लेखिका बानू मुश्ताक ने किया मैसुरु में दशहरा उत्सव का उद्घाटन

लेखिका बानू मुश्ताक ने किया मैसुरु में दशहरा उत्सव का उद्घाटन

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  • Publish Date - September 22, 2025 / 12:15 PM IST,
    Updated On - September 22, 2025 / 12:15 PM IST

मैसुरु, 22 सितंबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता एवं लेखिका बानू मुश्ताक ने मैसुरु के विश्व प्रसिद्ध दशहरा उत्सव का सोमवार को उद्घाटन किया और इसी के साथ यहां दशहरा उत्सव धार्मिक एवं पारंपरिक उत्साह के साथ शुरू हो गया।

मुश्ताक ने चामुंडी पहाड़ियों पर स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर परिसर में ‘‘वृश्चिक लग्न’’ में पुजारियों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मैसुरु और वहां के राजपरिवारों की अधिष्ठात्री देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति पर पुष्प वर्षा करके उत्सव का उद्घाटन किया।

‘नाडा हब्बा’ (राज्य उत्सव) के रूप में मनाया जाने वाला 11 दिवसीय दशहरा पर्व या ‘शरण नवरात्र’ उत्सव इस वर्ष भव्य रूप से मनाया जाएगा जिसमें कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं के साथ-साथ शाही ठाठ-बाट एवं वैभव की झलक भी दिखाई देंगी।

उद्घाटन समारोह में मुश्ताक के साथ मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, राज्य मंत्रिमंडल के कई मंत्री और अन्य लोग मौजूद थे।

इससे पहले मुश्ताक, मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ चामुंडेश्वरी मंदिर पहुंचीं और उद्घाटन से पहले देवी की पूजा की, जिन्हें ‘‘नाडा देवता’’ कहा जाता है।

उत्सव का उद्घाटन विवाद के बीच हुआ क्योंकि कुछ वर्गों ने उद्घाटन के लिए बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई थी।

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए मुश्ताक को आमंत्रित करने के उसके फैसले को बरकरार रखा गया था।

मुश्ताक का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं और अन्य लोगों ने राज्य सरकार द्वारा दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए मुश्ताक को आमंत्रित करने के फैसले पर आपत्ति जताई है। इस वीडियो में मुश्ताक ने कथित तौर पर कन्नड़ भाषा को ‘‘देवी भुवनेश्वरी’’ के रूप में पूजने पर यह कहकर आपत्ति जताई थी कि यह उनके जैसे लोगों (अल्पसंख्यकों) के लिए वर्जित है।

हालांकि, मुश्ताक ने कहा है कि उनके पुराने भाषण के चुनिंदा अंशों को सोशल मीडिया पर प्रसारित करके उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

अधिकारियों के अनुसार, इस उत्सव में हमेशा की तरह कर्नाटक की सांस्कृतिक विरासत की झलक के साथ लोक कलाओं को प्रदर्शित किया जाएगा, यह बड़ी संख्या में लोगों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।

नवरात्र के दिनों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिसमें मैसुरु के महल, प्रमुख सड़कें, गलियों, चौक-चौराहों और इमारतों को रोशनी से जगमग किया जाएगा, जिसे ‘दीपअलंकार’ के नाम से जाना जाता है।

इस दौरान खाद्य मेला, पुष्प प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, किसानों का दशहरा, महिलाओं का दशहरा, युवा दशहरा, बच्चों का दशहरा और कविता पाठ आदि कई कार्यक्रम किए जाते हैं जो लोगों को आकर्षित करते हैं।

इन कार्यक्रमों के अलावा प्रसिद्ध दशहरा शोभायात्रा (जंबू सवारी), ‘एयर शो’, मशाल परेड और मैसुरु दशहरा प्रदर्शनी भी बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करती हैं।

नवरात्रि में मैसुरु और आसपास के क्षेत्रों में घरों में सजावट की जाती है और गोम्बे हब्बा (पारंपरिक गुड़िया की प्रदर्शनी), सरस्वती पूजा, आयुध पूजा और दुर्गा पूजा भी की जाती है।

शाही परिवार इन दिनों महल में अपनी परंपराओं के अनुसार त्योहार मनाएगा। पूर्ववर्ती मैसुरु शाही परिवार के वंशज यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार भव्य पोशाक में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वर्ण सिंहासन पर चढ़कर ‘खासगी दरबार’ (निजी दरबार) का संचालन करेंगे।

विजयादशमी के अवसर पर सुसज्जित हाथी की पीठ पर सोने से मढ़े हुए मंडप में देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति को ले जाया जाता है, जो इस वर्ष दो अक्टूबर को उत्सव के समापन का प्रतीक होगा।

दशहरा विजयनगर साम्राज्य के शासकों द्वारा मनाया जाता था और यह परंपरा मैसुरु के वाडियार राजघराने को विरासत में मिली है। मैसुरु में इस उत्सव की शुरुआत सबसे पहले वाडियार राजा, राजा वाडियार प्रथम ने वर्ष 1610 में की थी।

भाषा सुरभि रंजन शोभना

शोभना