    Updated On - December 26, 2025 / 01:41 PM IST

ठाणे, 26 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने चेक बाउंस के मामले में एक पूर्व पार्षद को तीन महीने कैद की सजा सुनाई और उस पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा कि पूर्व पार्षद के इस कृत्य ने पीड़ित को खासा वित्तीय नुकसान पहुंचाया था।

कल्याण अदालत के पांचवें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आई.ए.आर. शेख ने पूर्व शिवसेना पार्षद काशिफ इमामुद्दीन टंकी को परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 (दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 255(2) के साथ पढ़ा जाए) के तहत आरोपों का दोषी पाया।

अदालत ने पार्षद पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया और तीन महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने स्पष्ट किया कि जुर्माना न भरने पर तीन महीने के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा दी जाएगी।

एक दिसंबर को पारित आदेश की एक प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध कराई गयी।

शिकायतकर्ता सादिकुज्मा दाऊद खान रेलवे विभाग के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी और कल्याण पश्चिम के निवासी हैं। वह 2005 के नगरपालिका चुनावों के समय से टंकी को जानते थे, और 2022 में टंकी ने उनसे 2.38 लाख रुपये के ऋण के लिए संपर्क किया, जिसे उसने छह महीने के भीतर चुकाने का वादा किया था।

खान ने नकद और चेक के रूप में धनराशि उपलब्ध कराई, और अगस्त 2022 में टंकी ने ऋण चुकाने के लिए एक चेक जारी किया। हालांकि, जब शिकायतकर्ता ने चेक जमा किया, तो उसे ‘खाता बंद’ टिप्पणी के साथ बिना भुगतान के लौटा दिया गया।

सितंबर 2022 में भेजे गए कानूनी नोटिस के बावजूद, टंकी ने राशि वापस नहीं की, जिसके चलते खान ने कल्याण अदालत में मुकदमा दायर किया।

मुकदमे की सुनवाई के दौरान खान की मृत्यु के बाद, उनके परिवार के सदस्यों ने मुकदमे को जारी रखा।

वरिष्ठ अधिवक्ता यासिर पेशीमाम के नेतृत्व में टंकी के बचाव पक्ष ने दावा किया कि पूर्व पार्षद ने 2018 में केवल 50,000 रुपये उधार लिए थे और वह राशि पहले ही चुका चुके थे। उन्होंने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने उस समय दिए गए एक खाली (ब्लैंक) ‘सुरक्षा चेक’ का दुरुपयोग करके अतिरिक्त धन की मांग की थी।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने पाया कि आरोपी ने शिकायतकर्ता को काफी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है और उसे उसके कानूनी हक से वंचित किया है।

भाषा तान्या मनीषा

मनीषा