धमतरी । जिले के कातलबोड़ की रहने वाली विशालाक्षी के कारनामों देखकर लोग दांतो तले अंगुली दबा लेते हैं। विशालाक्षी आंख पर पटटी बांधकर साइकिल चलाती है, वहीं आंखें खोले बिना देख लेती है। विशालाक्षी आंखे खोले बिना किताब भी पढ़- लिख लेती है। विशालाक्षी वो सबकुछ कर सकती है जो खुले आंख से करने में लोग चूक सकते हैं। ये सब हुआ योग के दम पर, आज पूरी दुनिया भारत के योग के दीवाने है विश्व भर में लोग आज योग को अपना रहे हैं।
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कुरूद क्षेत्र के कातलबोड़ गांव की रहने वाली विलक्षण प्रतिभा के धनी विशालाक्षी निर्मलकर की उम्र महज 12 साल की है, लेकिन कारनामे ऐसे कि जिसे देख कर लोग हैरान और सोच में पड़ जाते हैं। विशालाक्षी न सिर्फ अपनी दोनों आंखो में पट्टी बांध कर साइकिल चला लेती है, बल्कि बिना देखे हारमोनियम भी बजा लेती है। वहीं बिना देखे पढ़ लिख भी लेती है। विशालाक्षी बताती है कि ये कला उन्होने आर्ट आफ लिविंग संस्था में योग के माध्यम से सीखी है। पिता आर्ट आफ लिविंग संस्था में ही योग सिखाते हैं। पिता की मदद से ही वो ये सब सीख रही है।
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विशालाक्षी के पिता बताते है कि आर्ट आफ लिविंग संस्था के मदद से देश के कई जगहों में वह योग की शिक्षा दे रहे हैं, उनका कहना है कि प्रज्ञा योगा के जरिए बिना देखे कई सारे कई चीजें किया जा सकता है। ये 5 साल की उम्र के बच्चों से लेकर 15 साल तक के बच्चों को सिखाया जाता है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और बच्चे होशियार बनते हैं। इसी योग का कमाल है कि आज उनकी बेटी बिना किसी मदद से खुद पढ़ती है और हर साल अच्छे अंक लाती है।