अरुणाचल की एयर गन समर्पण योजना ने संरक्षण प्रयासों को मजबूत किया

अरुणाचल की एयर गन समर्पण योजना ने संरक्षण प्रयासों को मजबूत किया

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  • Publish Date - July 4, 2025 / 06:01 PM IST,
    Updated On - July 4, 2025 / 06:01 PM IST

ईटानगर, चार जुलाई (भाषा) अरुचाणल प्रदेश सरकार के ‘एयर गन समर्पण अभियान’ के तहत नागरिकों ने स्वेच्छा से 2,400 से अधिक एयर गन प्रशासन को सौंप दिए हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

पक्षियों एवं वन्यजीवों के अंधाधुंध शिकार पर लगाम लगाने के लिए शुरू की गई यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित मॉडल के रूप में उभरी है। इसे न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रशंसा मिली है, बल्कि यूनेस्को के मंच पर वैश्विक मान्यता भी हासिल हुई है।

मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने ‘एयर गन समर्पण अभियान’ को अरुणाचल के लिए गौरव का पल करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पहल लोगों की ओर से पर्यावरण के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम का एक शानदार उदाहरण है।

खांडू ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘यह अभियान हमारे लोगों के मजबूत पारिस्थितिक मूल्यों और जैव विविधता की रक्षा के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’

उन्होंने कहा कि यह अभियान ‘पेमा 3.0-सुधार और विकास रूपरेखा का वर्ष’ के तहत राज्य सरकार के सुधार और सतत विकास मिशन के अनुरूप है।

‘एयर गन समर्पण अभियान’ की शुरुआत मार्च 2021 में पूर्वी कामेंग जिले के लुमडुंग गांव से की गई थी, जहां पहले दिन 46 एयर गन प्रशासन के हवाले कर दी गई थीं।

पर्यावरण और वन विभाग के समर्थन से इस अभियान ने गति पकड़ ली। पूर्व मंत्री मामा नटुंग के नेतृत्व में पूरे राज्य में समुदायों को सक्रिय रूप से एयर गन प्रशासन को सौंपने के लिए प्रोत्साहित किया जाने लगा।

देखते ही देखते यह अभियान एक जनांदोलन बन गया, जिसमें हजारों लोगों ने अपनी एयर गन, लाइसेंसी बंदूकें और अवैध कटाई के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पावर चेनसॉ मशीनें प्रशासन को सौंप दीं।

अधिकारियों ने दावा किया कि अभियान का प्रभाव दिखाई देना लगा है और कई जिलों में पक्षियों के दिखने की घटनाओं तथा वन्यजीवों की आबादी में फिर से वृद्धि की खबरें मिल रही हैं।

अभियान की सफलता को राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली, जब प्रधानमंत्री मोदी ने दिसंबर 2021 में अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में इसका जिक्र किया और इसे नागरिक-नेतृत्व वाले पर्यावरणवाद का एक प्रेरक उदाहरण बताया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे 2021 में ‘बायोस्फीयर रिजर्व’ पर यूनेस्को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के सबसे आशाजनक और अनुकरणीय संरक्षण मॉडल में से एक के रूप में प्रदर्शित किया गया।

भाषा पारुल रंजन

रंजन