Jhiram Ghati Naxal Attack: निशाने पर क्यों थे महेंद्र कर्मा? क्यों थी कर्मा से माओवादियों की ज्यादती दुश्मनी? मारी थी 65 गोलियां, लाश पर नाचे थे नक्सली…

Jhiram Ghati Naxal Attack mahendra karma निशाने पर क्यों थे महेंद्र कर्मा? क्यों थी कर्मा से माओवादियों की ज्यादती दुश्मनी?

Jhiram Ghati Naxal Attack: निशाने पर क्यों थे महेंद्र कर्मा? क्यों थी कर्मा से माओवादियों की ज्यादती दुश्मनी? मारी थी 65 गोलियां, लाश पर नाचे थे नक्सली…

Jhiram Ghati Naxal Attack mahendra karma

Modified Date: May 25, 2023 / 01:31 pm IST
Published Date: May 25, 2023 7:22 am IST

रायपुर: नक्सलियों की तरफ से जहाँ एक तरफ ताबड़तोड़ फायरिंग हो रही थी तो दूसरी तरफ से लगातार आवाजें आ रही थी की ‘महेंद्र कर्मा कौन हैं? सामने आएं’। जाहिर हैं नक्सली कांग्रेस नेताओं और सुरक्षाबलों की भीड़ में जिस चेहरे की सरगर्मी से तलाश कर रहे थे वो कोई और नहीं बल्कि कद्दावर आदिवासी नेता, पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा थे। नक्सली महेंद्र कर्मा की तलाश कई दशकों से कर रहे थे। वे हर हाल में महेंद्र कर्मा को कर्मा को ख़त्म करना चाहते थे (Jhiram Ghati Naxal Attack mahendra karma) । इसका ऐलान खुद बड़े नक्सली नेता कर चुके थे। इतना ही नहीं बल्कि माओवादी अपने पर्चे-पोस्टरों में भी कर्मा की खुलकर खिलाफत करते थे। 25 मई 2013 तक महेंद्र कर्मा नक्सलियों की हिट लिस्ट में थे। यही वजह हैं की उन्हें सरकार की तरफ से सुरक्षा मुहैय्या कराई गई थी, लेकिन झीरम घाटी में यह कर्मा की सुरक्षा नाकाफी साबित हुई और नक्सली अपने दशकों पुराने मंसूबे पर कामयाब हो चुके थे।

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पर सवाल यही उठता हैं की माओवादियों की महेंद्र कर्मा से ऐसी क्या दुश्मनी थी? क्यों नक्सली उन्हें खत्म करने की ठान चुके थे? महेंद्र कर्मा से नक्सलियों की दुश्मनी कितनी गहरी थी इसका पता इस बात से ही चलता है की लाल लड़ाकों ने महेंद्र कर्मा के शरीऱ पर 78 वार किए थे। उन्होंने अकेले कर्मा को 65 गोलियां मारी थी। इतना ही नहीं कर्मा की हत्या के बाद नक्सलियो ने उनके शव पर डांस किया था।

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Kaun the mahendra karma?

कौन थे महेंद्र कर्मा?

दरअसल महेंद्र कर्मा छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता थे और 2004 से 2008 तक वो नेता विपक्ष थे। कर्मा की इस भूमिका से नक्‍सलियों को कोई ऐतराज नहीं था, लेकिन नक्‍सलियों के खिलाफ उनका अभियान हमेशा खटकता रहता था। असल में 2005 में महेंद्र कर्मा ने सलवा जुडूम की स्‍थापना की। महेंद्र कर्मा बस्‍तर जिले के रहने वाले आदिवासी नेता थे। उनका जन्‍म दंतेवाड़ा के दाराबोडा कर्मा में हुआ था। बस्‍तर में पढ़ाई की और फिर जगदलपुर से ग्रेजुएशन। (Jhiram Ghati Naxal Attack mahendra karma) उन्‍होंने अपना राजनीतिक करियर कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ऑफ इंडिया से शुरू किया। वे बस्‍तर से लोकसभा चुनाव और दंतेवाड़ा से विधानसभा चुनाव जीते। वे छत्‍तीसगढ़ के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री रहे।

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1991 में जन जागरण अभियान चलाकर नक्‍सलियों के खिलाफ अभियान शुरू किया। देखते ही देखते उन्‍होंने सलवा जुडूम की स्‍थापना की और तभी से वो नक्‍सलियों के निशाने पर आ गये और उन्‍हें जेड-प्‍लस सुरक्षा दी गई। कर्मा के साथ छत्‍तीसगढ़ के आम लोग जुड़ते चले गये और संगठन मजबूत होता गया। संगठन को तब और मजबूती मिल गई जब राज्‍य सरकार ने इसे स्‍पेशल पुलिस ऑफीसर्स के रूप में मान्‍यता दे दी। लेकिन 2008 में सलवा जुडूम के कार्यकर्ताओं और नक्‍सलियों के बीच खूनी मुठभेड़ हुई, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम की मान्‍यता खत्‍म करने के निर्देश दे दिये। धीरे-धीरे सलवा जुडूम का अस्तित्‍व फीका पड़ने लगा और बस्‍तर का बाघ पूरी तरह कांग्रेस की पार्टी गतिविधियों में व्‍यस्‍त हो गया।

लेकिन नक्‍सलियों का गुस्‍सा कम नहीं हुआ था। (Jhiram Ghati Naxal Attack mahendra karma)8 नवंबर 2012 को नक्‍सलियों ने लैंडमाइन्‍स बिछा कर जानलेवा हमला किया गया तब वो बच गये, लेकिन 25 मई 2013 को जगदलपुर में हुए हमले में किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और नक्‍सलियों ने बस्‍तर के बाघ को गोलियों से भून डाला।

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लेखक के बारे में

A journey of 10 years of extraordinary journalism.. a struggling experience, opportunity to work with big names like Dainik Bhaskar and Navbharat, priority given to public concerns, currently with IBC24 Raipur for three years, future journey unknown