Bastar Lok Sabha Election 2024: रायपुर। 2024 के रण में पहले चरण के नामांकन के आखिरी दिन छत्तीसगढ़ की इकलौती लोकसभा सीट बस्तर से दोनों प्रमुख प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही पक्षों ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए बड़ी नामांकन रैलियां की। दोनों दलों के दिग्गजों ने अपने प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाया और विरोधियों पर जमकर निशाना साधा। इसी से साथ शुरू हो चुकी है 2024 की चुनावी जंग।
कुछ इस अंदाज में बीजेपी-कांग्रेस ने 24 के लिए हुंकार भऱी, पर्चा दाखिले के वक्त ताकत दिखाई। 26 मार्च को कांग्रेस ने प्रदेश की बची 4 सीटों पर कैंडिडेट घोषित कर दिए, जिसके बाद अब पूरे प्रदेश की सभी 11 सीटों पर मुकाबले की तस्वीर साफ है। साथ ही ये भी साफ हो चला है कि मुकाबले में बीजेपी और कांग्रेस के सियासी शस्त्र क्या होंगे। दूसरी तरफ कांग्रेस भी डटकर चुनावी मुकाबले का दावा करती है, उसके सियासी हथियार हैं- पहला- अपने दिग्गज नेताओं पर दांव, दूसरा- वर्ग-क्षेत्र-जातिगत समीकरणों का ध्यान, तीसरा- डबल इंजन पर वार और चौथा- जातिगत जनगणना की मांग के साथ राहुल की गारंटी।
नामांकन रैली के दौरान रणनीति के मुताबिक, भाजपा नेताओं ने मंच से महादेव घोटाला, कोल घोटाला, शराब घोटाला पर कांग्रेस को घेरा, साय सरकार की 100 दिन में मोदी गारंटी को पूरा करने का जिक्र किया तो कांग्रेस नेताओं ने बीजेपी से लोकतंत्र को खतरा बताया, डबल इंजन की नाकामी गिनाई और देश में कांग्रेस सरकार बनने पर महिलाओं को 1 लाख रुपये सालाना देने की गारंटी याद दिलाई।
Bastar Lok Sabha Election 2024: जीत के दावों के बीच, दोनों पक्षों में बाहरी प्रत्याशी को लेकर भी बहस छिड़ी हुई है। बीजेपी ने कांग्रेस को घेरते हुए आरोप लगाया कि पहले प्रदेश सरकार दुर्ग की सरकार कहलाती थी, अब भी कांग्रेस ने स्थानीय नेताओं को छोड़ 11 में से 4 सीटों पर दुर्ग के दिग्गज नेताओं को टिकट दिया। जवाब में कांग्रेस ने गिरेबांन में झांकने की नसीहत के साथ याद दिलाया कि बीजेपी ने भी दुर्ग की कद्दावर नेता सरोज पांडेय को कोरबा से मैदान में उतार है, गुजरात के मोदी भी यूपी के वाराणसी से चुनाव लड़ते हैं।
वैसे कांग्रेस प्रत्याशियों के सामने दोहरी मुश्किल है, विरोधी उन्हें घोटालों, FIR, भ्रष्टाचार पर घेर रहे हैं तो उनके अपने पाला बदलने की दौड़ में हैं। टिकट बदलने की मांग पर अनशन प्रदर्शन का मोर्चा खोले हैं। बस्तर की बाजी कौन जीतेगा, किसकी रणनीति ज्यादा असरदार है, ये चार जून को ही साफ होगा।