बस्तर दशहरा: पूरी हुई ‘जोगी बिठाई’ की रस्म, मावली देवी की पूजा अर्चना के बाद भगत राम पहुंचे सिरहासार भवन

बस्तर दशहरा: पूरी हुई 'जोगी बिठाई' की रस्म, मावली देवी की पूजा अर्चना के बाद भगत राम पहुंचे सिरहासार भवन

  •  
  • Publish Date - October 17, 2020 / 04:23 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:40 PM IST

जगदलपुर: दशहरा पर्व का महत्वपूर्ण विधान जोगी बिठाई की रस्म शनिवार शाम सिरहासार भवन में पूरी की गई। लगभग छह सौ बरसों से चली आ रही परम्परा के अनुसार आमाबाल गांव के भगत राम को विधि-विधान से मावली देवी की पूजा-अर्चना के बाद सिरहासार भवन पहुंचाया गया। इसके बाद जोगी नौ दिनों के तप के लिए बनाए गए गड्ढे में बैठे। जोगी बिठाई की रस्म के अवसर पर सांसद एवं बस्तर दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज, जगदलपुर राजपरिवार के सदस्य, कलेक्टर रजत बंसल सहित बस्तर दशहरा समिति के सदस्य, मांझी, चालकी, मेम्बरीन आदि उपस्थित थे।

Read More: चुनावी सभा में कांग्रेस नेता अजय सिंह ने की बीजेपी के केंद्रीय मंत्री तोमर की तारीफ, बोले- सिंधिया के कारण नहीं बन पाए मुख्यमंत्री

बस्तर जनपद के ग्राम बड़े आमाबाल के जोगी परिवार के वशंज जोगी के रूप में नौ दिनों तक बैठते हैं। शनिवार शाम सिरासार भवन में मांझी-चालकी व पुजारी की मौजूदगी में जोगी को नए वस्त्र पहनाए गए। तदुपरांत उसे गाजे-बाजे के साथ कपड़ों के पर्दे की आड़ में सिरासार के पास स्थित मावली माता मंदिर ले जाया गया।

Read More पटना एयरपोर्ट में टला बड़ा हादसा, बाल-बाल बचे केंद्रीय मंत्री रविशंकर समेत 3 बीजेपी नेता, हेलिकॉप्टर के पंखे टूटे

मावली मंदिर में पुजारी द्वारा दीप प्रज्जवलन किया गया। देवी की पूजा-अर्चना उपरांत वहां रखे तलवार की पूजा की गई। इसके बाद उक्त तलवार लेकर जोगी वापस सिरासार भवन में पहुंचे। पुजारी के प्रार्थना उपरांत जोगी नौ दिनों तक साधना का संकल्प लेकर गड़ढे में बैठे। साधना काल में जोगी की सेवा-सुषुश्रा के लिए आमाबाल से ग्रामीण आए हुए हैं। मान्यता है कि जोगी के तप से देवी प्रसन्न होती हैं तथा विशाल दशहरा पर्व निर्विघ्न संपन्न होता है। उल्लेखनीय है कि यहां जोगी बिठाई की रस्म 6 सौ से भी अधिक वर्षों से एक ही परिवार निभा रहा है। नवरात्र की शुरुआत के साथ ही मां दन्तेश्वरी के प्रथम पुजारी के रूप में जोगी 9 दिनों तक एक ही जगह बैठकर कठिन व्रत रखते हैं।

Read More: ब्लैकस्टोन को अपनी 12 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति बेचेगी प्रेस्ट्रीज समूह, मिले धन से उतार सकती है कर्ज

दरअसल, देवी की उपासना बस्तर राजा को करनी होती थी ताकि यहां खुशहाली रहे लेकिन 9 दिनों तक राजा की जगह जोगी को देवी की उपासना के लिए बैठाया जाता है और आज भी ये परंपरा जारी है, जिससे दशहरे का पर्व शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जा सके। बड़े आमाबाल के 40 वर्षीय भगत नाग इस वर्ष फिर से जोगी के रूप में दशहरे की सफलता के लिए तप में बैठे। यह निरन्तर तेरहवाँ साल है, जब भगत तप में बैठे हैं।

Read More: कंगना रनौत और उनकी बहन रंगोली के खिलाफ दर्ज हुआ FIR, जानिए क्या है मामला?

फूलरथ परिक्रमा रविवार से बस्तर दशहरा का प्रमुख आकर्षण फुलरथ परिक्रमा रविवार से प्रारंभ होगा। उल्लेखनीय है कि बस्तर दशहरा में अश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि तक प्रतिदिन फूल रथ का गोल बाजार जगदलपुर में परिक्रमा कराया जाता है। रथ खींचने के लिए जगदलपुर तहसील के 32 और तोकापाल तहसील के 4 ग्रामों के युवा रथ खींचने के लिए आते हैं।

Read More: पूर्व सीएम रमन सिंह बोले- चुनाव लड़ना हर किसी का संवैधानिक अधिकार, नामांकन खारिज करना दिखाता है भय को