गुवाहाटी, 14 दिसंबर (भाषा) असम में संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के तहत एक महिला समेत दो लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है।
उनके वकील के अनुसार, इसके साथ ही राज्य में इस अधिनियम के तहत नागरिकता प्राप्त करने वालों की संख्या चार हो गई है।
सिलचर में विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्य रह चुके वरिष्ठ अधिवक्ता धर्मानंद देब ने बताया कि यह असम में सीएए के तहत किसी महिला को नागरिकता देने का पहला मामला है।
उन्होंने बताया कि 40 वर्षीय महिला 2007 में बांग्लादेश से भारत आई थी और श्रीभूमि में रह रही थी, जबकि 1975 में भारत आया 61 वर्षीय पुरुष काछार में रह रहा था।
गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रमाणपत्र जारी किए। नागरिकता उस दिन से प्रभावी मानी जाएगी, जब दोनों ने भारत में प्रवेश किया था।
वकील ने सामाजिक परेशानियों के चलते उनके नाम गोपनीय रखे।
उन्होंने कहा कि महिला बांग्लादेश के चंटगांव की निवासी है और सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में परिवार के इलाज के लिए आई थी।
अधिवक्ता ने बताया कि उसने श्रीभूमि के एक व्यक्ति से विवाह किया, दोनों के पुत्र का जन्म हुआ और वह वहीं बस गई।
अधिवक्ता ने बताया कि सिलचर में रहने वाला पुरुष 11 साल की उम्र में बांग्लादेश के मौलवीबाजार जिले से भारत आया था।
उन्होंने का कि उसने भी स्थानीय महिला से विवाह किया और परिवार बसा लिया।
सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 25 मार्च 1971 और 31 दिसंबर 2014 के बीच भारत आए हिंदू, ईसाई, बौद्ध, सिख, जैन और पारसी प्रवासियों को नागरिकता दी जाती है। सीएए 11 दिसंबर 2019 को पारित हुआ था और असम में इसके विरोध में राज्यव्यापी प्रदर्शन हुए थे, जिनमें पांच लोग मारे गए।
असम में लगभग दो लाख लोग संदेहास्पद नागरिक के रूप में पहचाने गए हैं, लेकिन अब तक कुछ ही लोग सीएए के तहत आवेदन कर सके हैं।
मुख्यमंत्री हिमंता विश्व शर्मा का दावा है कि अधिकांश हिंदू प्रवासी 1971 की ‘कट-ऑफ’ तिथि से पहले बांग्लादेश से असम आए थे।
भाषा जोहेब संतोष
संतोष