1984 सिख विरोधी दंगे: अदालत ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ डीएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष का बयान दर्ज किया
1984 सिख विरोधी दंगे: अदालत ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ डीएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष का बयान दर्ज किया
नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके का शुक्रवार को बयान दर्ज किया।
विशेष न्यायाधीश जितेन्द्र सिंह के समक्ष पेश हुए जीके ने कहा कि उन्हें एक पेन ड्राइव मिली है, जिसमें कथित तौर पर टाइटलर की आवाज की रिकॉर्डिंग है और इसमें वह दंगों में अपनी भूमिका स्वीकार कर रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि 2018 में उनके घर पर एक लिफाफा आया था, जिसमें एक पत्र और पेन ड्राइव थी और उन्होंने बाद में इसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया। सीबीआई मामले की जांच कर रही थी।
जीके ने कहा कि टाइटलर ने मामले के एक गवाह को धमकी दी थी। कांग्रेस नेता अदालत में मौजूद थे। जीके 21 अप्रैल को अपना बयान दर्ज कराएंगे।
यह मामला 1984 में राष्ट्रीय राजधानी स्थित गुरुद्वारा पुल बंगश में तीन व्यक्तियों की हत्या से जुड़ा है।
न्यायाधीश ने 12 नवंबर 2024 को बादल सिंह की विधवा लखविंदर कौर का बयान दर्ज करने की कवायद पूरी कर ली थी। बादल सिंह की दंगों के दौरान गुरुद्वारा पुल बंगश में भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी।
अदालत ने पिछले साल 13 सितंबर को टाइटलर के खिलाफ हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय किए थे।
एक गवाह ने दावा किया कि टाइटलर एक नवंबर 1984 को गुरुद्वारे के सामने एक सफेद रंग की कार से उतरे और समुदाय के खिलाफ भीड़ को उकसाया, जिस वजह से हत्याएं हुईं।
वर्ष 2023 में एक सत्र अदालत ने टाइटलर को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर अग्रिम जमानत दे दी थी।
टाइटलर को मामले में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न करने या अदालत की अनुमति के बिना देश न छोड़ने का निर्देश दिया गया।
एजेंसी ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा), 109 (उकसाना) और 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए हैं।
भाषा नोमान संतोष
संतोष

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