CG Hindi News | Photo Credit: IBC24
जैजैपुर: CG Hindi News तहसील कार्यालय में पदस्थ तहसीलदार एन के सिन्हा ने अपने वायरल वीडियो के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जैजैपुर तहसील न्यायालय में दिलीप चंद्रा और पुष्पेंद्र चंद्रा के बीच 1995 मे घरेलु जमीन बंटवारे को लेकर केस चल रहा था। जिसमे 1195 में खसरा नंबर 5410 जो कि 54 डिसमिल है, तत्कालीन समय मे इनके परिजनों के द्वारा आपसी के द्वारा आपसी सहमति में बंटवारा किए थे। तब वह जमीन पुष्पेंद्र चंद्रा के पिता के पक्ष में आया था। लेकिन त्रुटिवश वह रकबा की जमीन दिलीप चंद्रा के घर वालों के नाम पर था। जिसे अपने नाम कराने के लिए दिलीप चंद्रा तहसील कार्यालय आना जाना कर रहा था।
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CG Hindi News जब इस मामले की जानकारी पुष्पेंद्र को मिली तब उसने इस पूरे मामले की शिकायत करते हुए तहसीलदार को बताया कि 1195 में वह जमीन मेरे पिता को बंटवारे में मिला था, उसका पेपर तहसील कार्यालय में जमा किया। इसकी जानकारी जैसे ही दिलीप चंद्रा को मिला तो उसने न्यायालय में केस को अवलोकन करने का आवेदन दिया तब मैंने उसे दिलीप को केस का फ़ाइल पढ़ने को दे दिया, इसी दौरान दिलीप चंद्रा ने चुपके 1195 में बंटवारे की महत्वपूर्ण पेपर को फ़ाइल से गायब कर दिया।
इस मामले की जानकारी जैसे ही मुझे मिला तो मैंने इसकी पूरी शिकायत जैजैपुर थाने में दर्ज कराया था। साथ ही इस पूरे मामले की जानकारी लेने के लिए लिए जब मैने दिलीप से जवाब मांगा तो तहसील न्यायालय में अपने मित्र के साथ पंहुचा और न्यायालीन कार्य का वीडियो बनाने लगा। जिसके बाद मैंने तहसील कार्यालय से फ़ाइल गायब करने आरोप में दिलीप चंद्रा को 151 लगाकर जेल भेज दिया था। जिसका प्रकरण को रफा दफा करने के लिए उसके द्वारा डाला और जब मैने ऐसा करने से इनकार किया तो उसने मेरा मेरे घर का मेरा निजी वीडियो को वायरल कर दिया है।
तहसील ने बताया दिलीप ने पुष्पेंद्र के जमीन में से 10 डिसमिल भूमि पर कब्जा भी कर लिया था, लेकिन पुष्पेंद्र को पता चला तब उसने 1995 की पेपर दिखाकर मामले की सच्चाई को बताया। इसके बाद से दिलीप अपने रिश्तेदार के माध्यम से आपसी सहमति के आधार पर शेष बाकी जमीन को पुष्पेंद्र के नाम पर रजिस्ट्री कराने के लिए तैयार हो गया था, जिसके रजिस्ट्री खर्चा करीब 2 लाख 60 हजार रुपये आ रहा था और उसी को बताने के लिए मेरे घर आया था। तब मैंने उसे रजिस्ट्री संबंधित सेवा शुल्क को लाने की बात कही थी, जिसका उसने चुपके से वीडियो बना लिया और आपसी राजीनामा से रजिस्ट्री कराने से इनकार कर दिया।
इस पूरे मामले तहसीलदार ने अपने ड्राइवर द्वारा दिलीप चंद्रा से पैसे लेने के संबंध में पूछे जाने पर बताया कि मेरा ड्राइवर का पहचान मेरे जैजैपुर तहसील में आने से पहले से है और उसने उससे पैसे उधार में लिया था। जिसे उसने फोन पे माध्यम से उसे वापस भी कर दिया है।