1984 सिख विरोधी दंगा, 34 साल बाद एक आरोपी को फांसी, एक को उम्रकैद की सजा

1984 सिख विरोधी दंगा, 34 साल बाद एक आरोपी को फांसी, एक को उम्रकैद की सजा

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  • Publish Date - November 20, 2018 / 01:32 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:03 PM IST

नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में अदालत ने 34 साल बाद एक आरोपी को मौत की सजा सुनाई है और एक को उम्र कैद की सजा दी है। दोनों आरोपियों पर 35-35 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने इस मामले में पिछले सप्ताह अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गृह मंत्रालय ने 2015 में 1984 के दंगों से जुड़े मामलों की जांच के लिए SIT का गठन किया था। उसके बाद यह पहली सजा है।

सुनवाई के दौरान अभियोजन और पीड़ितों के वकील ने दोषियों के लिए फांसी की मांग की थी। जबकि बचाव पक्ष की ओर से रहम की अपील की गई थी। एसआईटी ने पिछले सप्ताह एडिशनल सेशन जज अजय पांडे के समक्ष दलील दी थी कि अपराध गंभीर प्रकृति का है और इसे पूरी साजिश के तहत अंजाम दिया गया। इसलिए उन्हें फांसी दी जाए।

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वहीं पीड़ितों की ओर से पेश सीनियर काउंसिल एचएस फुल्का ने भी एसआईटी की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले पर सिर्फ दंगा पीड़ितों को नहीं, पूरी दुनिया की नजर टिकी है। बता दें कि 1994 में यह मामला दिल्ली पुलिस ने सबूतों के अभाव में बंद कर दिया था लेकिन एसआईटी ने मामले को दोबारा खोला।