पुरुषों के कंधों से कंधा मिलाकर चल रही महिलाओं को हेलमेट ना पहनने की छूट क्यों, जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब

पुरुषों के कंधों से कंधा मिलाकर चल रही महिलाओं को हेलमेट ना पहनने की छूट क्यों, जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब

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  • Publish Date - January 21, 2020 / 12:29 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:58 PM IST

जबलपुर । हेलमेट की अनिवार्यता से महिलाओं को छूट देने के प्रावधान को हाईकोर्ट मे चुनौती दी गई है। भोपाल के एक लॉ स्टूडेंट की ओर से दायर इस जनहित याचिका में मध्यप्रदेश मोटर व्हीकल रूल 1994 में बदलाव की मांग की गई है। याचिका में सड़क हादसों में महिलाओं की मौत के आंकड़े पेश किए गए हैं । याचिका के माध्यम से ये मुद्दा उठाया गया है कि जब हर क्षेत्र में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिए गए हैं तो आखिर महिलाओं को हेलमेट से छूट देने का क्या लॉजिक है।

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भोपाल की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के थर्ड ईयर के स्टूडेंट हिमांशु दीक्षित ने एक जनहित याचिका दायर कर महिलाओं को हेलमेट की अनिवार्यता से छूट के प्रावधान को गलत ठहराया है। मामले में 21 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता छात्र ने कोर्ट के सामने दलील रखी है कि मध्यप्रदेश में ड्राइविंग के दौरान हेलमेट न लगाने से साल 2015 से 2019 तक 2142 हादसों में 580 महिलाओं की मौत हो चुकी है। ऐसे में मध्यप्रदेश मोटर व्हीकल रूल 1994 में बदलाव करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इसके अंतर्गत आर्टिकल 15 (1) ओर आर्टिकल 21 के तहत महिलाओं के जीवन को खतरा बना हुआ है। यही रूल मध्यप्रदेश के अंदर महिलाओं को हेलमेट न लगाने की छूट प्रदान करता है जो उनके जीवन से भी खिलवाड़ कर रहा है।

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बता दें कि बीती 5 अक्टूबर को इस जनहित याचिका को दायर किया गया था। जिस पर सुनवाई के बाद 21 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव, परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव और विधि एवं विधायी विभाग के प्रमुख सचिव के खिलाफ नोटिस जारी किए थे। मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई में पक्षकारों के जबाब से हाईकोर्ट संतुष्ट नजर नहीं आई, जिसने मुख्य सचिव के अलावा दोनों प्रमुख सचिवों को अपना विस्तृत जवाब देने के लिए 2 हफ्तों का अंतिम मौका दिया है। मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी।.

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एक तरफ सरकारें महिला सशक्तिकरण और उन्हें पुरुषों के बराबर लाने के लिए उनके मुफ्त ड्रायविंग लायसेंस बनवा रही हैं, और दूसरी तरफ उन्हें हेलमेट लगाने से छूट देना बढ़ते सड़क हादसों के मद्देनज़र, उनकी जान से खिलवाड़ से कम नहीं है।