प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री हटाने संबंधी विधेयक पर एक संसदीय समिति ने साक्ष्य-आधारित औचित्य मांगा

प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री हटाने संबंधी विधेयक पर एक संसदीय समिति ने साक्ष्य-आधारित औचित्य मांगा

  •  
  • Publish Date - December 17, 2025 / 09:10 PM IST,
    Updated On - December 17, 2025 / 09:10 PM IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को पद से हटाने से संबंधित विधेयकों पर विचार कर रही एक संसदीय समिति ने बुधवार को प्रस्तावित कानून के लिए साक्ष्य-आधारित औचित्य मांगा। समिति ने पूछा कि क्या दुनिया में कहीं भी इस तरह के कानूनों का कोई उदाहरण मौजूद है।

संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक पर भाजपा सदस्य अपराजिता सारंगी की अध्यक्षता वाली संयुक्त समिति की बैठक हुई। समिति ने संवैधानिक विशेषज्ञों, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, वकीलों और बार एसोसिएशन के सदस्यों से परामर्श करने का निर्णय लिया है।

सारंगी ने कहा कि राजनीति को अपराध मुक्त करने की आवश्यकता पर बैठक में सभी सदस्यों की एक राय थी।

उन्होंने बैठक के पत्रकारों से कहा, ‘‘आज की बैठक में दो बातों पर विशेष रूप से चर्चा हुई। माननीय सांसदों ने विधेयकों के लिए सबूतों के आधार पर औचित्य की वजह पूछी और जानना चाहा कि क्या ऐसे कानून किसी और देश में भी हैं।’’

सारंगी ने कहा कि गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों के सात जनवरी को होने वाली आगामी बैठक में जवाब देने की उम्मीद है।

सूत्रों ने बताया कि सांसदों ने 25 सवाल पूछे और गृह मंत्रालय अगली बैठक में उनके जवाब देगा।

उन्होंने बताया कि गृह मंत्रालय ने सदस्यों से सुझाव मांगा कि देश की राजनीतिक व्यवस्था में शुचिता कैसे लाई जाए और लोगों को भ्रष्टाचार में शामिल होने से कैसे रोका जाए।

हालांकि, कुछ सांसदों ने सवाल उठाया कि लोगों द्वारा निर्वाचित विधायकों या सांसदों को हटाने के लिए कानून कैसे बनाया जा सकता है।

इस 31-सदस्यीय समिति में राकांपा-एसपी नेता सुप्रिया सुले, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी और वाईएसआरसीपी के एस निरंजन रेड्डी ही विपक्षी सदस्य हैं।

भाषा अविनाश सुरेश

सुरेश