Vishnu Ka Sushasan: वित्तीय प्रबंधन में सुधार.. विकास को मिली नई रफ्तार, साय सरकार के प्रयासों से छत्तीसगढ़ में राजस्व में हुई वृद्धि

वित्तीय प्रबंधन में सुधार.. विकास को मिली नई रफ्तार, Revenue Increased in Chhattisgarh Due to Efforts of The Sai Government

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 11:55 PM IST,
    Updated On - December 30, 2025 / 12:10 AM IST

रायपुरः Vishnu Ka Sushasan: छत्तीसगढ़ की राजनीति में साय सरकार के दो वर्ष केवल समय की गणना नहीं हैं, बल्कि यह जनआकांक्षाओं, नीतिगत स्पष्टता और प्रशासनिक दृढ़ता का सार्थक संगम हैं। इन दो वर्षों में सरकार ने यह संकेत स्पष्ट किया है कि सत्ता का उद्देश्य केवल शासन नहीं, बल्कि सेवा है और वही इसकी कार्यशैली की आत्मा बनी है। साय सरकार के कार्यकाल की सबसे बड़ी पहचान सुशासन रही है। निर्णयों में पारदर्शिता, योजनाओं के क्रियान्वयन में गति और प्रशासनिक तंत्र में उत्तरदायित्व इन तीनों स्तंभों पर सरकार ने अपनी विश्वसनीयता खड़ी की है। जनहित को केंद्र में रखकर बनाई गई नीतियाँ केवल काग़ज़ों तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर उनका प्रभाव दिखाई दिया। साय सरकार के प्रयासों से आज छत्तीसगढ़ राजकोषीय अनुशासन, सामाजिक योजनाओं में निवेश और पूंजीगत व्यय के संतुलन के साथ एक आत्मनिर्भर वित्तीय मॉडल की ओर अग्रसर है।

Vishnu Ka Sushasan: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई सरकार के दो वर्षीय कार्यकाल का यदि सबसे ठोस और निर्णायक पक्ष देखा जाए, तो वह उसका वित्तीय प्रबंधन है। सीमित संसाधनों और बढ़ती जनआकांक्षाओं के बीच सरकार ने जिस संतुलन, दूरदर्शिता और अनुशासन के साथ आर्थिक निर्णय लिए, वह उसकी प्रशासनिक परिपक्वता को रेखांकित करता है। साय सरकार ने सत्ता संभालते ही यह स्पष्ट कर दिया कि वित्तीय अनुशासन किसी भी विकासशील राज्य की आधारशिला होता है। अनावश्यक व्यय पर नियंत्रण, प्राथमिकताओं का स्पष्ट निर्धारण और संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण ने राज्य की आर्थिक सेहत को मजबूती दी। बजटीय प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देकर सरकार ने जनविश्वास को सुदृढ़ किया। छत्तीसगढ़ में साय सरकार आने के बाद वित्तीय प्रबंधन को लेकर तेजी से काम हुआ है। पूर्ववर्ती सरकार ने राज्य में वित्तीय प्रबंधन को ध्यान न देते हुए मनमाने ढंग से पैसों का खर्च किया, लेकिन साय सरकार ने वित्तीय प्रबंधन को ठीक करने का काम किया

प्रदेश में दिखा विकास का नया मॉडल

छत्तीसगढ़ को संवारने के लिए प्रतिबद्ध साय सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में एक नया विकास का मॉडल देखने को मिल रहा है। कम बजट में बेहतर वित्तीय प्रबंधन के साथ प्रदेश का विकास हो रहा हैएक ओर जहां महिलाओं के साथ-साथ सभी वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में अधोसंरचना के कामों को पूरी प्राथमिकता के साथ पूरा किया जा रहा है। धरातल पर इसकी बानगी देखने को मिलती है। पुल-पुलिया के साथ-साथ सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। जिस समय विष्णुदेव साय को प्रदेश की कमान मिली थी, उस समय पूरवर्ती सरकार की कुप्रबंधन को ठीक करना एक बड़ी चुनौती थी। पिछली सरकार में केवल योजनाओं में पैसे खर्चे गएसाय सरकार ने दोनों को प्राथमिकता के साथ पूरा करने की पहल की। सरकार ने न केवल योजनाएं बनाई, बल्कि अधोसंरचना को भी ठीक करने का काम उतनी ही संजीदगी के साथ पूरा किया। साय सरकार का वित्तीय प्रबंधन इतना तगड़ा है कि इन सब योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हो रहा है। सबके लिए राशि का प्रावधान किया है। देश तो देश.. अब तो दूसरे देशों का प्रतिनिधिमंडल भी यहां की योजनाओं का अध्ययन करने पहुंच रहे हैं। केंद्रीय नेता और भारत के सरकार के मंत्री भी साय सरकार की पीठ थपथपा रहे हैं। कुल मिलाकर यह कहे कि प्रदेश में सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की उक्ति चरितार्थ हो रही है।

