रायपुर, 16 अक्टूबर (भाषा) छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ क्षेत्र नक्सल हिंसा से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं, जबकि दक्षिण बस्तर में यह लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।
साय ने एक बयान में कहा कि पिछले दो दिन में 258 नक्सलियों के आत्मसमर्पण से यह सिद्ध होता है कि आज बंदूक नहीं, बल्कि विश्वास की ताकत जीत रही है।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में साय ने कहा, ‘‘उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ हुए नक्सलमुक्त, बस्तर में शांति और विकास का नया युग। माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी आपका आभार, आपने देशभर में चल रहे नक्सल उन्मूलन अभियान की ऐतिहासिक सफलता को रेखांकित किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बीते दो दिन में 258 नक्सलियों का आत्मसमर्पण इस बात का प्रतीक है कि अब बंदूक नहीं, विश्वास की शक्ति जीत रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत आज नक्सलवाद के अंत की दहलीज पर है।’’
मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बीते 22 महीनों में छत्तीसगढ़ में 477 नक्सली मारे गए, 2,110 ने आत्मसमर्पण किया और 1,785 गिरफ्तार किए गए। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े राज्य को नक्सलमुक्त बनाने के उनके संकल्प का प्रमाण हैं।
साय ने कहा, ‘‘31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य अब बहुत निकट है। यह परिवर्तन हमारी ‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025’ और ‘नियद नेल्ला नार’ योजना की सफलता का प्रमाण है। ‘डबल इंजन’ सरकार की संवेदनशील नीतियों, बस्तर में स्थापित हो रहे सुरक्षा शिविरों तथा वनांचलों में शासन के प्रति बढ़ते विश्वास ने ही इस सकारात्मक परिवर्तन को संभव बनाया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर अब नक्सल आतंक से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर में यह लड़ाई निर्णायक चरण में है।… जो नक्सली शांति और विकास का मार्ग चुनना चाहते हैं, उनका स्वागत है। लेकिन जो बंदूक उठाकर समाज में आतंक फैलाना चाहते हैं, उन्हें हमारी सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।’’
साय ने कहा, ‘‘हिंसा की राह अंतहीन पीड़ा देती है, जबकि आत्मसमर्पण एक नयी शुरुआत का द्वार खोलता है। मैं सभी नक्सलियों से अपील करता हूं-अपनी मातृभूमि के भविष्य और अपने परिवारों के उज्ज्वल कल के लिए हथियार छोड़ें और विकास की रोशनी में कदम रखें। जय बस्तर, जय छत्तीसगढ़, जय हिन्द।’’
इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में यह एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि छत्तीसगढ़ में 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता! छत्तीसगढ़ में आज 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि कल 27 ने हथियार डाले थे। महाराष्ट्र में भी कल 61 नक्सली मुख्यधारा में लौटे। यानी दो दिनों में कुल 258 वामपंथी उग्रवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है।’’
शाह ने कहा, ‘‘मैं उनके इस निर्णय की सराहना करता हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार की सतत कोशिशों का ही परिणाम है कि नक्सलवाद अब अंतिम सांसें ले रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति स्पष्ट है: जो आत्मसमर्पण करना चाहते हैं, उनका स्वागत है; लेकिन जो हथियार उठाए रखेंगे, उन्हें हमारी सुरक्षा बलों की कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। सभी नक्सलियों से मेरी अपील है कि वे हथियार छोड़ें और मुख्यधारा में लौट आएं।’’
पुलिस सूत्रों के अनुसार, बृहस्पतिवार को 120 नक्सली आत्मसमर्पण के लिए बीजापुर पहुंचे, जबकि बुधवार को 50 नक्सली कांकेर जिले में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के शिविर में पहुंचे थे।
बताया गया कि ये सभी 170 नक्सली शुक्रवार को जगदलपुर में मुख्यमंत्री साय के समक्ष औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण करेंगे।
बस्तर क्षेत्र में कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और कांकेर जिले तथा महाराष्ट्र के गढ़चिरौली से सटे अबूझमाड़ क्षेत्र कभी वरिष्ठ नक्सली कैडरों का ठिकाना और गुरिल्ला प्रशिक्षण का अड्डा माना जाता था।
भाषा संजीव खारी
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