जबलपुर। दुश्मन की धरती पर कहर बरपाने के लिए अब भारतीय सेना के पास दुनिया की सबसे आधुनिक तोप हैं। देश की सीमाओं की रक्षा करने में एक बार फिर जबलपुर अपनी अहम भूमिका निभाने जा रहा है। जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री यानि जीसीएफ में बनकर तैयार हुई धनुष तोप बोफोर्स तोप का स्वेदशी और आधुनिक संस्करण है जिससे पूरी तरह से जीसीएफ फैक्ट्री में ही तैयार किया गया है।
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कारगिल युद्ध के दौरान अपनी उपयोगिता साबित कर चुकी बोफोर्स की तुलना में यह बेहतर तोप है जो न सिर्फ ज्यादा दूरी तक मार कर सकती है बल्कि पूरी तरह स्वचलित भी है। इसका सॉफ्टवेयर भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ने तैयार किया है, जो अन्य तोपों की तुलना में कई गुना आधुनिक और सुरक्षित है। धनुष 155 एमएम/ 45 कैलिबर गन है। इसका बैरल बोफोर्स की तुलना में बड़ा है, जिस कारण यह अधिक दूरी तक गोला फेंककर मार करने में सक्षम है। यह जमीन से जमीन पर और जमीन से आसमान में तकरीबन 38 किमी दूर तक सटीक निशाना लगाती है।
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धनुष तोप की खासियत है कि 38 किलो मीटर मारक क्षमता वाली स्वदेशी तोप धनुष का सिस्टम फुल ऑटोमैटिक है, जिस पर मौसम का कोई असर नहीं पड़ता है। चाहे तेज ठंड, बारिश या फिर गर्मी ही क्यों न हो ये तोप हर तरह के मौसम में अचूक निशाना लगाती है। इसके अलावा धनुष की एक ख़ास बात ये भी है कि इसका वजन हल्का है जो इसे तेजी से मूवमेंट करने में मदद करता है। तमाम खूबियों वाली धनुष की लागत लगभग 15 करोड़ रूपये है।
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धनुष तोप को गन कैरिज फैक्ट्री के अधिकारियों और सेना के अफसरों की उपस्थिति में मंगलवार को सेना सुपुर्द किया जाएगा। हालांकि सुरक्षा के मद्देनजर आर्मी को कितनी धनुष तोप दी गई और यह कब फैक्ट्री से रवाना होंगी,इस बात को गोपनीय रखा गया है।
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जीसीएफ फैक्ट्री के अधिकारियों का कहना है कि भारतीय सेना को 400 से ज्यादा धनुष तोपों की जरूरत है लेकिन फिलहाल फैक्ट्री को 114 तोपों को बनाने का ऑर्डर मिला है। तोप के निर्माण के लिए गन कैरिज फैक्ट्री के तमाम कर्मचारी तैयार है। मंगलवार को सेना के सुपुर्द करने के बाद धनुष तोप को जबलपुर के ही सीओडी यानि सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो में रखा जाएगा। धनुष का इस्तेमाल कब से और कहां करना है इस पर भारतीय सेना फैसला करेगी।