Reported By: Netram Baghel
,Maa Chandrahasini Mandir/ Image Credit: IBC24
सक्ती। Maa Chandrahasini Mandir: सक्ती जिले के चंद्रपुर में विराजित माँ चंद्रहासिनी मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है। नवरात्रि के बाद भी यहां प्रतिदिन श्रद्धालुओं माता की दर्शन के लिए आते हैं। देश में मां दुर्गा के लाखों मंदिर होंगे। सबका अपना-अपना महत्व भी है पर शक्तिपीठों की महत्ता सबसे खास होती है। कहते हैं कि, मां सती के देहत्याग के बाद शिवजी उनकी देह को लेकर भारत भर में घूमते रहे। इस दौरान जहां-जहां मां के अंग-उपांग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। इन्हीं 52 शक्तिपीठों में से एक है सक्ती की चंद्रहासिनी देवी का मंदिर।
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता सती की बायां कपोल महानदी के पास स्थित पहाड़ी में गिरा था , जिसे आज बाराही मां चंद्रहासिनी मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि, सर्वसिद्धि मां चंद्रहासिनी के दर्शन करने वाले हर व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है। चंद्रपुर में विराजित मां चंद्रहासिनी के प्रति लोगों की गहरी आस्था रही है। छत्तीसगढ़ के अलावा बड़ी संख्या में अन्य राज्य के भक्त भी यहां माता की दर्शन के लिए आते हैं। दिलों में आस्था की ज्योति जलाए हजारों भक्त मां चंद्रहासिनी के दरबार पर जयकारा लगाने आते हैं और मां सबकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
Maa Chandrahasini Mandir: चंद्रपुर के बीचोंबीच एकछोटी सी पहाड़ी है उसी के ऊपर मां का मंदिर बना हुआ है। यहां स्थापित माता की प्रतिमा को दो हजार वर्षों से भी ज्यादा प्राचीन माना जाता है। माता चंद्रहासिनी को संतान की देवी माना जाता है। इस वजह से संतान की कामना लेकर बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। ऐसी आस्था है कि, माता यहां आने वालों की झोली जरूर भरती हैं। एक बार जो मां के दरबार में आ गया उसको संतान की प्राप्ति जरूर मिलती है। 108 दीपों के साथ महाआरती कहा जाता है कि, नवरात्रि पर्व के दौरान 108 दीपों के साथ महाआरती में शामिल होने वाले भक्त मां के अनुपम आशीर्वाद का हिस्सा बनते हैं ,सर्वसिद्धि की दाता मां चंद्रहासिनी की पूजा करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।