मध्यप्रदेश में नगरीय निकायों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी, गैर विधायकों को मिलेगा ही मेयर का टिकट : BJP, देखें दोनों दलों के प्रमुख दावेदारों के नाम

मध्यप्रदेश में नगरीय निकायों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी, गैर विधायकों को मिलेगा ही मेयर का टिकट : BJP, देखें दोनों दलों के प्रमुख दावेदारों के नाम

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  • Publish Date - December 9, 2020 / 12:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:48 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों ने एक कदम और आगे बढ़ाया है। बुधवार को प्रदेश के 16 नगर निगमों के साथ कुल 407 नगरीय निकायों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो गई है । राजधानी भोपाल, ग्वालियर, देवास, बुरहानपुर, सागर, कटनी और खंडवा नगर निगम महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं। इधर, आरक्षण प्रक्रिया पूरी होते ही बीजेपी ने महापौर का चुनाव लड़ने की तैयारियों में जुटे विधायकों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। संगठन ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि गैर विधायकों को ही टिकिट दिया जाएगा।

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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और खंडवा में महापौर की कमान ओबीसी वर्ग की आधी आबादी यानी महिला के हाथ में होगी। जबकि ग्वालियर, देवास, बुरहानपुर, सागर और कटनी नगर निगम सामान्य वर्ग महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं। इंदौर, जबलपुर, रीवा और सिंगरौली नगर निगम में सामान्य वर्ग के पुरुष चुनाव लड़ सकेंगे। बुधवार को भोपाल के रविंद्र भवन में नगरीय निकायों का आरक्षण हुआ। 16 नगर निगमों के साथ 99 नगर पालिका और 292 नगर परिषदों के महापौर और अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हुई…
1. अनारक्षित – इंदौर, जबलपुर, रीवा, सिंगरौली
2. अनारक्षित (महिला)- ग्वालियर, देवास, बुरहानपुर, सागर, कटनी
3. ओबीसी (महिला)- भोपाल, खंडवा
4. ओबीसी- रतलाम, सतना
5. एससी- उज्जैन
6. एससी महिला- मुरैना
7. एसटी- छिंदवाड़ा
अजा-जजा के लिए आबादी के अनुसार हुआ आरक्षण –
नगर निगम में महापौर के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण आबादी के अनुसार हुआ है, जबकि ओबीसी आरक्षण 25 प्रतिशत के हिसाब से हुआ है । ओबीसी आरक्षण में नियम है कि पिछली बार ओबीसी के लिए आरक्षित रहे निकायों को हटाकर आरक्षण किया जाता है। नगर निगमों का आरक्षण इधर, महापौर और नगर पालिकाओं के अध्यक्ष पद का आरक्षण होते ही टिकट की दौड़ में शामिल नेताओं के लिए बीजेपी ने गाइडलाइन जारी कर दी है। इधर, आरक्षण प्रक्रिया के बीच छिंदवाड़ा के आरक्षण को लेकर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराई।

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प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा है कि गैरविधायकों को ही मेयर का टिकट दिया जाएगा। संगठन के इस फैसले से भोपाल और इंदौर के विधायकों को झटका लगा है।

भोपाल में पूर्व महापौर और वर्तमान विधायक कृष्णा गौर का नाम सबसे प्रबल दावेदारों में देखा जा रहा था, जबकि इंदौर में पूर्व महापौर और वर्तमान विधायक मालिनी गौड़ के साथ विधायक रविंद्र मेंदोला टिकट के प्रबल दावेदार हैं। इंदौर में इनके अलावा बीजेपी पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, पूर्व महापौर कृष्ण मुरानी मोघे, पूर्व आईडीए अध्यक्ष मधू वर्मा और पूर्व विधायक जीतू जिराती टिकट की दौड़ में शामिल हैं। वहीं कांग्रेस की बात की जाए तो पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, विधायक संजय शुक्ला और देपालपुर विधायक विशाल पटेल और छोटे यादव का नाम शामिल है।

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जबलपुर नगर निगम में बीजेपी के दावेदारों में महाकौशल विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रह चुके शशिकांत शुक्ला, नर्मदा संकल्प यात्रा के प्रभारी रहे डॉ. जितेंद्र जामदार, पूर्व महापौर प्रभात साहू, पूर्व महापौर सदानंद गोडबोले, कमलेश अग्रवाल, श्रीराम शुक्ला, भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे, डॉ विनोद मिश्रा और जीएस ठाकुर के नाम शामिल हैं। कांग्रेस की बात की जाए तो पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत के भाई गौरव भनोत, जगत बहादुर सिंह, सौरभ नाटी शर्मा, राजेश सोनकर, संजय राठौर, बाबू विश्वमोहन और आलोक मिश्रा दौड़ में हैं।

आरक्षण प्रक्रिया पूरी होते ही टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस ने भी तैयारी शुरू कर दी है। दोनों दलों में दावेदारों ने भी अपने-अपने समीकरण बैठाना शुरू कर दिए हैं, हालांकि तमाम समीकरणों के साथ दोनों की प्रमुख दलों का सबसे अधिक फोकस जीतने वाले प्रत्याशी पर रहेगा।