Vishnu ka Sushasan: बढ़ी अस्पतालों की संख्या.. मातृ-शिशु मृत्यु दर में आई कमी, साय सरकार की नीतियों से बेहतर हो रही स्वास्थ्य व्यवस्था

बढ़ी अस्पतालों की संख्या.. मातृ-शिशु मृत्यु दर में आई कमी, Vishnu ka Sushasan: Health system is improving due to the policies of the government

Vishnu ka Sushasan: बढ़ी अस्पतालों की संख्या.. मातृ-शिशु मृत्यु दर में आई कमी, साय सरकार की नीतियों से बेहतर हो रही स्वास्थ्य व्यवस्था
Modified Date: September 2, 2025 / 12:18 am IST
Published Date: September 1, 2025 11:55 pm IST

रायपुरः Vishnu ka Sushasan: छत्तीसगढ़ राज्य इस वर्ष 2025 में अपनी स्थापना का रजत जयंती वर्ष मना रहा है। एक राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद छत्तीसगढ़ में अपनी सतत विकास यात्रा शुरू की। छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद से अब तक के 25 वर्षों का सफर यदि हम स्वास्थ्य व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में देखें, तो यह कहने में कोई संकोच नहीं कि राज्य ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। चाहे बात शिशु मृत्यु दर कम करने की हो, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाने की या फिर दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की। सरकार ने लगातार प्रयास किए हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं। इस रजत जयंती वर्ष में साय सरकार इसे और बेहतर करने में जुटी हुई है।

Vishnu ka Sushasan: वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, तब यहां की स्वास्थ्य सेवाएं अत्यंत सीमित और अव्यवस्थित थीं। सुदूर वनांचलों, आदिवासी बहुल क्षेत्रों और ग्रामीण अंचलों में प्राथमिक उपचार तक उपलब्ध नहीं था। डॉक्टरों की भारी कमी, दवाइयों की अनुपलब्धता और बुनियादी स्वास्थ्य संरचना का अभाव बड़ी चुनौती बनकर सामने था। छत्तीसगढ़ जब नवजात था तब वो बीमारियों से घिरा हुआ था। राज्य में मातृ मृत्यु की दर काफी ज्यादा थी। संस्थागत प्रसव न के बराबर था। बस्तर में जितनी मौतें नक्सली मुठभेड़ में नहीं होती थी उससे कहीं ज्यादा मौतें मलेरिया से हो जाती थीं, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई है। लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए साय सरकार प्रदेश के लोगों क कई योजनाएं संचालित कर रही है, जिससे बस्तर से सरगुजा तक के लोगों में एक नई खुशहाली दिख रही है।

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ग्रामीण इलाकों में सुदृढ़ हुई स्वास्थ्य व्यवस्था

स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे लोगों को भी मिले, इस बात पर फोकस करने वाली साय सरकार ने प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधा और अधिक बेहतर करने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। विष्णुदेव साय का लक्ष्य है कि “हर नागरिक को 5 किलोमीटर के दायरे में स्वास्थ्य सुविधा”। साय सरकार ने प्रदेश में कई इलाकों में आवश्यकता को देखते हुए प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना की है। राज्य निर्माण के समय प्रदेश में लगभग 700 PHC हुआ करता था, जो 2025 में बढ़कर 2500 से ज़्यादा हो गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। CHC की संख्या 300 से अधिक हो गई है। गांव-गांव में उप-स्वास्थ्य केन्द्र आरंभ किए जा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने बनाई ये योजना

साय सरकार अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कई योजनाएं बनाई है। शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना और मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना से नागरिक स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। सरकार ने इन योजनाओं को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) में समन्वित कर सोने में सुहागा वाली कहावत को चरितार्थ किया है। इस एकीकृत व्यवस्था से अधिकतम लाभार्थियों को नगद रहित इलाज की सुविधा मिल रही है। इसी का परिणाम है कि छत्तीसगढ़ ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के सफल क्रियान्वयन में उल्लेखनीय प्रगति किया है। देश भर में उपचार प्रदान करने के मामलों में चौथा स्थान प्राप्त किया है। यह सफलता राज्य सरकार की समावेशी और सुलभ स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। अब तक 78 लाख से अधिक लाभार्थी सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में निःशुल्क इलाज का लाभ उठा चुके हैं। सार्वजनिक अस्पतालों में उपचार की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, जो सरकार के स्वास्थ्य ढांचे में जनता के बढ़ते विश्वास का संकेत है।

शासकीय नर्सिंग महाविद्यालय - रायगढ़ - माई नर्सिंग एडमिशन

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चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार

पिछले 25 वर्षों में राज्य सरकार और केंद्र सरकार की साझेदारी से स्वास्थ्य संस्थाओं के नेटवर्क में भारी विस्तार हुआ है। पहले केवल रायपुर में एक मेडिकल कॉलेज था, अब 10 से अधिक मेडिकल कॉलेज कार्यरत हैं, जिनमें रायगढ़, राजनांदगांव, अंबिकापुर, जगदलपुर, कोरबा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वर्ष 2012 में स्थापित हुआ एम्स जो आज राज्य का प्रमुख टर्शियरी हेल्थकेयर सेंटर बन चुका है। स्वास्थ्य सेवाओं का आधार सिर्फ डॉक्टर नहीं बल्कि नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ भी होते हैं। राज्य गठन के समय नर्सिंग कॉलेज गिने-चुने थे मगर आज छत्तीसगढ़ की साय सरकार में 60 से अधिक नर्सिंग कॉलेज कार्यरत हैं। नर्सिंग सीटों में 4 गुना वृद्धि हुई। राज्य में पैरामेडिकल कॉलेज और ANM/GNM ट्रेनिंग सेंटर खोले गए हैं। साय सरकार ने अपने इसी बजट में 12 नवीन शासकीय नर्सिंग कॉलेज (बलरामपुर, दंतेवाड़ा, जांजगीर-चांपा, बीजापुर, कुरूद, जशपुर, नवा रायपुर, बैकुण्ठपुर, पुसौर, कांकेर, कोरबा और महासमुंद) में स्थापित करने का निर्णय लिया है और इसके लिए 34 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। इसी बजट में एक साथ 6 नए शासकीय फिजियोथैरेपी कॉलेज (बिलासपुर, दुर्ग, जगदलपुर, जशपुर, रायगढ और मनेन्द्रगढ़) में स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए 6 करोड़ का बजटीय प्रावधान रखा गया है।

मातृ-शिशु मृत्यु दर में आई उल्लेखनीय कमी

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार में हर ब्लॉक स्तर पर प्रसूति गृह और नवजात शिशु वार्ड की व्यवस्था बनाई जा रही है, इससे पहले राज्य निर्माण के काल में प्रसव के समय महिलाओं को 40-50 किमी दूर जाना पड़ता था। राज्य की जननी सुरक्षा योजना और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम से लाखों महिलाएँ लाभान्वित हो रही हैं। प्रदेश की साय सरकार में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में 50% से अधिक की कमी आई है। पोषण योजनाओं के साथ स्वास्थ्य सेवाओं का तालमेल बिठाया गया जिसका लाभ प्रदेश भर में दिखाई दे रहा है। ई-संजीवनी, टेलीमेडिसिन, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और दवा वितरण जैसे डिजिटल नवाचारों से खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं सुलभ हुई हैं। इससे मृत्यु दर में कमी और इलाज की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिला है। राज्य की अनूठी मितानिन योजना, जो कि महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के माध्यम से समुदाय से स्वास्थ्य सेवाओं को जोड़ती है, आज एक मॉडल कार्यक्रम के रूप में देशभर में मान्यता प्राप्त कर चुकी है।

नक्सल और आदिवासी इलाकों में बढ़ी स्वास्थ्य सुविधाएं

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सुशासन और स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से न केवल सामान्य क्षेत्रों में, बल्कि नक्सल प्रभावित जिलों में भी स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों की पहुंच में आ रही हैं। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिल रहा है। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS), राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन अभियान और मलेरिया मुक्त अभियान जैसे कार्यक्रमों ने इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को नया आयाम दिया है। 1 जनवरी 2024 से 16 जून 2025 तक बस्तर संभाग में कुल 130 स्वास्थ्य संस्थाओं को क्वालिटी सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ है। इनमें 1 जिला अस्पताल, 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 113 उप स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। इसके अलावा, 65 अन्य संस्थाओं का सर्टिफिकेशन कार्य प्रक्रियाधीन है। विशेष रूप से नक्सल प्रभावित जिलों—कांकेर (8), बीजापुर (2), सुकमा (3) और दंतेवाड़ा (1) में 14 संस्थानों को गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है, जो क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार का प्रमाण है।


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।