Karma Tihar in CM House: करमा तिहार के रंग में डूबा मुख्यमंत्री निवास, सीएम साय ने करमा दलों को किया सम्मानित, कहा- परंपरा को जीवंत रखना हमारा नैतिक कर्तव्य

Karma Tihar in CM House: करमा तिहार के रंग में डूबा मुख्यमंत्री निवास, सीएम साय ने करमा दलों को किया सम्मानित, कहा- परंपरा को जीवंत रखना हमारा नैतिक कर्तव्य

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  • Publish Date - September 4, 2025 / 01:21 PM IST,
    Updated On - September 4, 2025 / 01:21 PM IST

Karma Tihar in CM House/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • मुख्यमंत्री निवास में गूंजे करमा गीत,
  • CM साय ने दलों को सम्मानित कर बढ़ाया उत्साह,
  • साय बोले- परंपरा को जीवंत रखना हमारा नैतिक कर्तव्य,

रायपुर: CG News: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय विगत दिवस मुख्यमंत्री निवास, नवा रायपुर में छत्तीसगढ़ आदिवासी कंवर समाज युवा प्रभाग रायपुर द्वारा आयोजित प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत – 2025 करमा तिहार कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक विधान से पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
मुख्यमंत्री साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर है। इस संस्कृति एवं परंपरा को जीवंत बनाए रखना न केवल हमारी जिम्मेदारी, बल्कि नैतिक कर्तव्य भी है। ऐसे पर्व और परंपराएँ समाज को एकजुट होने का अवसर देती हैं, जिससे स्नेह, सद्भाव एवं सौहार्द की भावना विकसित होती है। Karma Tihar in CM House

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Karma Tihar in CM House: मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि कंवर समाज के युवाओं द्वारा राजधानी रायपुर में करमा तिहार का आयोजन किया जा रहा है। हमारी आदिवासी संस्कृति में अनेक प्रकार के करमा तिहार मनाए जाते हैं। आज एकादशी का करमा तिहार है, जो हमारी कुंवारी बेटियों का पर्व है। इस करमा तिहार का उद्देश्य है कि हमारी बेटियों को उत्तम वर और उत्तम गृहस्थ जीवन मिले। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर बेटियाँ अच्छे वर और अच्छे घर की कामना करती हैं। इसके बाद दशहरा करमा का पर्व आता है, जिसमें विवाह के पश्चात पहली बार जब बेटी मायके आती है, तो वह उपवास रखकर विजयादशमी का पर्व मनाती है। इसी प्रकार जियुत पुत्रिका करमा मनाया जाता है, जिसमें माताएँ पुत्र-पुत्रियों के दीर्घायु जीवन की कामना करती हैं। यह एक कठिन व्रत होता है, जिसमें माताएँ चौबीस घंटे तक बिना अन्न-जल ग्रहण किए उपवास करती हैं।

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Karma Tihar in CM House: मुख्यमंत्री साय ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यदि छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां अंग्रेजों के विरुद्ध 12 आदिवासी क्रांतियाँ हुईं। हमारी सरकार नया रायपुर स्थित ट्राइबल म्यूजियम में आदिवासी संस्कृति के महानायकों की छवि को आमजन की जागरूकता के लिए प्रदर्शित करने मॉडल के रूप में उकेरा जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित रजत जयंती समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को आमंत्रित किया जा रहा है। उनके करकमलों से इस म्यूजियम का शुभारंभ किया जाएगा।

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Karma Tihar in CM House: मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हमारी सरकार आदिवासी समाज के सशक्तिकरण पर विशेष जोर देती रही है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आजादी के लगभग 40 वर्षों बाद आदिवासी विभाग का पृथक मंत्रालय बनाकर आदिवासी समाज के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हीं के बताए मार्ग पर वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी आदिवासी समाज के बेहतरी एवं समग्र विकास के लिए धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान एवं विशेष पिछड़ी जनजाति समाज के लिए पीएम जनमन योजना का संचालन कर रहे हैं, जिससे हितग्राहियों को शत-प्रतिशत योजनाओं का लाभ मिल रहा है। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह ने बस्तर, सरगुजा एवं मध्य क्षेत्र प्राधिकरण का गठन कर विकास को गति प्रदान करने का कार्य किया।

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Karma Tihar in CM House: मुख्यमंत्री साय ने आगे कहा कि युवा आदिवासियों को स्वरोजगार से जोड़ते हुए आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से हमने नई उद्योग नीति बनाई है, जिसमें बस्तर एवं सरगुजा क्षेत्रों के लिए विशेष रियायतें दी गई हैं। साथ ही यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आदिवासी बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने में कोई कठिनाई न हो। इसके लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना राज्य में ही की जा रही है।

वन मंत्री केदार कश्यप ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी आदिवासी संस्कृति अत्यंत समृद्ध और गौरवशाली परंपरा रही है। इसी परंपरा के निर्वहन में आज हम करमा तिहार मना रहे हैं। हमारी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। साय जी के नेतृत्व में ही बस्तर संभाग में बस्तर पांडुम के नाम से ओलंपिक का आयोजन किया गया, जिसकी चर्चा पूरे भारत में हुई। कश्यप ने इस अवसर पर समस्त छत्तीसगढ़वासियों को प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत करमा तिहार की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।

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Karma Tihar in CM House: संरक्षक, अखिल भारतीय कंवर समाज विकास समिति पमशाला, जशपुर कौशिल्या साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज और प्रकृति एक-दूसरे के अभिन्न अंग हैं। आदिवासी समाज के लिए प्रकृति सदैव आराध्य रही है। करमा पर्व प्रकृति प्रेम का पर्व है। हमारी संस्कृति अत्यंत गौरवशाली रही है और उसका संरक्षण तथा समय के साथ संवर्धन आवश्यक है। उन्होंने आगे कहा कि समाज की महिलाएँ आगे आकर इस संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने सभी को प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत करमा तिहार की बधाई एवं शुभकामनाएँ दीं।

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Karma Tihar in CM House: इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े, स्कूल शिक्षा मंत्री गजेन्द्र यादव, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार मंत्री गुरु खुशवंत साहेब, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री राजेश अग्रवाल, रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक राम कुमार टोप्पो, विधायक आशाराम नेताम, विधायक श्री प्रबोध मिंज, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य वन विकास निगम राम सेवक सिंह पैकरा, केशकला बोर्ड की अध्यक्ष मोना सेन, सभापति जिला पंचायत धमतरी टीकाराम कंवर, प्रदेश अध्यक्ष कंवर समाज हरवंश सिंह मिरी, अध्यक्ष कंवर समाज रायपुर महानगर मनोहर सिंह पैकरा सहित कंवर समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

"भादो एकादशी व्रत करमा तिहार" कब मनाया जाता है?

"भादो एकादशी व्रत करमा तिहार" भाद्रपद माह की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेषकर आदिवासी समुदाय की कुंवारी कन्याओं द्वारा उत्तम वर की प्राप्ति और सुखी गृहस्थ जीवन की कामना हेतु मनाया जाता है।

"करमा तिहार" का क्या महत्व है आदिवासी संस्कृति में?

"करमा तिहार" प्रकृति और परंपरा से जुड़ा पर्व है जो आदिवासी समाज की आस्था, पर्यावरण प्रेम और पारिवारिक मूल्यों को दर्शाता है। इसमें शिव-पार्वती की पूजा के साथ बेटियाँ वर की प्राप्ति की कामना करती हैं।

"भादो एकादशी करमा" और "दशहरा करमा" में क्या अंतर है?

"भादो एकादशी करमा" कुंवारी कन्याओं द्वारा मनाया जाता है जबकि "दशहरा करमा" विवाहित महिलाएँ मनाती हैं जब वे पहली बार मायके आती हैं। दोनों पर्वों का उद्देश्य पारिवारिक सुख, समृद्धि और प्रकृति से जुड़ाव होता है।

"करमा तिहार" के आयोजन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की क्या भूमिका रही?

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नवा रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में कंवर समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भाग लेकर पूजा-अर्चना की और आदिवासी संस्कृति को संरक्षण देने की बात कही।

क्या "करमा तिहार" से जुड़ी कोई सरकारी योजना या सहयोग है?

हाँ, मुख्यमंत्री ने नई उद्योग नीति, ट्राइबल म्यूजियम, शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना, और आदिवासी क्षेत्रों के विशेष विकास जैसे कई पहलुओं पर जानकारी दी जो आदिवासी संस्कृति और आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।