8वीं के 2 छात्रों ने आर्मी के लिए बनाई स्मार्ट ट्रैकिंग वॉच, इस तरह से बचाएगी जवानों की जिंदगी

वाराणसी (Varanasi) के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के क्लास 8 में पढ़ने वाले दो स्टूडेंट्स दक्ष अग्रवाल और सूरज ने मिलकर मुश्किल इलाकों में तैनात जवानों के लिए एक खास 'स्मार्ट सोल्जर ट्र्रैकर वॉच' बनाई है।

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  • Publish Date - July 24, 2022 / 08:55 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

Smart Soldier Tracker Watch: सीमा पर तैनात होने के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात आर्मी (Army) के जवानों को भी मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ता है। इसमें प्राकृतिक आपदा का सामना करना सबसे कठिन है, जिसमें हर साल कई जवान अपनी जान गंवा देते हैं। हाल ही में पूर्वोत्तर के मणिपुर (Manipur) और पहाड़ी इलाकों में हुए लैंडस्लाइड (Landslide) के कारण कई जवानों को जोखिम उठाना पड़ा था। इसे देखते हुए दो स्टूडेंट्स ने एक ऐसा स्मार्टवॉच ट्रैकर (Smart Watch Tracker) बनाया है जिससे जवानों की लोकेशन के बारे में पता चल जाएगा। यह स्मार्टवॉच ट्रैकर इन जवानों को ढूंढने और राहत देने में मददगार साबित हो सकता है।

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लैंडस्लाइड की घटना ने 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स को झकझोरा

बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) के आर्यन इंटरनेशनल स्कूल के क्लास 8 में पढ़ने वाले दो स्टूडेंट्स दक्ष अग्रवाल और सूरज ने मिलकर मुश्किल इलाकों में तैनात जवानों के लिए एक खास ‘स्मार्ट सोल्जर ट्र्रैकर वॉच’ बनाई है। स्टूडेंट दक्ष अग्रवाल ने कहा कि मणिपुर में हुई लैंडस्लाइड की घटना ने उन्हें झकझोर दिया था। इस घटना के बाद उन्होंने एक विशेष तरह की स्मार्टवॉच का आविष्कार किया जो कि सेना के जवानों और नागरिकों के बहुत काम आ सकती है।

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ऐसे काम करेगा स्मार्टवॉच ट्रैकर

उन्होंने कहा कि स्मार्ट सोल्जर ट्रैकिंग वॉच लैंडस्लाइड होने पर मलबे में दबे जवानों को ढूंढ़ने और रेस्क्यू टीम के रूप में काम करेगा। इस ट्रैकिंग वॉच के दो पार्ट हैं- पहला ट्रांसमीटर सेंसर है जो जवानों की घड़ी में लगा होगा। वहीं, दूसरा रिसीवर अलार्म सिस्टम है जो स्मार्टवॉच के ट्रांसमीटर सेंसर से जुड़ा है। रिसिवर अलार्म सिस्टम आर्मी के कंट्रोल रूम में होगा। अभी इसकी रेंज करीब 50 मीटर होगी। जब कभी भी लैंडस्लाइड जैसी घटना होगी, घड़ी के सेंसर्स पर दबाव पड़ेगा जिससे वो एक्टिव हो जाएगा। इसके बाद रिसिवर को सिग्नल भेजेगा। जैसे ही रिसीवर घड़ी से भेजे गए रेडियो सिग्नल को रिसीव करता है। कंट्रोल रूम में लगा आलर्म ऑन हो जाएगा। फिर मलबे में दबे घड़ी के सिग्नल से अंदर के एरिया की जानकारी मिल जाएगी।

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स्मार्टवॉच ट्रैकर में लगा होगा ट्रैकर

वहीं, स्मार्ट सोल्जर ट्रैकिंग वॉच बनाने में मदद करने वाले सूरज ने बताया कि पहला ट्रांसमीटर एक वॉच की तरह होगा। ये वॉच जवान की कलाई पे लगी होगी. दूसरा, हमारा रिसीवर सिस्टम काफी छोटा होगा। हम इसे मोबाइल की तरह जेब में भी रख सकते हैं। ये रिसीवर डिवाइस जवानों के कंट्रोल रूम में होगा। दोनों डिवाइस रेडियो सिग्नल के जरिए एक-दूसरे से जुड़े होंगे। ये वॉच एक ट्रांसमीटर की तरह काम करती है।

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