The tradition has started on changing the name in Chhattisgarh too

पुराने धाम.. नए ‘नाम’.. बदलाव पर फिर संग्राम! विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने क्यों किया 3 जगह के नाम बदलने का फैसला

पुराने धाम.. नए 'नाम'.. बदलाव पर फिर संग्राम! The tradition has started on changing the name in Chhattisgarh too

पुराने धाम.. नए ‘नाम’.. बदलाव पर फिर संग्राम! विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने क्यों किया 3 जगह के नाम बदलने का फैसला
Modified Date: November 29, 2022 / 08:20 pm IST
Published Date: August 2, 2022 11:21 pm IST

(रिपोर्टः राजेश मिश्रा) रायपुरः अब छत्तीसगढ़ में भी नाम बदलने पर परंपरा शुरू हो गई है। प्रदेश की भूपेश सरकार ने चंदखुरी समेत 3 जगह के नाम बदलने का ऐलान किया है। इसके पीछे सरकार ने तर्क दिया कि पहचान के लिए नाम बदले गए। वहीं बीजेपी फैसले का खुलकर विरोध तो नहीं कर रही, लेकिन इतना जरूर कह रही है कि जब केंद्र सरकार नाम बदलती है तो कांग्रेस क्यों विरोध जताती है। चंदखुरी, गिरौदपुरी और सोनाखान के नाम बदलने के पीछे की मंशा क्या है?

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पिछले कुछ समय से देश में शहरों और ऐतिहासिक चीजों का नाम बदलने को लेकर खूब राजनीति होती रही है। अब छत्तीसगढ़ में भी नाम बदलने की परंपरा शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ ने चंदखुरी, गिरौदपुरी और सोनाखान का नाम बदलने का ऐलान किया है। अब चंदखुरी का नाम कौशल्या धाम चंदखुरी होगा। गिरौदपुरी का नाम बाबा गुरु घासीदास धाम गिरौदपुरी होगा और सोनाखान, शहीद वीरनारायण सिंह धाम सोनाखान के नाम से जाना जाएगा। चंदखुरी समेत 3 जगह के नाम बदलने पर सियासत भी गरमाने लगी है। बीजेपी ने राज्य सरकार पर तंज कसा कि नाम बदलने से कुछ नहीं होगा, काम करके दिखाना होगा। कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठाते हुए बीजेपी ने आरोप लगाया कि जब केंद्र सरकार नाम बदलती है तब यही कांग्रेस किस मुंह से आपत्ति करती है।

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बीजेपी नेता भले कुछ कहें, लेकिन सत्तापक्ष का दावा है कि सोनाखान, गिरौदपुरी और चंदखुरी के नाम में महापुरुषों और कौशल्या माता का नाम जुड़ने से छत्तीसगढ़ के लोगों का सम्मान ही बढेगा। वैसे नाम बदलने का खेल सियासत में बहुत पुराना है। इसमें कोई एक पार्टी शामिल नहीं है। ऐसे में चुनाव से एक साल पहले कांग्रेस सरकार ने चंदखुरी समेत 3 जगह के नाम क्यों बदलने का फैसला किया? ये बड़ा सवाल है कि क्या नाम बदलने के पीछे सिर्फ वोट की राजनीति है? दरअसल चंदखुरी, गिरौदपुरी और सोनाखान तीनों ही आस्था के धाम है और लोगों का खास जुड़ाव है। शायद यही वजह है कि बीजेपी चाहकर भी खुलकर फैसले का विरोध नहीं कर रही।

 

लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।