अकाल तख्त ने 23 जुलाई को गुरु नानक जहाज स्मृति दिवस घोषित किए जाने की मांग की

अकाल तख्त ने 23 जुलाई को गुरु नानक जहाज स्मृति दिवस घोषित किए जाने की मांग की

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  • Publish Date - July 23, 2025 / 06:55 PM IST,
    Updated On - July 23, 2025 / 06:55 PM IST

अमृतसर, 23 जुलाई (भाषा) अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गडगज ने केंद्र और पंजाब सरकार से 23 जुलाई को गुरु नानक जहाज स्मृति दिवस घोषित करने की मांग की है।

जत्थेदार ने कहा कि 1914 में आज ही के दिन गदर क्रांतिकारी बाबा गुरदित सिंह के नेतृत्व में बेहतर भविष्य की तलाश में पंजाबियों का एक बड़ा समूह जहाज से कनाडा पहुंचा था। इस समूह में अधिकतर सिख थे।

जत्थेदार ने कहा कि मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करते हुए उन्हें वापस भेज दिया गया।

वर्ष 1914 में कनाडा से जहाज की जबरन वापसी की 111वीं वर्षगांठ पर गडगज ने कहा कि इस ऐतिहासिक घटना को अब सरे और वैंकूवर जैसे कनाडाई शहरों में गुरु नानक जहाज स्मृति दिवस के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है।

जत्थेदार ने इस मान्यता को ऐतिहासिक सत्य को स्वीकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम और सिख समुदाय के लिए गौरव का क्षण बताया।

यह दिन नस्लवाद के खिलाफ एक बड़े संघर्ष की याद में मनाया जाता है, जिसका नेतृत्व बाबा गुरदित सिंह ने किया था। बाबा गुरदित ने 1914 में गुरु नानक स्टीमशिप कंपनी की स्थापना की थी।

बाबा गुरदित सिंह ने कोमागाटा मारू कंपनी से एक जापानी जहाज किराए पर लिया, उसका नाम बदलकर गुरु नानक जहाज रखा और कनाडा के तत्कालीन नस्लवादी आव्रजन कानूनों को चुनौती दी।

गडगज ने कहा कि हांगकांग से कनाडा की यात्रा ‘बेहद धार्मिक’ थी क्योंकि जहाज पर गुरु ग्रंथ साहिब, अखंड पाठ साहिब और निशान साहिब मौजूद थे। जहाज पर सवार 377 यात्रियों में से 341 सिख थे।

उन्होंने खेद जताते हुए कहा कि भारत में इतिहास की पुस्तकों में उस जहाज़ को अब भी ‘कोमागाटा मारु’ कहा जाता है, जबकि बाबा गुरदित सिंह ने उसका नाम ‘गुरु नानक जहाज़’ रखा था, जिसका उल्लेख उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘गुरु नानक जहाज़’ में भी किया है।

भाषा रवि कांत रवि कांत पवनेश

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