Vishnu ka Sushasan: बिछा सड़कों का जाल.. पुल-पुलियों का हुआ निर्माण, रजत जंयती वर्ष में अधोसरंचना विकास को मिली गति, बढ़ रही कनेक्टिविटी

बिछा सड़कों का जाल.. पुल-पुलियों का हुआ निर्माण, Vishnu ka Sushasan: Infrastructure development gained momentum in the silver jubilee year

Vishnu ka Sushasan: बिछा सड़कों का जाल.. पुल-पुलियों का हुआ निर्माण, रजत जंयती वर्ष में अधोसरंचना विकास को मिली गति, बढ़ रही कनेक्टिविटी

Vishnu ka Sushasan. Image Source- IBC24

Modified Date: August 31, 2025 / 12:06 am IST
Published Date: August 29, 2025 8:46 pm IST

रायपुरः Vishnu ka Sushasan: साल 2000 में मध्यप्रदेश से अलग होकर एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अस्तित्व में आया छत्तीसगढ़ आज अपनी स्थापना के 25 वर्षों का सफर पूरा कर चुका है। राज्य इस साल अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा है। यह “युवा राज्य” न केवल खनिज, वन और जल संसाधनों से समृद्ध है, बल्कि सांस्कृतिक विविधता और जनजातीय परंपराओं का भी गौरवशाली केंद्र है। इन ढाई दशकों में छत्तीसगढ़ ने अनेक मोर्चों पर उल्लेखनीय प्रगति की है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में छत्तीसगढ़ सरकार ने अधोसरंचना विकास को उतनी ही प्राथमिकता दी है, जितनी की अन्य योजनाओं को। कम बजट में बेहतर वित्तीय प्रबंधन के साथ प्रदेश का विकास हो रहा है। एक ओर जहां महिलाओं के साथ-साथ सभी वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश में अधोसंरचना के कामों को पूरी प्राथमिकता के साथ पूरा किया जा रहा है।

Read More : Vishnu ka Sushasan: 3100 रुपए में खरीदा धान.. अन्नदाताओं को मिला मान, रजत जंयती वर्ष में किसानों की सुधरी दशा, हो रहे आर्थिक रूप से सशक्त 

यह एक ऐसा समय था जब राज्य के अधिकतर हिस्सों में आधारभूत ढांचे की हालत बेहद कमजोर थी। सड़कों की पहुँच सीमित थी, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं का विस्तार अधूरा था, और बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं गाँवों तक ठीक से नहीं पहुंच पाई थीं। राज्य निर्माण के समय छत्तीसगढ़ को “बैकवर्ड” राज्य के रूप में देखा जाता था, लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकारों के समय अच्छा काम हुआ है। हले जहां ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कुछ घंटों के लिए ही मिलती थी, वहीं आज गाँवों में 24 घंटे बिजली पहुँचाने का लक्ष्य पूरा हुआ। गांव-गांव तक पक्की सड़कों का निर्माण हुआ, जिससे किसानों, व्यापारियों और छात्रों को बड़ी राहत मिली। साय सरकार लगातार विभागों के बीच समन्वय बनाकर काम कर रही है। यही वजह है कि प्रदेश में अब पुल-पुलिया के साथ-साथ सड़कों का भी लगातार निर्माण हो रहा है। बस्तर और सरगुजा के अंदरूनी इलाकों में सड़कों का निर्माण होने से कनेक्टिविटी बढ़ी है। इसके साथ ही मैदानी इलाकों में भी सड़कों को निर्माण हो रहा है।

