रायपुरः प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब दो साल से भी कम वक्त बचा है, लेकिन दोनों दल जानते हैं कि अगर सत्ता पानी है तो अभी से पार्टी के लिए माहौल बनाना होगा। इसी रणनीति के तहत आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला सा चल पड़ा है। इस बार मुद्दा है माफिया का। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने आरोप लगाया है कि सरकारी संरक्षण में माफिया तांडव मचा रहे हैं। जिसपर कांग्रेस ने जवाब करारा दिया है कि बीजेपी के 15 साल के राज में माफिया को बढ़ावा मिला था और उसकी विदाई के साथ ही प्रदेश से माफिया युग का भी अंत हो चुका है।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में माफिया को लेकर वार-पलटवार का सिलसिला ये नया नहीं है। सत्ता में बेदखल होने के बाद बीजेपी कई मौकों माफिया को खूली छूट देने का आरोप सरकार पर लगाती आई है, लेकिन इस बार जुबानी जंग निकाय चुनाव में बीजेपी की अप्रत्याशित हार के बाद शुरू हुई है। दरअसल हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनाव में एकतरफा जीत के बाद कांग्रेस जहां उत्साहित है और पार्टी नेता मेयर चुनने की कवायद में जुटें हैं। तो दूसरी ओर हार से हताश बीजेपी ने हार के लिए अप्रत्यक्ष तौर पर माफिया को जिम्मेदार ठहराया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने आरोप लगाया है कि माफिया को संरक्षण देकर राज्य सरकार चुनाव में किए गए मदद का एहसान चुका रही है..साथ ही कहा कि प्रदेश में सभी तरह के माफिया को सरकार का संरक्षण हासिल है। यही वजह है कि वो बिना किसी डर प्रदेश की संपदा का दोहन कर रहे हैं।
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माफिया के बढ़ते हौसले के लिए विपक्ष सीधे-सीधे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया तो कांग्रेस ने भी जवाबी हमला किया। कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे ने तीखा पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को सिवाय आरोप लगाने के कुछ नहीं आता है। कभी सांप्रदायिकता की बात करते हैं, कभी धर्म परिवर्तन की बात करते हैं। सारे दांव फेल होने के बाद अब माफिया को संरक्षण देने का राग अलाप रहे हैं जबकि सच्चाई ये है कि बीजेपी के 15 साल के राज में सभी तरह के माफिया फले-फूले हैं।
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आरोप-प्रत्यारोप की सियासत के बीच सवाल ये है कि क्या किसी भी सरकार के वक्त ये खेल पूरी तरह से नियंत्रित हो सका है। इसमें भी कोई शक नहीं कि माफिया की इस दबंगई के पीछे कुछ सफेदपोशों का संरक्षण हमेशा रहा है चाहे सरकार किसी की भी हो। हालांकि सीएम भूपेश बघेल कई मौको पर माफिया को आड़े हाथों लिया है।