CG Ki Baat/ Image Credit: IBC24
रायपुर। CG Ki Baat: छत्तीसगढ़ विधानसभा में भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजा घोटाले का मुद्दा उठा। विपक्ष के सवाल पर सरकार ने जवाब दिया। विभ ने CBI जांच की मांग की, ना सिर्फ मांग की बल्कि उसी मांग पर अड़े रहकर जमकर हंगामा किया, वॉकआउट भी किया। विपक्ष CBI जांच की मांग पर अब सत्तापक्ष ने सवाल पूछा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी के खिलाफ धरना देने वाली कांग्रेस, CBI को अपने शासनकाल में बैन करने वाली कांग्रेस को अचानक CBI पर इतना भरोसा कैसे जागा ? सरकार ने मांग को खारिज कर दी है जिसपर सत्ता-विपक्ष के ठनी हुई है।
बुधवार को विधानसभा में एक बार फिर छत्तीसगढ़ को विशाखापट्टनम से जोड़ने वाले महत्वाकांक्षी भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे के नाम पर हुई बड़ी धांधली की गूंज सुनाई पड़ी। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत के सवाल पर मंत्री राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने सदन में स्वीकार किया कि, भारतमाला प्रोजेक्ट में मुआवजे के नाम पर बड़ी गड़बड़ी हुई है। प्रोजेक्ट की अधिसूचना जारी होने के बाद, प्रोजेक्ट में आने वाली जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर, उसका अलग-अलग नामों पर नामांतरण करवाया गया या गया, जमीन का मुआवजा भी गलत लोगों को दिया गया, ये सबकुछ हुआ पिछली सरकार के कार्यकाल में, गड़बड़ी सामने आने पर प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी सस्पेंड भी किए गए। मंत्रीजी के जवाब पर नेता प्रतिपक्ष डॉ महंत ने मामले की जांच CBI से कराने की मांग की है। विपक्ष का आरोप है कि अकेले रायपुर में 43 करोड़ का फर्जी मुआवजा दिया गया, जबकि पूरे प्रदेश में करीब 350 करोड़ का मुआवजा घोटाला हुआ है लिहाजा, इसकी CBI जांच होना चाहिए। विभागीय मंत्री टंकराम वर्मा ने CBI जांच की मांग खारिज करते हुए, संभाग आयुक्त से जांच कराने की घोषणा की।
हालांकि, नेता प्रतिपक्ष CBI जांच की मांग पर अड़े रहे, उन्होंने मुख्यमंत्री से घोटाले की CBI जांच की मांग की है, और ऐसा होने पर कोर्ट जाने की चेतावनी दीजवाब में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कटाक्ष कर कहा कि, कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क है। घोटाला कांग्रेस सरकार के समय का है, सरकार में रहते जिस कांग्रेस ने CBI को राज्य में बैन किया अब वो उसी CBI जांच पर भरोसा जताकर अड़ा हुआ है। मुद्दे पर सदन के भीतर पक्ष और विपक्ष की तीखी बहस हुए, जिसके बाद असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।
CG Ki Baat: कुल मिलाकर भारतमाला प्रोजेक्ट की शुरूआती जांच में हैरान करने खुलासे हुए हैं। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मुआवजे की राशि हड़पने आपसी सांठगांठ कर सरकार को करोड़ो की चपत लगाई गई। कार्रवाई हुई जरूर लेकिन सिर्फ SDM पटवारी जैसे छोटे अफसरों पर जबकि ये सब बड़े IAS अफसरों और सफेदपोश नेताओं की शह पर हुआ है जिनके नाम और कारनामे तभी सामने आएंगे जब निष्पक्ष जांच हो, लेकिन सवाल है विपक्ष की CBI जांच पर अड़ने का, वही CBI जिसपर कांग्रेस को सत्ता में रहते भरोसा नहीं था, जिसे कांग्रेस सरकार ने राज्य में बैन करने का काम किया था तो आज फिर उसी पर इतना भरोसा क्यों ?