Article 370: स्थिति को पहले ही भांप चुके थे पटेल, जिन्ना के बुलावे पर लाहौर जा रहे थे नेहरू, आर्टिकल 370 SC में बोली सरकार

Article 370: स्थिति को पहले ही भांप चुके थे पटेल, जिन्ना के बुलावे पर लाहौर जा रहे थे नेहरू, आर्टिकल 370 SC में बोली सरकार

  •  
  • Publish Date - August 25, 2023 / 02:35 PM IST,
    Updated On - August 25, 2023 / 02:35 PM IST

जम्मू-कश्मीर। सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को चुनौती दी गई है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्‍यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ बैठी है। 20 से ज्यादा याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें पूरी हो गईं। गुरुवार से केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखना शुरू किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में जम्‍मू और कश्‍मीर के भारत में विलय का घटनाक्रम दोहराया।  केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरदार पटेल जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के पूरी तरह खिलाफ थे। यही नहीं आर्टिकल 370 लागू करने को उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की देन बताया। मेहता ने अदालत में कहा कि जम्मू-कश्मीर में नेहरू के दूत के तौर पर काम कर रहे गोपालस्वामी आयंगर ने उनके निर्देश पर ही आर्टिकल 370 को जोड़ने का फैसला लिया था।

Read More: थम नहीं रहा आदिवासियों पर अत्याचार, शख्स को मारते-पीटते थाने ले गई पुलिस, सुबह घर में मिली लाश 

स्थिति को पहले ही भांप चुके थे पटेल 

जम्मू-कश्मीर के विलय की पूरी क्रोनोलॉजी बताते हुए मेहता ने कहा कि अक्टूबर 1947 में विलय पर फैसला होने से पहले ही पाकिस्तान ने हमला कर दिया था। ऐसी स्थिति को पटेल पहले ही भांप चुके थे और उन्होंने 3 जुलाई, 1947 को डोगरा महाराजा हरि सिंह को लिखा था कि उन्हें बिना कोई देर किए भारत का हिस्सा बन जाना चाहिए। इसकी वजह यह है कि कश्मीर भौगोलिक रूप से और परंपरागत तौर पर भी भारत से जुड़ाव रखता है। मेहता ने कहा कि पाकिस्तान के हमले के बाद महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे और फिर जब भारतीय सेना ने कश्मीर का रुख किया तो पाकिस्तान पीछे हटा।

Read More: #IBC24Jansamwad: महिलाओं को कैसे मिल रहा लाड़ली बहना योजना का लाभ, IBC24 के हर सवालों का जनप्रतिनिधियों ने दिया जवाब… 

लाहौर जाने को राजी थे नेहरू

कश्मीर के महाराजा ने जब विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए तो जिन्ना ने जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर मुद्दे पर बात करने के लिए लाहौर बुलाया था। कई किताबों का हवाला देते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा, कि ‘माउंटबेटन जिन्ना का आमंत्रण स्वीकार करना चाहते थे। उनकी सलाह पर ही नेहरू भी राजी थे। हालांकि पटेल इसके खिलाफ थे। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान हमलावर है और हम उसकी ही शर्त पर बात नहीं कर सकते। सहमति न बन पाने पर यह मसला महात्मा गांधी के पास ले जाया गया। उन्होंने नेहरू, पटेल और वीपी मेनन से बात की। इसी में एक कूटनीतिक हल निकाला गया कि नेहरू नहीं जाएंगे बल्कि माउंटबेटन अकेले लाहौर जा सकते हैं।

Read More: Bray Wyatt passed away: WWE के पूर्व चैंपियन का निधन, महज 36 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, सामने आई ये वजह 

1947 से पहले 62 रियासतों का अलग संविधान था

यही नहीं केंद्र सरकार की ओर से अदालत में यह भी तर्क दिया गया कि 1947 से पहले 62 रियासतों का अलग संविधान था। ऐसे में यह कोई आधार नहीं हो सकता कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य माना जाए। आर्टिकल 370 पर फिलहाल सुनवाई जारी है और दोनों पक्षों की ओर से कोर्ट में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ तर्क पेश किए जा रहे हैं।

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें