PGDCA student debarred from examination for not paying fees
सारंगढ़। अक्सर आपने प्राइवेट स्कूल और कॉलेजों की मनमानी के बारे में सुना और देखा होगा। की बच्चे अगर समय पर अपना फीस नहीं दे पाते है तो उन्हें परीक्षा में बैठने नही दिया जाता है।लेकिन जब इस तरह का मामला शासकीय कॉलेज या स्कूलों से निकल कर सामने आने लगे तो आप इसे क्या कहेंगे। एक ऐसा ही मामला निकल कर सामने आया है, सारंगढ़ के शासकीय डिग्री कॉलेज से। जहां पढ़ने वाली ट्विंकल मानिकपुरी को सिर्फ इस लिए परीक्षा में बैठने नहीं दिया गया, क्यों की उसके पास फीस पटाने के लिए पैसे नही थे।
पीड़ित छात्रा ने बताया की उसने सारंगढ़ के शासकीय डिग्री कॉलेज में PGDCA में एडमिशन लिया था और फीस के 16374 रू में से 13हजार जमा कर चुकी थी, लेकिन बाकी का फीस जमा करने के लिए छात्रा के पास पैसे नही थे। कॉलेज प्रबंधन ने जैसे-तैसे छात्रा को पांच सब्जेक्ट में बैठने का अनुमति तो दे दी, लेकिन आखरी के सब्जेक्ट में कॉलेज प्रबंधन ने छात्रा को बिना फीस पटाए परीक्षा हॉल में बैठने से मना कर दिया। छात्रा ने वहां उपस्थित शिक्षकों से बार-बार मिन्नते की और फीस के बदले में अपनी स्कूटी और मोबाईल रख लेने की बात कही, लेकिन वहां उपस्थित शिक्षको ने छात्रा की एक ना सुनी। छात्रा बिना परीक्षा दिए हुए कॉलेज से रोते हुए अपने घर चली गई। इस मामले में छात्रा ने अब प्रशासन का दरवाजा खटखटाते हुए न्याय की गुहार लगाई है और दोषी शिक्षको के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
मामले में जानकारी ये भी मिली हैं की यूनिवर्सिटी द्वारा PGDCA का फीस 1374 रु रखा गया हैं। बाकी के 15हजार रूपये जनभागीदारी के रूप में कॉलेज के विकास और अन्य चीजो के लिए लिया जाता है। अब ऐसे में देखा जाए तो छात्रा ने यूनिवर्सिटी का फीस 13हजार रूपये जमा कर के दे दिया था, लेकिन कॉलेज जो 15हजार जनभागीदारी के रूप में लेती हैं। उसमें से कुछ पैसे नहीं जमा हुए थे, जिसके कारण छात्रा को परीक्षा से वंचित कर दिया गया और उसका एक वर्ष खराब कर दिया गया। वही डिग्री कॉलेज जनभागीदारी समिति के सदस्य गोल्डी नायक ने बयाया की छात्रा के साथ जो भी हुआ बहुत गलत हुआ। छात्राको परीक्षा में बैठने देना था। अगर छात्रा फीस पटाने में असमर्थ थी तो स्कूल प्रबंधन को एकबार जनभागीदारी समिति को सूचना देना था। जनभागीदारी समिति के सदस्य ने कहा की बच्ची के साथ बहुत गलत हुआ है, उसका एक साल बर्बाद हो गया।
इस मामले में कॉलेज प्रिंसिपल डॉक्टर डी. एल लहरे का कहना है, उन्हें इस मामले की जानकारी रात को मिली तब तक परीक्षा समाप्त हो चुका था। अगर समय रहते हुए वहां उपस्थित शिक्षको द्वारा उन्हें बता दिया गया होता की फीस नही दे पाने के कारण छात्रा को परीक्षा में बैठने नही दिया जा रहा है तो ऐसा नही होता और आज वो छात्रा परीक्षा में बैठी होती। वही इस मामले में सयुक्त कलेक्टर भागवत जायसवाल ने बताया की उन्हें एक छात्रा द्वारा शिकायत प्राप्त हुआ है, जिसमें फीस नहीं जमा करने के कारण परीक्षा में नहीं बैठाने की बात कही गई है, मामले में सम्बंधित विभाग के द्वारा जाँच कर कार्रवाई की जाएगी। IBC24 मेघनाथ भारती की रिपोर्ट
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