विधायक जिग्नेश मेवाणी समेत 12 लोगों को 3 महीने की सजा, 2017 के इस मामले

विधायक जिग्नेश मेवाणी समेत 12 लोगों को 3 महीने की सजा, 2017 के इस मामले में हुई सुनवाई

गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। वे एक के बाद एक कई मामलों में फंसते नजर आ रहे हैं।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:13 PM IST, Published Date : May 5, 2022/7:39 pm IST

MLA Jignesh Mevani sentenced to 3 months :मेहसाणा: गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। वे एक के बाद एक कई मामलों में फंसते नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में आज विधायक मेवाणी पर एक और मुसीबत गाज बनकर गिरी है। दरअसल मेहसाणा कोर्ट ने उन्हें एक मामले में तीन महीने की सजा सुनाई है, साथ ही 1 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।

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मिली जानकारी के अनुसार मामला मेहसाणा कोर्ट का है, जहां आज 2017 में बिना इजाजत के स्वतंत्रता मार्च निकालने के मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने जिग्नेश मेवाणी, एनसीपी नेत्री रेशमा पटेल सहित 12 लोगों को तीन महीने कैद की सजा सुनाई है। साथ ही सभी दोषियों को 1—1 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि जिग्नेश मेवाणी और रेशमा पटेल ने 2017 में बिना इजाजत के स्वतंत्रता मार्च निकाला था। इसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ गैरकानूनी मार्च करने का मामला दर्ज किया था।

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भाजपा हमें डरा नहीं सकती: रेशमा पटेल

मामले में फैसला आने के बाद एनसीपी नेत्री रेशमा पटेल ने कहा कि लोगों के लिए न्याय मांगना भाजपा शासन में अपराध है। भाजपा कानून का डर दिखाकर हमें डरा नहीं सकती। हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते है, लेकिन हम न्याय के लिए आगे भी लड़ते रहेंगे।

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अदालत के आदेश की अवहेलना बर्दाश्त नहीं

इस मामले में सुनवाई करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जे ए परमार ने कहा कि कोई भी रैली या मार्च करना अपराध नहीं है, लेकिन इजाजत के बिना रैली करना अपराध की श्रेणी में आता है और कोर्ट के आदेश के अवहेलना करना कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि 12 जुलाई 2017 को जिग्नेश मेवाणी सहित सभी दोषियों ने मेहसाणा में स्वतंत्रता मार्च निकाला था। बताया गया कि यह मार्च छात्र नेता कन्हैया कुमार सहित अन्य लोगों पर कोड़े बरसाए जाने की बरसी पर निकला गया था। अब कोर्ट ने इसी मामले में फैसला सुनाया है। हालांकि मार्च से जिला प्रशासन की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी। बावजूद इसके दोषियों ने मार्च का आयोजन किया था।

 

 

 
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