अगस्टावेस्टलैंड: दिल्ली की अदालत ने क्रिश्चियन मिशेल की जमानत शर्तों में संशोधन किया

अगस्टावेस्टलैंड: दिल्ली की अदालत ने क्रिश्चियन मिशेल की जमानत शर्तों में संशोधन किया

  •  
  • Publish Date - December 23, 2025 / 10:00 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 10:00 PM IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले से जुड़े सीबीआई मामले में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन जेम्स मिशेल की जमानत की शर्तों में संशोधन किया।

विशेष सीबीआई न्यायाधीश संजय जिंदल ने जमानत बॉण्ड और पासपोर्ट जमा करने की शर्तों से संबंधित संशोधनों का आग्रह करने वाली मिशेल की याचिका पर आदेश दिया।

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘आरोपी क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की गिरफ्तारी के सात साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, कार्यवाही प्रारंभिक चरण में है और अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘संबंधित ईडी मामले में (दिल्ली) उच्च न्यायालय द्वारा जमानत की शर्तों में किए गए संशोधन को ध्यान में रखते हुए, मेरा मानना ​​है कि इस मामले में भी इसी तरह का संशोधन किया जा सकता है और इससे अभियोजन पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा।’’

अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में शनिवार को उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।

मंगलवार को अदालत ने मिशेल को निश्चित राशि के व्यक्तिगत बॉण्ड और जमानत बॉण्ड की जगह पांच-पांच लाख रुपये का एक व्यक्तिगत ब्रण्ड और नकद ज़मानत राशि भरने की अनुमति दी थी।

पासपोर्ट जमा करने से संबंधित दूसरी शर्त पर अदालत ने कहा कि उसे पासपोर्ट जमा किए बिना रिहा किया जा सकता है। मिशेल ने पहले कहा था कि उसका पासपोर्ट समाप्त हो चुका है।

उसे इस साल 18 फरवरी को उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई मामले में जमानत दे दी थी। दो हफ्ते बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी उसे ईडी मामले में जमानत दे दी। हालांकि, मिशेल पासपोर्ट के नवीनीकरण का इंतजार करते हुए तिहाड़ जेल में ही रहा।

अदालत ने मंगलवार को कहा, ‘‘उपरोक्त पहली शर्त में इस प्रकार संशोधन किया गया है कि पांच लाख रुपये के व्यक्तिगत बॉण्ड और जमानत बॉण्ड प्रस्तुत करने की आवश्यकता के बजाय, आवेदक को पांच लाख रुपये के व्यक्तिगत बॉण्ड के साथ पांच लाख रुपये की नकद जमानत प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है।’’

प्रस्तुत दलीलों पर विचार करते हुए, इसने कहा, ‘‘एफआरआरओ (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय) यह सुनिश्चित करेगा कि आवेदक (मिशेल) देश छोड़कर न जाए, और ब्रिटिश उच्चायोग (या आवेदक का पासपोर्ट जारी करने वाला संबंधित प्राधिकरण) यह सुनिश्चित करेगा कि आवेदक का नया पासपोर्ट, जब भी वह तैयार हो, आवेदक को सौंपा न जाए बल्कि सीधे इस न्यायालय में जमा किया जाए।’’

अदालत ने सीबीआई को एफआरआरओ से संपर्क करने और उसे जमानत की संशोधित शर्तों के बारे में सूचित करने का भी आदेश दिया।

कथित घोटाले के संबंध में ईडी और सीबीआई द्वारा दायर किए गए दो मामलों में मिशेल पर आरोप लगाए गए हैं।

रक्षा सौदे में ‘बिचौलिया’ होने के आरोपी को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित किया गया था, जिसके बाद सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।

अगस्टावेस्टलैंड मामला ब्रिटिश-इतालवी फर्म से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों का अनुबंध हासिल करने के लिए रक्षा मंत्रालय के पूर्व अधिकारियों को कथित रिश्वत के भुगतान और अनियमितताओं पर केंद्रित है।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव