गुवाहाटी, 29 मार्च (भाषा) असम के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया ने मौजूदा उच्च न्यायालय परिसर को स्थानांतरित करने के सरकार के फैसले को लेकर गुवाहाटी उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (जीएचसीबीए) से मतभेद के बाद जीएचसीबीए से इस्तीफा दे दिया है। एसोसिएशन परिसर स्थानांतरण के विरूद्ध है।
सैकिया ने शुक्रवार को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को भेजे अपने त्यागपत्र में कहा कि उनका निर्णय ‘‘वकीलों की वर्तमान और भावी पीढ़ी के व्यापक हित में तथा न्याय वितरण प्रणाली की समग्र बेहतरी के लिए है।’’
जीएचसीबीए उच्च न्यायालय परिसर को गुवाहाटी के मध्य से हटाकर ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित रंगमहल में स्थानांतरित करने का विरोध कर रहा है।
उसने दावा किया है कि परिसर को स्थानांतरित करने का निर्णय एकतरफा है और ‘बिना पर्याप्त बुनियादी ढांचे के दूरदराज के क्षेत्र में स्थानांतरण से कानूनी कार्यवाही की दक्षता में काफी बाधा आएगी तथा वादियों और कानूनी पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’’
प्रस्तावित स्थानांतरण पर बार एसोसिएशन के विरोध का जिक्र करते हुए सैकिया ने पत्र में कहा कि राज्य के महाधिवक्ता होने के नाते उन्हें इस मामले में उच्च न्यायालय और राज्य सरकार के फैसले के साथ खड़ा होना होगा।
उन्होंने कहा कि भविष्य में कानूनी बिरादरी को बेहतर और अधिक अनुकूल वातावरण प्रदान करने के उद्देश्य से उच्च न्यायालय परिसर को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया है।
इस कदम को अपना समर्थन देते हुए राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि परिसर का स्थानांतरण ‘‘न केवल मौजूदा बुनियादी ढांचे में विभिन्न कमियों और खामियों के कारण समय की मांग है, बल्कि यह नई पीढ़ी और आने वाले वकीलों को बेहतर कामकाजी माहौल प्रदान करेगा और साथ ही सभी मौजूदा कमियों को कम करेगा।’’
एक तरफ गुवाहाटी उच्च न्यायालय और राज्य सरकार है तथा दूसरी तरफ जीएचसीबीए है। दोनों ने ‘एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत रुख’ अपनाया है जिसके कारण हितों के टकराव की संभावना के चलते सैकिया ने बार एसोसिएशन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
वर्तमान में, गुवाहाटी उच्च न्यायालय ब्रह्मपुत्र के दक्षिणी तट पर मध्य गुवाहाटी के उजान बाजार क्षेत्र में स्थित है। उजान में एक ऐतिहासिक इमारत है, जबकि कुछ साल पहले करोड़ रुपये की लागत से बने एक अत्याधुनिक बहुमंजिला भवन का उद्घाटन किया गया था।
दोनों इमारतें महात्मा गांधी रोड के दोनों तरफ आमने-सामने हैं और एक भूमिगत सुरंग के माध्यम से जुड़ी हुई हैं।
असम सरकार ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे का विकास करना चाहती है, जिसके लिए उसे उच्च न्यायालय की भूमि का अधिग्रहण करना होगा।
भाषा राजकुमार धीरज
धीरज