शह मात The Big Debate: पैंतरों से भरे तरकश..SIR पर सियासी सर्कस! क्या SIR से होगी सियासी शुद्धि? देखिए पूरी रिपोर्ट

SIR in CG: पैंतरों से भरे तरकश..SIR पर सियासी सर्कस! क्या SIR से होगी सियासी शुद्धि? देखिए पूरी रिपोर्ट

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  • Publish Date - September 20, 2025 / 11:29 PM IST,
    Updated On - September 20, 2025 / 11:39 PM IST

SIR in CG | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • एसआईआर प्रक्रिया पर बिहार से उठी बहस
  • अब छत्तीसगढ़ तक पहुंची
  • बीएलओ कर रहे मतदाता सूची टैली

रायपुर: SIR in CG आयोग तैयारी कर रहा है कि पूरे देश में एसआईआर की प्रक्रिया को किया जाए और उसके पहले एक होमवर्क की तरह कुछ सर्वे के कार्य या कुछ शीट्स के मिलान के काम शुरू हो भी चुके हैं। आयोग कितना तैयार है यह बाद की बात है। इस पर क्या फैसला माननीय कोर्ट देता इसके लिए भी इंतजार रहेगा। लेकिन प्रदेश में अभी जो दोनों पक्षों के बयान हैं उनका इशारा क्या है? आज इस पर हमारा फोकस है। दरअसल वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन से जुड़ी एसआईआर प्रक्रिया को लेकर बिहार में एक ऐसी सियासी लड़ाई शुरू हुई है। एक ऐसा विरोध का स्वर सुनाई पड़ा जिसने पूरे देश के कान खड़े किए। अब इसी विरोध और सपोर्ट की लड़ाई के बीच में छत्तीसगढ़ में भी कुछ बयान है। एक तरफ एसआईआर पर सुप्रीम अदालत साफ कर चुकी है कि बिहार में एसआईआर पर जो भी फैसला आएगा वो पूरे देश के लिए होगा। लागू होगा उस पर। कोर्ट ने प्रक्रिया में सुधार को लेकर कुछ निर्देश दिए, टिप्पणियां की और इसी बीच छत्तीसगढ़ में पक्षपक्ष एसआईआर को जरूरी बताने लगा है। लेकिन साथ ही मंशा, तैयारी, तरीके इन सबके ऊपर आपस में भिड़ने की तैयारी भी है।

SIR in CG एसआईआर यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन। बीते दिनों पूरे प्रदेश में मतदाता सूची मिलान का काम शुरू हो चुका है। बीएलओ 2003 और 2025 की मतदाता सूचियों को टैली कर रहे हैं ताकि फर्जी मतदाता पहचाने जा सकें। पहले इस कवायद पर सवाल उठाने वाले विपक्ष का कहना है कि कांग्रेस को एसआईआर से कोई दिक्कत नहीं। लेकिन इसे शुरू करने से पहले सभी सियासी दलों से बात की जाए। यह साफ किया जाए कि एसआईआर प्रक्रिया किस साल की चुनाव लिस्ट के आधार पर होगी। प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्षता से हो। इधर विपक्ष की आशंकाओं को खारिज कर प्रदेश की डिप्टी सीएम अरुण साहब ने कहा कि छत्तीसगढ़ में एसआईआर लोगों के हितों की रक्षा और अवैध वोटर्स की पहचान के लिए बेहद जरूरी है। हालांकि चुनाव एक्सपर्ट का दावा है कि छत्तीसगढ़ में एसआईआर के बाद कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि यह सीमावर्ती राज्य नहीं।

साफ है कि आयोग ने कांग्रेस की वोट चोरी के आरोपों को खारिज करने तकरीबन सभी प्रदेशों में अब एसआईआर की तैयारी तेज कर दी है। बीजेपी इसे जायज बताती है तो कांग्रेस इसे सही नियत और पारदर्शी तरीके से करने की मांग उठा रही है। यह भी तय है कि कांग्रेस वोट चोरी को बड़ा मुद्दा बनाने, कुछ और आंदोलन कर दबाव बना सकती है। इन सबके बीच एक सच यह भी है कि छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में एसआईआर प्रक्रिया का भविष्य क्या होगा? यह बहुत हद तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही तय होगा।

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एसआईआर (Special Intensive Revision) क्या है?

एसआईआर मतदाता सूची का विशेष मिलान और संशोधन प्रक्रिया है, जिसमें पुराने और नए रिकॉर्ड की तुलना कर फर्जी या डुप्लीकेट वोटर्स की पहचान की जाती है।

बिहार मामले का असर छत्तीसगढ़ पर क्यों पड़ेगा?

क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिहार में एसआईआर पर जो फैसला होगा, वही पूरे देश में लागू होगा।

छत्तीसगढ़ में एसआईआर से क्या फर्क पड़ेगा?

चुनाव विशेषज्ञों के अनुसार छत्तीसगढ़ सीमावर्ती राज्य नहीं है, इसलिए यहाँ बड़े पैमाने पर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की संभावना कम है।