Chief Minister Bhupesh Baghel statement on ajit jogi

‘जोगी जब तक साथ रहे हमारी हार होती रही’, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान पर गर्म हुई सियासत

Chief Minister Bhupesh Baghel statement on ajit jogi: यह देखने और समझने वाली बात है। ऐसे हालत में सीएम भूपेश बघेल का यह बयान कि जोगी जब तक साथ रहे, हमारी हार होती रही को लेकर भी सियासत शुरू हो गई है।

Edited By :   Modified Date:  June 9, 2023 / 06:38 PM IST, Published Date : June 9, 2023/6:38 pm IST

Chief Minister Bhupesh Baghel statement on ajit jogi: रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा चुनावों की तैयारियों में जुटी हुई हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी से लेकर बसपा और जोगी कांग्रेस भी अलग अलग रणनीतियों के साथ भाजपा और कांग्रेस के वोटों में सेंध लगाने की तैयारी कर रहे हैं। उधर सर्व आदिवासी समाज ने भी हुंकार भरी है। ऐसे में कांग्रेस कैसे अपने वोटों को बंटने से रोकने की रणनीति बना रही है। यह देखने और समझने वाली बात है। ऐसे हालत में सीएम भूपेश बघेल का यह बयान कि जोगी जब तक साथ रहे, हमारी हार होती रही को लेकर भी सियासत शुरू हो गई है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यह बयान इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है..इसे लेकर जमकर सियासत भी हो रही है…सीएम भूपेश बघेल के अजीत जोगी को लेकर दिए इस बयान के सियासी मायने को समझने की जरूरत है। दरअसल प्रदेश में पिछले 23 सालों से भाजपा और कांग्रेस ही मुख्य दल रहे हैं, लेकिन तीसरी पार्टी के रूप में कभी बसपा, कभी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तो कभी जनता कांग्रेस दोनों दलों की चुनावी संभावनाओं पर सेंध लगाते रहे हैं। 2018 में तो बसपा और जोगी कांग्रेस गठबंधन ने 14 फीसदी वोट और 7 सीटें हासिल की। लगभग डेढ़ दर्जन सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी दूसरे और तीसरे स्थान पर भी रहे।

Chief Minister Bhupesh Baghel statement on jogi  माना गया कि इस गठबंधन ने सत्ता विरोधी वोटों को बांटने का काम किया इसलिए भी भाजपा को कई सीटों पर जीत मिली। इसलिए अब कांग्रेस नहीं चाहती कि 2023 में ऐसी स्थिति बने और मुकाबला त्रिकोणीय हो, क्योंकि आगामी चुनाव में भी कई छोटी पार्टियां चुनावी अखाड़े में दमखम दिखाने की तैयारी कर रही हैं। बसपा और आदिवासी समाज के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। जोगी कांग्रेस और आप भी सियासी जोर आजमाइश में पीछे नहीं है। कांग्रेस को आशंका है कि इन दलों को मिलने वाले वोटों का लाभ भाजपा को न हो जाए। ऐसे में कांग्रेस इस चुनाव को हर कीमत पर त्रिकोणीय होने से रोकना चाहती है। भाजपा भी तीसरे मोर्चे की जरूरत को नकारते हुए अपनी सरकार बनाने की बात कहती है। वहीं जोगी कांग्रेस भी अपनी रणनीति के साथ मैदान पर होने की बात कह रही है।

छत्तीसगढ़ के लिए 2023 का चुनाव इसलिए भी खास होगा, क्योंकि 23 सालों में पहली बार कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए सीटें बचाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। ऐसे में अगर उसे मिलने वाले वोट बंटेंगे तो मुश्किलें बढ़ेंगी, जबकि भाजपा को कई जगहोें पर सहयोगियों की जरूरत है, ऐसे में तीसरे मोर्चे की भूमिका अपने आप ही अहम हो जाती है।

सौरभ परिहार, आईबीसी 24, रायपुर

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