Chhattisgarh News: सीएम हाउस में अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर संगोष्ठी, मुख्यमंत्री ने कहा- प्रजा कल्याण, राष्ट्र निर्माण और न्याय का स्वर्ण युग था उनका शासनकाल

सीएम हाउस में अहिल्याबाई होल्कर की जयंती पर संगोष्ठी, Seminar on Ahilyabai Holkar's birth anniversary at CM House

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  • Publish Date - May 29, 2025 / 10:06 PM IST,
    Updated On - May 30, 2025 / 12:05 AM IST

रायपुर: Chhattisgarh News: पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्म जयंती पर आज राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री निवास में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की। मध्यप्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने प्रमुख वक्ता के रूप में संगोष्ठी को संबोधित किया। केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री तोखन साहू और कृषि मंत्री रामविचार नेताम, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण देव कार्यक्रम संयोजक वह पूर्व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी संगोष्ठी में शामिल हुए।

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Chhattisgarh News: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने संगोष्ठी में राजमाता रानी अहिल्याबाई होल्कर के योगदानों को स्मरण करते हुए उन्हें भारत की सांस्कृतिक एकता और सुशासन का प्रतीक बताया। उन्होंने रानी अहिल्याबाई होल्कर के करीब 30 वर्षों के शासन को प्रजा कल्याण, राष्ट्र निर्माण और न्याय का स्वर्ण युग कहा। उन्होंने कहा कि इंदौर की महारानी होने के बावजूद राजमाता ने स्वयं को किसी एक भौगोलिक सीमा में नहीं बांधा। उन्होंने देशभर में मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण कराया। उन्होंने रामराज्य की अवधारणा को साकार करते हुए तीन दशकों तक होल्कर राजवंश का नेतृत्व किया। मुख्यमंत्री साय ने काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण में रानी अहिल्याबाई होल्कर के योगदान को ऐतिहासिक बताया। पेशवा माधवराव की इच्छा के अनुरूप राजमाता ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कर करोड़ों आस्थावानों की भावना को सम्मान दिया। साय ने कहा कि आज इंदौर देश में स्वच्छता में अग्रणी है, इसके पीछे राजमाता द्वारा स्थापित गुड गवर्नेंस की प्रेरणा है। वे न्यायप्रिय थीं। उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को भी न्याय के लिए दंड देने से परहेज नहीं किया।

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मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने संगोष्ठी को प्रमुख वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1767 से 1795 तक अपने 28 वर्षो के शासन काल में धर्मसत्ता और न्यायसत्ता की आवाज बुलंद की। उन्होंने अपने जीवन में तमाम विपत्तियों के बीच अनेक अनुकरणीय कार्य किए। उन्होंने अपने शासन काल में सार्वजनिक धन और राजकोष के सदुपयोग की मिसालें कायम की। राजसत्ता की कोई राशि कभी अपने लिए खर्च नहीं की। पटेल ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर अपने पति के निधन के बाद कभी राजमहल में नहीं रहीं। झोपड़ी में अपना जीवन बिताया। न्याय के लिए उन्होंने अपने पुत्र को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। उन्होंने अपने शासन में विधवाओं को दत्तक पुत्र लेने की अनुमति प्रदान की। रानी अहिल्याबाई होल्कर के प्रजाहितैषी और कल्याणकारी कार्यों के कारण उनके राज्य के लोगों ने उन्हें लोकमाता का दर्जा दिया था।

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किरण देव और छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष नारायण चंदेल ने भी संगोष्ठी में रानी अहिल्याबाई होल्कर के व्यक्तित्व, कार्यों और उनके शासन काल की विशेषताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने सुशासन, न्यायप्रियता एवं लोक कल्याणकारी कार्यों के माध्यम से भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है। संगोष्ठी के माध्यम से आज हम उनके विचारों का स्मरण कर रहे हैं। उनके कार्य हमें सामाजिक समरसता और जनसेवा के लिए प्रेरित करते हैं। यह संगोष्ठी आज की पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करेगी। संगोष्ठी में धनकर समाज के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को रानी अहिल्याबाई होल्कर का तैलचित्र भेंट किया। कार्यक्रम में सहसंयोजक छगन मूंदड़ा, शंकर अग्रवाल विधायकगण सर्व सुनील सोनी, मोतीलाल साहू और पुरंदर मिश्रा, राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष विश्व विजय सिंह तोमर, रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे, पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय, सहित कई निगमों, मंडलों, आयोगों के पदाधिकारी और युवा बड़ी संख्या में संगोष्ठी में उपस्थित थे।

रानी अहिल्याबाई होल्कर कौन थीं?

रानी अहिल्याबाई होल्कर मालवा की शासिका थीं, जिन्होंने 1767 से 1795 तक शासन किया। वे अपने न्यायप्रिय, कल्याणकारी और धर्मनिष्ठ शासन के लिए जानी जाती हैं।

उनके शासन की क्या विशेषताएं थीं?

उन्होंने सार्वजनिक धन का सदुपयोग किया, मंदिरों का निर्माण कराया, विधवाओं को अधिकार दिए और पारदर्शी शासन व्यवस्था को बढ़ावा दिया।

रानी अहिल्याबाई का काशी विश्वनाथ मंदिर से क्या संबंध है?

उन्होंने पेशवा माधवराव की इच्छा अनुसार काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया, जिसे एक ऐतिहासिक योगदान माना जाता है।

उन्होंने अपने पुत्र को मृत्युदंड क्यों दिया था?

उन्होंने न्याय की स्थापना के लिए अपने पुत्र को अपराध के लिए मृत्युदंड दिया, जिससे उनकी न्यायप्रियता का परिचय मिलता है।

इस संगोष्ठी का उद्देश्य क्या था?

यह संगोष्ठी रानी अहिल्याबाई होल्कर के विचारों और कार्यों को आज की पीढ़ी तक पहुंचाकर राष्ट्र निर्माण में भागीदारी के लिए प्रेरित करने हेतु आयोजित की गई थी।