निशिकांत, अग्निमित्रा के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल की मंजूरी मांगी गई

निशिकांत, अग्निमित्रा के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल की मंजूरी मांगी गई

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  • Publish Date - April 21, 2025 / 06:58 PM IST,
    Updated On - April 21, 2025 / 06:58 PM IST

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे और पार्टी विधायक अग्निमित्रा पॉल के खिलाफ न्यायपालिका पर हमले के लिए अदालत की अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू करने को लेकर एक वकील ने सोमवार को मंजूरी मांगी।

एक पत्र में अधिवक्ता बृजेश सिंह ने कहा कि दोनों ने ‘‘जानबूझकर मीडिया एजेंसियों और चैनलों के माध्यम से उच्चतम न्यायालय के खिलाफ सरेआम निंदनीय, झूठे और अपमानजनक बयान दिए’’ और इसकी गरिमा को तथा न्यायपालिका में आम आदमी की ‘‘गहरी आस्था’’ को चोट पहुंचाई।

पत्र में कहा गया है, ‘‘दोनों व्यक्ति जनप्रतिनिधि हैं। निशिकांत दुबे झारखंड से सांसद हैं और अग्निमित्रा पॉल भी पश्चिम बंगाल विधानसभा की निर्वाचित सदस्य हैं। दोनों ने जानबूझकर उच्चतम न्यायालय पर हमला किया। यह अत्यंत निंदनीय है कि न्यायपालिका को इस तरह से निशाना बनाया गया।’’

इसमें अदालत की अवमानना ​​अधिनियम के प्रावधानों और उच्चतम न्यायालय की अवमानना ​​के लिए कार्यवाही को विनियमित करने के नियमों के तहत दुबे और अग्निमित्रा के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने के संबंध में वेंकटरमणी की मंजूरी मांगी गई है।

विधि विशेषज्ञों ने 20 अप्रैल को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और दुबे की न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों की निंदा की। धनखड़ ने हाल में न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रपति के लिए निर्णय लेने की समयसीमा निर्धारित करने और ‘‘सुपर संसद’’ के रूप में कार्य करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर ‘‘परमाणु मिसाइल’’ नहीं दाग सकता।

धनखड़ की टिप्पणियों के ठीक बाद दुबे ने कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय को कानून बनाना है तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना पर भी निशाना साधा था।

दुबे की टिप्पणी को दोहराते हुए भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने पूछा, ‘‘उन्होंने (निशिकांत दुबे) सही बात कही है। राष्ट्रपति भारत के प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति करती हैं। फिर भारत के प्रधान न्यायाधीश राष्ट्रपति के आदेश को कैसे नकार सकते हैं?’’

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप