भगवान विष्णु के कृपा स्थान के साक्षात प्रमाण, धर्म की समृद्ध विरासत बयां करते हैं प्राचीनतम स्तूप
भगवान विष्णु के कृपा स्थान के साक्षात प्रमाण, धर्म की समृद्ध विरासत बयां करते हैं प्राचीनतम स्तूप
विदिशा । जिले में धार्मिक महत्व का एक ऐसा स्थान है जहां कभी गूंजा करते थे जयघोष…शंखों की ध्वनि… घंटियों की अनुगूंज । विदिशा के बैस नगर में कभी हुआ करता था एक विशाल भगवान विष्णु का मंदिर…भले ही वक्त की आंधी में सब कुछ खत्म हो गया, लेकिन आज भी बाकी हैं वो निशानियां, जो उस वक्त की गाथा सुनाते हैं। गरूढ़ स्तंभ के पास मंदिर होने का मुहर लगाते हैं वो पुरातात्विक प्रमाण जो यहां खुदाई के दौरान मिले हैं। यहां मौजूद मंदिर की नींव 22 सेंटी मीटर चौड़ी और 15 से 20 सेंटीमीटर गहरी है। इसके अलावा नींव में लकड़ी के खंभे होने के भी साक्ष्य मिले हैं, इसके साथ ही मंदिर के गर्भगृह का आकार भी यहां मिला है।
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यहां ऐसे प्रमाण भी मिले हैं जिससे पता चलता है कि मंदिर की पूर्व दिशा की तरफ सभा मंडप हुआ करते थे , जहां से मंदिर के अंदर जाने का द्वार भी था। पुरातात्विक प्रमाण ये भी बताते हैं कि इस जगह पर 8 स्तंभ हुआ करते थे, जिसमें से सात स्तंभ एक ही कतार में मंदिर के उत्तर-दक्षिण की तरफ थे जो अब केवल इतिहास बन कर रह गए हैं, जबकि आठवां स्तंभ हेलिओडोरस के रूप में आज भी जिंदा है।
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बैस नगर के एक मंदिर में भगवान विष्णु की शेष सैय्या पर लेटी हुई प्रतिमा आज भी स्थापित है, कहते हैं इस प्रतिमा का निर्माण स्तंभ निर्माण के दौरान ही हुआ था। इस नगर में प्राचीनतम स्तूप भी मिले थे जिन्हें सांची के स्तूपों से भी प्राचीन माना जाता है। बैस नगर में ऐसी ना जाने कितनी इतिहास की सुनहरी निशानियां बिखरी पड़ी हैं ।

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