CG Ki Baat: सांय-सांय विकास..पूरी कितनी आस? 1 साल..सियासत आर-पार! सरकार के एक साल के कामकाज को विपक्ष ने दिए कितने नंबर?
CG Ki Baat: सांय-सांय विकास..पूरी कितनी आस? 1 साल..सियासत आर-पार! सरकार के एक साल के कामकाज को विपक्ष ने दिए कितने नंबर?
CG Ki Baat । Image Credit: IBC24
रायपुर। CG Ki Baat: 13 दिसंबर को साय सरकार ने अपने कार्यकाल का पहला साल पूरा कर लिया है। इस मौके को खास बनाने सरकार ने एक पॉलिटिकल इवेंट प्लान किया है। स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अपने एक साल में पूरे हुए कामों का ब्योरा जनता के बीच रखा। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर, जनता तक अपने काम पहुंचाने के लिए एक बुकलेट जारी की। 13 तरीख को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा के साथ कुछ बड़े मंच भी तैयार है। दूसरी तरफ सरकार के एक साल पर विपक्ष ने तीखा प्रहार कर कहा है कि, सरकार चला कौन रहा है पता ही नहीं चला, सरकार हर मोर्चे पर फेल है। दोनों पक्षों से आज खुलकर डिबेट करेंगे, जानने की कोशिश करेंगे कि आंकड़ों से परे सच्चाई क्या है किसके दावे कितने खरे हैं ?
13 दिसंबर 2023 को विष्णुदेव साय ने मुख्यमंत्री पद की शपथ के साथ प्रदेश की कमान संभाली, जिसका एक साल पूरा होने पर सरकार का एक साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए छत्तीसगवासियों के नाम ‘विष्णु की पाती’ नाम की पुस्तिका का विमोचन किया, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर CM साय ने दावा किया कि एक साल में उनकी सरकार ने प्रदेश की जनता का भरोसा कमाया है। मोदी की गारंटी के तहत गरीबों का आवास, नल-जल योजना और नक्सवाद के खात्मे पर सरकार ने खरा काम किया, तो महतारी वंदन योजना के तहत 70 लाख महिलाओं को 10 किश्तों का भुगतान कर विष्णु के सुशासन का नाम भी कमाया। इसके अलावा किसानों का 3100 रुपये के हिसाब से 21 क्विंटल धान और पिछळी सरकार का 2 साल का बकाया बोनस देकर सौ फीसद वादा निभाने का संकल्प भी दोहराया।
CG Ki Baat: एक तरफ, एक साल के कार्यकाल को सरकार के सुशासन और जनता भरोसे का प्रतीक बताते हुए साय सरकार ने अपनी पीथ थपथपाई तो दूसरी तरफ विपक्ष के नेता डॉ महंत ने सरकार के परफॉर्मेंस को पासिंग नंबर लायक भी नहीं माना है। विपक्ष के मुताबिक पिछले एक साल जैसे सरकार चली है उसमें 33 परसेंट नंबर भी नहीं दिये जा सकते। इस तीखे प्रहार पर जवाब दिया डिप्टी CM विजय शर्मा ने कहा कि। वैसे पक्ष के दावे और विपक्ष के प्रहार पूरी तरह लाजिमी है, सरकार ने एक साल की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने बाकायदा एक बुकलेट छपाई है तो विपक्ष ने सरकार की नाकामियों का हिसाब कर पोल-खोल अभियान छेड़ा है, लेकिन असल निर्णयकर्ता है जनता उसने साय सरकार के पहले साल को कैसे आंका है पास या फेल, डिस्टिंक्शन या पासिंग मार्क्स ?

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