बचपन से ही साहसी रहा है राहुल साहू, पिता ने बताया- ये खूबियां भी हैं बेटे में

लंबे अभियान के बाद मंगलवार रात बोरवेल से बाहर निकाले गए राहुल के पिता ने कहा, ''अपनी इसी ताकत की मदद से वह पांच दिन तक बोरवेल के अंदर जीवित रहा। ''

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  • Publish Date - June 15, 2022 / 05:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

Rahul latest updates in Hindi: रायपुर, 15 जून ।  छत्तीसगढ़ के एक गांव में पांच दिन तक एक बोरवेल में फंसे रहे 11 वर्षीय लड़के राहुल साहू के साहस की तारीफ हो रही है। राहुल के पिता राम कुमार साहू ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि मानसिक रूप से कमजोर होने के बावजूद उसने हमेशा साहस दिखाते हुए साइकिल चलाना, तैरना और यहां तक कि ढोल-तबला बजाना भी सीखा।

लंबे अभियान के बाद मंगलवार रात बोरवेल से बाहर निकाले गए राहुल के पिता ने कहा, ”अपनी इसी ताकत की मदद से वह पांच दिन तक बोरवेल के अंदर जीवित रहा। ”

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के एक अधिकारी ने कहा कि बोरवेल के अंदर एक सांप और बिच्छू थे, जिसे लेकर बचाव दल चिंतित थे, लेकिन बच्चे को उनसे डर नहीं लगा।

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Rahul latest updates in Hindi: बचावकर्मियों ने बच्चे तक पहुंचने के लिए समानांतर गड्ढा खोदा व सुरंग बनाई और मंगलवार रात 11.55 बजे उसे बाहर निकाल लिया।

जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने बताया कि लड़के को अस्पताल ले जाया गया और उसकी हालत स्थिर है।

बुधवार सुबह मुख्यमंत्री कार्यालय ने राहुल की तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा: “जांजगीर के बहादुर राहुल साहू सोकर उठ गए हैं। उन्होंने नाश्ता भी कर लिया है। उन्हें हल्का सा बुखार है, बाकी ठीक है।”

बचाव अभियान में कई चुनौतियां थीं, लेकिन बचाव दल के समर्पण और बच्चे के साहस के सामने कोई चुनौती नहीं टिक पाई।

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राज्य की राजधानी रायपुर से 200 किलोमीटर दूर जांजगीर-चंपा जिले का पिहरिड गांव बीते शुक्रवार उस समय देश-विदेश में चर्चा में आ गया था जब राहुल अपने घर के पीछे फिसलकर 80 फुट गहरे गड्ढे में गिर गया था और लगभग 69 फुट गहराई में फंस गया था।

लगभग पांच दिनों तक कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, न तो बचाव दल और न ही राहुल ने हिम्मत हारी।

कई एजेंसियों के 500 से अधिक कर्मियों की एक संयुक्त टीम ने 100 घंटे से अधिक लंबे अभियान के बाद, मंगलवार रात उसे बचा लिया।

लड़के को पड़ोसी बिलासपुर जिले के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसके साथ उसकी मां और परिवार के कुछ अन्य सदस्य हैं।

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राहुल को बचाए जाने के बाद उसके पिता राम कुमार साहू ने राहत की सांस लेते हुए कहा, ‘मेरा बेटा मानसिक रूप से थोड़ा कमजोर है और ठीक से बात नहीं कर पाता। वह ‘मां’ और ‘पापा’ बोलता है, लेकिन जब उसे भोजन व पैसे की आवश्यकता होती है, तब वह इशारों में बात करता है।”

उन्होंने कहा, ”लेकिन, वह सामान्य बच्चों की तरह अन्य सभी गतिविधियां करता है। वह साइकिल चलाता है, नदी में तैरता है और सभी खेल खेलता है। वह खेत के काम में भी मेरी मदद करता है।”

इससे पहले, राहुल का गांव के एक स्कूल में दाखिला कराया गया था, लेकिन शिक्षकों ने उसके पिता से उसे दिव्यांग बच्चों के स्कूल में भेजने को कहा जिसके बाद उसने स्कूल छोड़ दिया।