राजस्व वृद्धि के मोर्चे पर प्रभावी रणनीति

राजस्व वृद्धि के मोर्चे पर भी सरकार की रणनीति प्रभावी रही। कर संग्रह प्रणाली को सुदृढ़ करने, लीकेज रोकने और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने से राज्य की आय में स्थिरता आई। साथ ही केंद्र प्रायोजित योजनाओं और अनुदानों का बेहतर उपयोग कर राज्य हित में अधिकतम लाभ सुनिश्चित किया गया। सरकार का वित्तीय दृष्टिकोण केवल संख्याओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसका लक्ष्य समावेशी विकास रहा। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास और अधोसंरचना जैसे क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता दी गई। इससे न केवल सामाजिक क्षेत्रों को बल मिला, बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक वृद्धि की नींव भी पड़ी। कर्ज प्रबंधन के संदर्भ में साय सरकार ने संतुलित रवैया अपनाया। उधारी को विकासोन्मुखी परियोजनाओं तक सीमित रखते हुए भविष्य की वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखा गया। इससे राज्य पर अनावश्यक ऋण भार बढ़ने से बचा और वित्तीय जोखिम नियंत्रित रहा। सबसे महत्वपूर्ण यह रहा कि साय सरकार का वित्तीय प्रबंधन संवेदनशील और उत्तरदायी रहा। गरीब, किसान, श्रमिक और वंचित वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को वित्तीय समर्थन देते हुए भी सरकार ने राजकोषीय संतुलन बनाए रखा यह आसान नहीं, परंतु संभव हुआ।

जीएसटी राजस्व वृद्धि दर में अग्रणी

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि अपने नाम की है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य ने कुल ₹16,390 करोड़ का जीएसटी राजस्व संग्रह कर देशभर में सबसे अधिक 18 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की है। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ को जीएसटी राजस्व वृद्धि के मामले में पूरे देश में पहले स्थान पर स्थापित करती है। इस क्रम में महाराष्ट्र 16% और तमिलनाडु 15% की वृद्धि दर के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। मार्च 2025 में छत्तीसगढ़ को SGST मद में ₹1,301.09 करोड़ की प्राप्ति हुई, जो कि मार्च 2024 की तुलना में 72 प्रतिशत अधिक है। यह पहली बार है जब राज्य ने SGST संग्रह में ₹1000 करोड़ का आंकड़ा पार किया है।मार्च 2025 में ही IGST मद में ₹756.73 करोड़ प्राप्त हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। इस प्रकार मार्च 2025 में कुल जीएसटी संग्रह ₹2,057.82 करोड़ रहा, जो मार्च 2024 के ₹1,443.66 करोड़ की तुलना में 43 प्रतिशत की प्रभावशाली मासिक वृद्धि दर्शाता है।

सुशासन, अधोसंरचना और नवाचार को बढ़ावा

साय सरकार की प्रयासों से छत्तीसगढ़ का बजट बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 1 लाख 65 हजार करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया। इस वर्ष का बजट गति (GATI) यानी गुड गवर्नेंस, अधोसंरचना, टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्रियल ग्रोथ पर केंद्रित है। प्रचलित मूल्यों पर, सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जी.एस.डी.पी) 2024-25 में 5,67,880 करोड़ से बढ़कर 2025-26 में 6,35,918 करोड़ होने का अनुमान है, जो 12% की वृद्धि है वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्रति व्यक्ति आय 1,62,870 होने की उम्मीद है, जिसमें 9% से अधिक की वृद्धि है। वित्त वर्ष 2024-25 के त्वरित अनुमानों के अनुसार, कृषि क्षेत्र का जी.एस.डी.पी में योगदान 17%, औद्योगिक क्षेत्र का 48% और सेवा क्षेत्र का 35% है। राज्य के राजस्व को बढ़ाने के लिए किए गए सकारात्मक प्रयासों के परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राज्य का अपना राजस्व बिना नए कर लगाए या कर दरों में वृद्धि किए 11% बढ़ने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2025-26 में कुल राजस्व अधिशेष 2,804 करोड़ रुपये अनुमानित है। वित्त वर्ष 2025-26 में, राज्य का सकल राजकोषीय घाटा 22,900 करोड़ रुपये अनुमानित है जिसमें से 4,000 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए विशेष सहायता के रूप में शामिल हैं। इसलिए, राज्य का शुद्ध राजकोषीय घाटा 18,900 करोड़ रुपये अनुमानित है जो जी.एस.डी.पी का 2.97% है। यह एफ.आर.बी.एम अधिनियम में निर्धारित 3 प्रतिशत की सीमा के भीतर है।

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