'टिकट स्वैप' का दांव...'सांसद' लड़ेंगे चुनाव! नए इलाकों में जाने से नेताओं की सियासी जमीन पर क्या असर ?
रायपुर । भाजपा छत्तीसगढ़ की चुनावी लड़ाई में जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है। इस बार वो कई नए प्रयोग कर सकती है। इसके तहत भाजपा कुछ विधायकों को लोकसभा का और कुछ सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़वा सकती है। हालांकि इस फैसले पर अभी कोई बीजेपी नेता कुछ भी बोलने से बच रहा है। बीजेपी के इस नए प्रयोग की संभावना पर कांग्रेस तंज कस रही है। तो बीजेपी अगर सांसदों और विधायकों के टिकट की अदला बदली करती है। को क्या इसके नफा नुकसान दोनों दलों को होंगे… क्या नए सियासी समीकरण बनेंगे। छत्तीसगढ़ के सत्ता संग्राम में जीत के लिए भाजपा पुख्ता रणनीति के साथ पूरा जोर लगा रही है। गृह मंत्री अमित शाह खुद मोर्चा संभाले हुए हैं। वहीं ओम माथुर प्रदेश प्रभारी के साथ साथ चुनाव प्रभारी भी बना दिए गए हैं। अब एक नए प्रयोग की सुगबुगाहट भी बीजेपी में दिख रही है। खबर है कि इस बार कुछ सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है। जिसमें अरुण साव , विजय बघेल, रेणुका सिंह और गुहाराम अजगले के नाम की चर्चा है। वहीं कुछ विधायकों को भी ड्रॉप कर लोकसभा में उतारने की चर्चा है। जिनमें धरमलाल कौशिक, रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल को लोकसभा में उतारने की संभावना जताई जा रही है।
चुनावी रण में सांसद और विधायकों की अदला-बदली का भाजपा का ये प्रयोग कितना सफल होगा.. ये तो सर्द मौसम में गरमागरम नतीजे बताएंगे लेकिन इस प्रयोग की चर्चा भर से भाजपा के कई सांसदों और विधायकों की नींद जरूर उड़ गई है। भाजपा छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के लिए इस बार कई तरह के प्रयोग कर रही है। इसके तहत भाजपा कुछ विधायकों को लोकसभा का और कुछ सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़वा सकती है। इस पर कांग्रेस का तंज है कि भाजपा को विधानसभा के लिए जितने वाले प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं इसलिए वो सांसदो पर दांव लगाने की सोच रही है लेकिन भाजपा के सभी प्रयोग भूपेश बघेल के आगे फेल होंगे । भारतीय जनता पार्टी इस बार किसी भी स्थिति में चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है । राष्ट्रीय नेताओं के लगातार दौरे हो रहे हैं छत्तीसगढ़ की कमान भाजपा के चाणक्य गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल रही है । वही उत्तर प्रदेश में भाजपा का परचम लहराने वाले ओम माथुर को प्रदेश प्रभारी के साथ साथ चुनाव प्रभारी भी बना दिया गया है । चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी इस बार कुछ सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ा सकती है जिसमे प्रमुख रूप से बिलासपुर के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव , मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल , केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह और गुहाराम अजगले का नाम सामने आया है।
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अरुण साव को बिल्हा और तखतपुर से लड़वाया जा सकता है। इसी तरह विजय बघेल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन से या फिर दुर्ग ग्रामीण से उतारा जा सकता है , रेणुका सिंह को प्रेम नगर या प्रतापपुर से लड़ाया जा सकता है । कुछ विधायकों को भी ड्रॉप कर लोकसभा में उतारने की चर्चा है । वर्तमान में धरमलाल कौशिक बिल्हा के विधायक है और उनकी जगह अरुण साव को लड़ा कर धरमलाल कौशिक को बिलासपुर लोकसभा की टिकट दी जा सकती है । इसी तरह रमन सिंह को राजनांदगांव लोकसभा भेजा जा सकता है । चर्चा तो इस बात की भी है कि वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर लोकसभा से उतरवा कर सांसद सुनील सोनी को उनकी जगह दक्षिण में उतारा जा सकता है। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को कोरबा लोकसभा में ध्यान देने को कहा गया है वर्तमान में वहां से कांग्रेस की ज्योत्सना महंत सांसद है । हालांकि भाजपा के नेता इस बारे में कुछ भी बोलने से बच रहे है । वरिष्ठ विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि कौन कहां से चुनाव लड़ेगा इसका फैसला हाईकमान तय करती है, हां ये जरूर है कि जीतने योग्य व्यक्ति को ही मौका दिया जाएगा ।
कांग्रेस इस पर तंज कस रही है । उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के पास जीतने योग्य प्रत्याशी नहीं बचे हैं इसलिए अब वह अपने घिसेपिटे सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाने की तैयारी में है । संसदीय सचिव विकास उपाध्याय का कहना है कि भाजपा किसी को भी चुनाव लड़ा ले कितने भी राष्ट्रीय नेताओं के यहां बुला ले प्रदेश की जनता को भूपेश बघेल पर भरोसा है। फावीओ, सांसद और विधायकों के अदला-बदली का भाजपा का यह प्रयोग कितना सफल होगा और क्या वह फिर से छत्तीसगढ़ में सत्ता में काबिज होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इस तरह की चर्चा से भाजपा के कई सांसदों और विधायकों की नींद जरूर उड़ गई है ।