बिल्कीस बानो मामला: उच्चतम न्यायालय ने नयी पीठ गठित की, 27 मार्च को होगी सुनवाई

बिल्कीस बानो मामला: उच्चतम न्यायालय ने नयी पीठ गठित की, 27 मार्च को होगी सुनवाई

  •  
  • Publish Date - March 24, 2023 / 07:05 PM IST,
    Updated On - March 24, 2023 / 07:05 PM IST

नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिल्कीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सजा में छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 27 मार्च को सुनवाई करेगा।

न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ कई राजनीतिक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं और बानो द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करेगी।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 22 मार्च को मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था और याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक नयी पीठ गठित करने पर सहमति व्यक्त की थी।

गौरतलब है कि चार जनवरी को न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ के समक्ष यह मामला आया था, लेकिन न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने बिना कोई कारण बताए मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा में छूट दी थी और पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया था।

बानो ने अपनी लंबित रिट याचिका में कहा है कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए एक ‘यांत्रिक आदेश’ पारित किया।

उन्होंने कहा, ‘बिलकिस बानो के बहुचर्चित मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है और इसके परिणामस्वरूप देश भर में कई आंदोलन हुए हैं।’

इसमें कहा गया है, ‘जब देश अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था, तो सभी दोषियों को समय से पहले रिहा कर दिया गया था और उन्हें सार्वजनिक रूप से माला पहनाई गई तथा उनका सम्मान किया गया एवं मिठाइयां बांटी गईं।’

दोषियों की रिहाई के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल, लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा की ओर से दायर जनहित याचिकाएं शीर्ष अदालत के पास लंबित हैं।

घटना के वक्त बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती भी थी। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक डिब्बे में आग की घटना के बाद भड़के दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी, जिनमें तीन साल की एक बेटी भी शामिल थी।

भाषा सुरेश दिलीप

दिलीप