भागवत ने अधिकतम तीन बच्चों, न्यूनतम तीन भाषाओं का समर्थन किया

भागवत ने अधिकतम तीन बच्चों, न्यूनतम तीन भाषाओं का समर्थन किया

  •  
  • Publish Date - August 28, 2025 / 09:39 PM IST,
    Updated On - August 28, 2025 / 09:39 PM IST

(फोटो सहित)

नयी दिल्ली, 28 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि सभी भारतीयों को कम से कम तीन भाषाएं आनी चाहिए, जिनमें उनकी मातृभाषा, उनके राज्य की भाषा और पूरे देश के लिए एक संपर्क भाषा शामिल होनी चाहिए, जो विदेशी नहीं हो सकती।

उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या को पर्याप्त और नियंत्रण में रखने के लिए प्रत्येक भारतीय परिवार में तीन बच्चे होने चाहिए।

आरएसएस के सौ साल होने पर आयोजित व्याख्यानमाला के अंतिम दिन प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान उन्होंने कहा, ‘किसी सभ्यता को जीवित रखने के लिए, भारत की जनसंख्या नीति 2.1 (औसत बच्चों की संख्या) का सुझाव देती है, जिसका मूलतः अर्थ तीन बच्चे हैं। लेकिन संसाधनों का प्रबंधन भी करना होगा, इसलिए हमें इसे तीन तक सीमित रखना होगा।’

भाषाओं के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारतीय मूल की सभी भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं और इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘संवाद के लिए एक संपर्क भाषा होनी चाहिए, लेकिन वह विदेशी नहीं होनी चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘सभी को मिलकर एक साझा संपर्क भाषा तय करनी चाहिए।’

भागवत ने यह भी कहा कि आरएसएस अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा के खिलाफ नहीं है और लोगों को जितनी चाहें उतनी भाषाएं सीखने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘जब मैं आठवीं कक्षा में था, तब मेरे पिताजी ने मुझे ‘ओलिवर ट्विस्ट’ और ‘द प्रिज़नर ऑफ़ ज़ेंडा’ पढ़ने को कहा था। मैंने कई अंग्रेज़ी उपन्यास पढ़े हैं, लेकिन इससे मेरे हिंदुत्व प्रेम पर कोई असर नहीं पड़ा है।’

भागवत ने कहा, ‘हमें अंग्रेज़ बनने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन अंग्रेज़ी सीखने में कोई बुराई नहीं है। एक भाषा के रूप में, इसका कोई बुरा असर नहीं है।’

उन्होंने यह भी कहा कि भारत और उसकी परंपराओं को समझने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान बहुत ज़रूरी है। हालांकि, भागवत ने कहा कि वह शिक्षा प्रणाली में किसी भी चीज को जबरन थोपने के ख़िलाफ़ हैं।

भाषा आशीष माधव

माधव