 ⁠

छत्तीसगढ़ में 25 सालों में सड़कों ने पकड़ी दोगुनी रफ्तार

छत्तीसगढ़ के गठन के समय राज्य में सड़क नेटवर्क की हालत काफी पिछड़ी हुई थी। वर्ष 2005-06 में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई मात्र 2,227.6 किलोमीटर थी। लेकिन बीते ढाई दशकों में सड़क अधोसंरचना ने उल्लेखनीय उन्नति की है और अब यह लंबाई बढ़कर लगभग 3,606 किलोमीटर तक पहुंच चुकी है। राज्य में पहले जहां ग्रामीण अंचलों तक पक्की सड़कों की पहुँच एक सपना थी, वहीं अब गांव-गांव को पक्की सड़कों से जोड़ने में सफलता मिली है। रायपुर को दुर्ग, बिलासपुर और जगदलपुर से जोड़ने वाले मार्गों को फोर लेन और सिक्स लेन में तब्दील कर आधुनिक परिवहन सुविधा दी गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसे अभियानों के ज़रिए हजारों गांवों में सड़कों का निर्माण हुआ, जिससे दूरदराज के इलाकों को भी मुख्यधारा से जोड़ा जा सका है।

Road Connectivity in CG

नक्सल प्रभावित इलाकों में सुगम हुआ यातायात

साय सरकार की नीतियों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में फोर्स ने अपनी दखलांदाजी बढ़ाई है। पुलिस ने उन क्षेत्रों में कैंप स्थापित किए हैं जहां जाना पहले कभी मुमकिन ना था। सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शुमार सिलगेर में भी सड़क का निर्माण हुआ है। जो बीजापुर जिले से 70 किलोमीटर और आवापल्ली (उसूर) ब्लॉक से 40 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा कोडोली,नेलनसार और गंगालूर तक सड़क निर्माण का कार्य प्राथमिकता से कराए जा रहे हैं। कुल मिलाकर यह कहे कि बस्तर सहित अन्य अंदरूनी इलाकों में रोड कनेक्टिविटी बढ़ी है। हाल में पीएम जनमन योजना के तहत छत्तीसगढ़ की 18 सड़कों को मंजूरी मिली है। कवर्धा में 12 और नारायणपुर में 6 सड़कों को मंजूरी मिली है।

पुलो और रेल लाइन का विस्तार, विकास को मिली नई रफ्तार

वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ ने अलग राज्य के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, उस समय बुनियादी अधोसंरचना बेहद सीमित थी। न तो पर्याप्त पुल थे और न ही रेल मार्गों का विस्तार पूरे राज्य में हो पाया था। घने जंगलों, गहरी घाटियों और विशाल नदियों से घिरे छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के समय तक संपर्क और कनेक्टिविटी के लिहाज़ से बेहद चुनौतीपूर्ण थी। बरसात के मौसम में कई गांवों और कस्बों का एक-दूसरे से संपर्क पूरी तरह कट जाया करता था। लेकिन अधोसरंचना के विकास में बीते 25 वर्षों में इन क्षेत्रों में जो बदलाव आया है, उसने राज्य की तस्वीर ही बदल दी है। खासकर तब, जब से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथों में प्रदेश की कमान आई है। महानदी, शिवनाथ, इंद्रावती, हसदेव और अरपा जैसी प्रमुख नदियों पर बीते दो दशकों में दर्जनों बड़े पुलों का निर्माण हुआ। साल 2000 में छत्तीसगढ़ में रेल लाइन की कुल लंबाई लगभग 1,100 किलोमीटर थी, जो खनिज परिवहन तक ही सीमित थी। लेकिन आज यह लंबाई बढ़कर 1,500 किलोमीटर के करीब पहुंच चुकी है। दल्लीराजहरा-रावघाट-जगदलपुर रेल लाइन, कोरबा-धरमजयगढ़-रायगढ़ लाइन, अंबिकापुर रेल विस्तार जैसी योजनाओं ने राज्य के खनिज, वन और आदिवासी क्षेत्रों को रेल मानचित्र पर लाया। अब ये परियोजनाएं माल ढुलाई के साथ-साथ आम यात्रियों की सुविधा को भी बढ़ा रही हैं। रायपुर और बिलासपुर अब सिर्फ छत्तीसगढ़ नहीं, बल्कि देश के प्रमुख रेलवे जंक्शन में गिने जाते हैं। रायगढ़ जिले में स्थित भालुमुड़ा से ओड़िशा के सारडेगा तक 37 किलोमीटर नई दोहरी रेल लाइन की मंजूरी दिए जाने से मौजूदा रेल नेटवर्क का विस्तार होगा। इसके अलावा कोरबा से अंबिकापुर तक और दूसरी गढ़चिरौली- बीजापुर से बचेली तक नई रेल लाइन के अंतिम सर्वे और डीपीआर निर्माण की स्वीकृति मिली है। गढ़चिरौली से बीजापुर होते हुए बचेली तक 490 किलोमीटर की नई रेल लाइन के सर्वे को मिली स्वीकृति बस्तर के सर्वसमावेशी विकास की गति को कई गुना बढ़ाने वाली है।

Durg Visakhapatnam Vande Bharat Express News

अमृत भारत स्टेशन योजना में छत्तीसगढ़ के 21 जगह शामिल

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेलवे स्टेशनों को आधुनिक, सुसज्जित केंद्रों में बदलने के उद्देश्य के साथ देश में अमृत भारत स्टेशन योजना की शुरूआत की है। इसके अंतर्गत 1309 स्टेशनों को रीडेवलप किया जाना है। इसमें स्टेशनों को आधुनिक बनाना, यात्री सुविधाओं का विस्तार, यात्रियों का मैनेजमेंट और बेहतर साइन सिस्टम बनाया जाना है. इस योजना में छत्तीसगढ़ के 21 रेलवे स्टेशन शामिल है। कोरबा, रायगढ़, राजनांदगांव, सरोना, भाटापारा, डोंगरगढ़, भिलाईनगर, हथबंध, बिल्हा, बैकुंठपुर रोड अम्बिकापुर, उसलापुर, पेंड्रा रोड, जांजगीर नैला, चांपा, बाराद्वार, दल्लीराजहरा, भानुप्रतापपुर, निपनिया, मंदिरहसौद एवं भिलाई स्टेशन को इस योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है। साय सरकार के प्रयासों छत्तीसगढ़ में रेल सुविधा बढ़ रही है। एक ओर जहां सामान्य ट्रेनों का परिचालन हो रहा है तो दूसरी ओर वंदे भारत जैसे आधुनिक ट्रेनों की सौगात मिल रही है। साय सरकार के प्रयासों से प्रदेश को दो वंदे भारत ट्रेनों की सौगात मिली है। वर्तमान में बिलासपुर से नागपुर के बीच वंदे भारत ट्रेन चल रही है। वहीं दुर्ग से विशाखापट्टनम के बीच भी एक वंदे भारत ट्रेन का संचालन हो रहा है।

सरगुजा से बस्तर तक बढ़ी एयर कनेक्टिविटी

वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना, तब हवाई सेवा की स्थिति बेहद सीमित थी। राज्य की राजधानी रायपुर में एकमात्र स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट (उस समय माना एयरपोर्ट) था, जो केवल कुछ चुनिंदा घरेलू उड़ानों तक ही सीमित था। हवाई संपर्क न केवल कम था, बल्कि सुविधाएं भी बेहद बुनियादी थीं। बीते ढाई दशकों में छत्तीसगढ़ ने हवाई सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। रायपुर स्थित स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट अब राज्य का प्रमुख हवाई केंद्र बन चुका है, जहां से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई जैसे शहरों के लिए रोज़ाना सीधी उड़ानें संचालित होती हैं। बिलासपुर एयरपोर्ट से प्रयागराज, दिल्ली और जबलपुर के लिए उड़ानें शुरू की गई हैं। जगदलपुर एयरपोर्ट, जो कभी केवल हेलिकॉप्टर लैंडिंग के लिए इस्तेमाल होता था, अब नियमित यात्री सेवाओं के लिए सक्रिय हो चुका है। रायपुर और विशाखापत्तनम जैसे शहरों से सीधी कनेक्टिविटी दी गई है। अंबिकापुर, कोरबा और रायगढ़ में नए हवाई अड्डों के विकास की योजनाएं चल रही हैं।


लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।